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Navratra Special: हाथी पर सवार होकर आ रही हैं मां जगदम्बे, जानें इसके मायने Agra News

29 सितंबर से आरंभ हो रहा है देवी आराधना के नौ दिन का पर्व। घट स्‍थापना से करें नौ दिन का पूजा।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Sat, 28 Sep 2019 05:14 PM (IST)Updated: Sun, 29 Sep 2019 10:11 AM (IST)
Navratra Special: हाथी पर सवार होकर आ रही हैं मां जगदम्बे, जानें इसके मायने Agra News
Navratra Special: हाथी पर सवार होकर आ रही हैं मां जगदम्बे, जानें इसके मायने Agra News

आगरा, तनु गुप्‍ता। शेर पर सवार होकर आजा मेरी अंबे लेकिन इस बार यह भजन कुछ अलग होगा। जी हां रविवार से आरंभ हो रहे शारदीय नवरात्र में माता रानी हाथी पर सवार होकर आ रही हैं। ज्‍योतिषाचार्य डाॅ शोनू मेहरोत्रा के अनुसार इस नवरात्रि माता का वाहन गज यानी हाथी है। जिसे कृषि के लिहाज से अच्छा माना जा रहा है। क्योंकि इस वाहन का मतलब है अच्छी वर्षा यानी मां अम्बे के हाथी पर सवार होकर आने से यह साल बारिश के लिहाज से अच्छा रहेगा। किसानों की आय बढ़ेगी। लेकिन राजनीतिक क्षेत्र में उथल-पुथल की स्थिति बनी रहेगी। युद्ध के हालात बन सकते हैं। पिछले साल भी माता का आगमन हाथी पर ही हुआ था।

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इस साल माता की विदाई बिना सवारी के हो रही है। देवीभाग्वत पुराण के अनुसार ‘शशि सूर्य दिने यदि सा विजया महिषागमने रुज शोककरा, शनि भौमदिने यदि सा विजया चरणायुध यानि करी विकला। बुध शुक्र दिने यदि सा विजया गजवाहन गा शुभ वृष्टिकरा, सुरराजगुरौ यदि सा विजया नरवाहन गा शुभ सौख्य करा॥’ इस श्लोक का मतलब है कि माता इस बार पैदल जा रही हैं। इसकी वजह विजयादशमी का मंगलवार को होना। मंगल और शनिवार के दिन विदाई होने पर माता किसी भी वाहन पर नहीं जाती हैं। देवी के पास किसी वाहन का ना होना अच्छा नहीं माना जाता है। यह निराशा और व्याकुलता का सूचक है।

ज्‍योतिषाचार्य डॉ शोनू मेहरोत्रा

वार अनुसार वाहन

देवी भागवत पुराण के एक श्लोक में बताया गया है कि माता का वाहन क्या होगा यह दिन के अनुसार तय होता है। यदि नवरात्र का आरंभ सोमवार या रविवार से हो रहा है तो माता का आगमन हाथी पर माना जाता है। शनिवार और मंगलवार से होने पर उनका वाहन घोड़ा तो गुरुवार और शुक्रवार को आगमन होने पर माता डोली में आती हैं जबकि बुधवार को नवरात्रि का आरंभ होना माता के नाव में आने का सूचक होता है। चूंकि इस वर्ष रविवार को नवरात्र का आरंभ हो रहा है इसलिए माता का वाहन इस बार हाथी है

नौ दिन की देवियां

नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री, दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी, तीसरे दिन चंद्रघंटा, चौथे दिन कुष्मांडा, पांचवें दिन स्कंदमाता, छठे दिन कात्यायनी, सांतवें दिन कालरात्री, आठवें दिन महागौरी और नवमी को सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है।

नवरात्रि के शुभ संयोग

ज्‍योतिषाचार्य डॉ शोनू के अनुसार नवरात्रि के इस पावन पर्व में शुरू के 6 दिन विशेष योग बन रहे हैं। 30 सितंबर को अमृत सिद्धि योग, 1 अक्टूबर को रवि योग, 2 अक्टूबर को अमृत और सिद्धि योग, 3 को सर्वार्थ सिद्धि, 4 को रवि योग, 5 तारीख को रवि योग, 6 को सर्वसिद्धि योग रहेगा। इन शुभ योगों में मां की अराधना करना फलदायी रहेगा। नवरात्रि में सात्विक विधि से दस महाविद्या, भगवती काली, तारा, षोडशी, भुवनेश्वरी, भैरवी, छिन्नमस्ता, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी व कमला की अर्चना की जाती है।

ऐसे करें घट स्‍थापना

आश्विन शुक्ल प्रतिपदा तिथि जो 29 सितंबर 2019 को है इसमें ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर स्वच्छ हो जाएं। इसके बाद पूजा घर में या किसी अन्य पवित्र स्थान पर स्वच्छ मिट्टी से बेदी बना लें। वेदी में जौ और गेहूं दोनों मिलाकर बो लें। वेदी पर या फिर उसके पास पवित्र स्थान पर पृथ्वी का पूजन कर मिट्टी का कलश स्थापित करें। आप चाहें तो सोने, चांदी या फिर तांबे का भी कलश स्थापित कर सकते हैं। उस कलश में आम के हरे पत्ते, दूर्वा, पंचामृत डालकर उसके मुंह पर सूत्र बांधें। कलश की स्थापना करने के बाद भगवान गणेश की पूजा करें। इसके बाद बनाई हुई वेदी के किनारे पर देवी मां की मूर्ति की स्थापना करें। मूर्ति का आसन, पाद्य, अर्ध, आचमन, स्नान, वस्त्र, गंध, अक्षत, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य, नमस्कार, प्रार्थना आदि से पूजन करें। दुर्गा सप्तशती का पाठ जरूर करें और इसके बाद देवी अम्बे की आरती कर प्रसाद वितरित करें।

व्रत के नियम

डॉ शोनू बताती हैं कि नवरात्रि में वैसे तो सभी अपने सामर्थ्य अनुसार व्रत रखते हैं लेकिन कुछ ऐसे नियम भी है जिसका कई लोग पालन करते हैं। जैसे व्रत रखने वाले को जमीन पर सोना चाहिए। इन दिनों ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। व्रत में फलाहार ही करना चाहिए। इन दिनों व्रती को क्रोध, लालच, मोह आदि दुष्प्रवृत्तियों का त्याग कर देना चाहिए। देवी का आह्वान, पूजन, विसर्जन, पाठ आदि सब प्रात:काल में शुभ माने गये हैं, अत: हो सके तो इन्हें इसी दौरान पूरा करना चाहिए। ध्यान रखें कि यदि घटस्थापना यानी कलश स्थापना करने के बाद सूतक काल लग जाए, तो कोई दोष नहीं होता, लेकिन अगर पहले ऐसा हो जाए, तो पूजा आदि न करें।

कब से हुई शुरुआत

वैसे तो साल में कुल 4 नवरात्रि आती हैं लेकिन सभी में से इन नवरात्रि को सबसे खास माना जाता है। मान्यता ये हैं कि इसकी शुरुआत भगवान राम ने की थी। जब भगवान राम रावण का वध करने जा रहे थे तो उन्होंने समुद्र के किनारे 9 दिनों तक मां दुर्गा की विधिवत पूजा की फिर 10वें दिन रावण का वध कर दिया। इसलिए इस नवरात्रि में लोग 9 दिनों तक मां गौरी की पूजा कर 10 वें दिन दशहरा मनाया जाता है। 


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