यहां नाली में बहता है सोना, सुबह ही लगती है भीड़, जानिए क्या है वजह Agra News
सराफा बाजार की नालियों में गिर जाते हैं सोने-चांदी के कण। नालियों का उठता है ठेका है एक हजार रुपये तक हो जाती है कमाई।
आगरा, जागरण संवाददाता। सोना-चांदी के दाम सातवें आसमान पर हैं। इन कीमती धातुओं को लोग सहेजकर रखते हैं, लेकिन एक ऐसी भी जगह है, जहां पर सोना-चांदी नाली में बहता है। अल सुबह ही इसके लिए नालियों के किनारे लोग आंख गड़ाए हुए बैठ जाते हैं। इतना ही नहीं नालियों की नीलामी तक होती है।
ताजनगरी में किनारी बाजार, नमक की मंडी और सूरज भान का फाटक में सराफा की दुकानें हैं। यहां पर सोने व चांदी का काम होता है। आभूषणों की बनाई के दौरान उनकी घिसाई पर सोने व चांदी के छोटे-छोटे कण निकलते हैं। साफ-सफाई में यह कण नाली में गिर जाते हैं। ऐसे में इन कणों को निकालने के लिए सुबह-सुबह सफाई करने वाले लोगों की भीड़ लग जाती है। एक चलनी, झाडू, ब्रश और परात लेकर यह लोग नाली पर नजर गड़ाए बैठे रहते हैं। गंदे पानी और कीचड़ के बीच में सोने-चांदी के छोटे-छोटे कणों को इक_ा करते हैं। कीचड़ के बीच में सोने के कणों की पहचान करना बहुत मुश्किल काम होता है। मगर, सालों से यही काम करने के चलते यह लोग आसानी से इस काम को कर लेते हैं।
ऐसे करते हैं अलग
पहले नाली से पानी के साथ मिट्टी के कणों को इक_ा किया जाता है। फिर इस गंदे नाली के पानी से सोने व चांदी के कण निकालने के लिए यह लोग गंदे पानी और मिट्टी को साफ करते हैं। चूने के पानी से सोने और बचे हुए मिट्टी के कणों को अलग किया जाता है। इसके बाद इसे तेजाब से साफ किया जाता है।
नारिया नाम है इस कला का
कीचड़ से सोने-चांदी के कण निकालने की कला को नारिया कहते हैं। गिने-चुने लोग ही इस कला में महारथ हासिल किए हुए हैं। कई सालों से यह काम करने वाले मोहन ने बताया कि उन्होंने अपने पिता से यह कला सीखी थी। एक दिन में 300 से लेकर 1000 रुपये तक की कमाई हो जाती है।
नालियों की लगती है बोली
सराफा बाजार में नालियों से कण निकालने के लिए सफाई कर्मियों में बोली लगती है। बड़े सराफा की दुकान के सामने वाली नाली के लिए मारा-मारी रहती है।
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