Ganesh Utsav 2020: आगरा के इस गणेश मंदिर से है महादजी सिंधिया का नाता
Ganesh Utsav 2020 गोकुलपुरा में है प्राचीन गणेश मंदिर 1646 में हुई थी मंदिर की स्थापना। 1760 में महादजी सिंधिया ने जीर्णोद्धार कराकर शुरू कराई थी शोभायात्रा।
आगरा, निर्लोष कुमार। ताजनगरी में इन दिनों गणेशोत्सव का उल्लास और उमंग छाई हुई है। कोविड-19 के चलते इस बार सार्वजनिक आयोजनों अौर शोभायात्राओं पर तो रोक लगी है, लेकिन मंदिरों व घरों में शनिवार को गणेश चतुर्थी पर विधि-विधानपूर्वक गणपति प्रतिमाएं स्थापित की गईं। आगरा में गणेशोत्सव की परंपरा का इतिहास 250 वर्ष से भी पुराना है। यहां मराठा शासनकाल में मराठा सरदार महादजी सिंधिया ने गणेशोत्सव की शुरुआत कराई थी।
आगरा में राजा की मंडी में गोकुलपुरा में भगवान गणेश का एकमात्र ऐतिहासिक सिद्धि विनायक मंदिर है। इस मंदिर की स्थापना मुगल काल में वर्ष 1646 में हुई थी। मराठा सरदार महादजी सिंधिया ने वर्ष 1760 में मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था। उस समय उन्हाेंने मंदिर में पीपल का वृक्ष भी लगाया था। उस समय वो ग्वालियर के शासक थे और आगरा प्रवास में उन्होंने मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था। कालांतर में यह मंदिर सिद्धि विनायक के नाम से प्रसिद्ध हो गया। गुजराती नागर और मराठा परिवारों की आस्था के केंद्र के रूप में प्रतिष्ठित इस मंदिर में अागरा प्रवास के दौरान वो नियमित पूजन-अर्चन कराते रहे। मंदिर के पुजारी पं. ज्ञानेश शास्त्री बताते हैं कि महादजी सिंधिया ने ही गणेश चतुर्थी के दिन मंदिर से शाही संरक्षण में धूमधाम से गणेश शोभायात्रा की शुरुआत कराई। यह शोभायात्रा 1860 तक जारी रही। एक हमले में यह बंद हो गई और देश की आजादी के बाद वर्ष 1859 में यह दोबारा शुरू हो सकी। पिछले वर्ष तक निरंतर मंदिर से यह शोभायात्रा निकाली गई, लेकिन इस वर्ष कोविड-19 के चलते शोभायात्रा का आयोजन नहीं हो सका है। आगरा में संभवत: गणेशोत्सव की परंपरा यहीं से सबसे पहले शुरू हुई थी।
आठ आना प्रतिदिन की जारी की थी सनद
ग्वालियर राज्य के विस्तार के साथ महादजी सिंधिया ने मंदिर की देखभाल व नियमित खर्च के लिए आठ आना प्रतिदिन का आज्ञा पत्र (सनद) मराठा शासन के नाम जारी किया था। मंदिर के पुजारी के पास आज भी यह धरोहर सुरक्षित है।
मंदिर में चढ़ता है गणेश जी को सिंदूर
आगरा के मंदिरों में भगवान गणेश की प्रतिमाएं सामान्यत: संगमरमर या रेड सैंड स्टोन की मिलती हैं। गोकुलपुरा स्थित सिद्धि विनायक मंदिर में गणेश जी को हनुमान जी की तरह सिंदूर चढ़ाया जाता है।
चंदन की लकड़ी की प्रतिमा की निकलती है शोभायात्रा
मंदिर में गणेश चतुर्थी पर चंदन की लकड़ी से बने गणेश जी की प्रतिमा की शोभायात्रा निकाली जाती है। इस प्रतिमा को हर बार शोभायात्रा के अवसर पर निकाला जाता है और पूजन किया जाता है। यह प्रतिमा वाराणसी के कारीगरों द्वारा तैयार की गई थी। पूजन के लिए मंदिर में मिट्टी की बनी प्रतिमा रखी जाती है, जिसका गणेशोत्सव के उपरांत विसर्जन किया जाता है।