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फैरी चली न हावर क्राफ्ट, मंत्री जी को वादा याद दिलाने को लोगों ने उतारी यमुना में कागज की नाव

केंद्रीय सड़क एवं राजमार्ग मंत्री ओर जहाजरानी मंत्री नितिन गड़करी ने मंत्रालय संभालते ही आगरा से किया था वादा।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Wed, 23 Jan 2019 02:40 PM (IST)Updated: Wed, 23 Jan 2019 02:40 PM (IST)
फैरी चली न हावर क्राफ्ट, मंत्री जी को वादा याद दिलाने को लोगों ने उतारी यमुना में कागज की नाव
फैरी चली न हावर क्राफ्ट, मंत्री जी को वादा याद दिलाने को लोगों ने उतारी यमुना में कागज की नाव

आगरा, जागरण संवाददाता। मंत्री जी ने मंत्रालय संभाला तो ताजनगरी से अनूठे वादे कर डाले। वादे मुश्किल कार्य के जरूर थे लेकिन लोगों ने सोचा कि मंत्री जी कह रहे हैं तो पूरे तो होंगे ही। 2015 में वादा किया था, 2019 आ गई। सिर पर लोकसभा चुनाव भी आ गए लेकिन वादे सिर्फ वादे ही रह गए। दिल्ली से आगरा तक यमुना में फैरी और हावर क्राफ्ट उतारने कावादा कागजों पर उतरा तक नहीं। अलबत्ता यमुना भी सूखी की सूखी ही रह गई।

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अब से कुछ ही देर में एक बार फिर मंत्री जी शहर में आने वाले हैं। ऐसे में शहरवासी उन्हें उनके ही वादों को याद दिलाने की कोशिशों में जुटे हैं।

मंगलवार शाम मंत्री जी को वादे याद दिलाने के लिए रिवर कनेक्ट अभियान के सदस्यों ने यमुना किनारे कागज की नाव चलाई। केंद्रीय जहाजरानी मंत्री नितिन गडकरी के 2015 में किये वादे को याद दिलाया।

क्या किया था वादा

केंद्रीय मंत्री बुधवार को आगरा में 1210.83 करोड़ रुपये की लागत की नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत वेस्टर्न सीवरेज जोन में सीवर लाइन बिछाने का शिलान्यास करने आ रहे हैं। इससे पूर्व भी आगरा आ चुके हैं। 2015 में आगरा दौरे के दौरान उन्हें कहा था कि सरकार जलमार्ग से यातायात को बड़े पैमाने पर विकसित करने पर ध्यान दे रही है। क्योंकि परिवहन का यह सबसे सस्ता माध्यम है। उन्होंने दिल्ल से आगरा के बीच जलमार्ग जल्द शुरू करने की बात कही थी। इससे पूर्व भी केंद्रीय मंत्री ने वादा किया था। जिसमें कहा था कि दिल्ली से यमुना के रास्ते सैलानी ताजमहल देखने आएंगे। आगरा यमुना में फैरी और हावर क्राफ्ट का वादा करके वो गए थे। लेकिन जलमार्ग के लिए यमुना में पानी तक नहीं पहुंच सका है।

मुगलकाल में यमुना में चलते थे पानी के जहाज

आज जिस सूखी यमुना में रेत ही रेत दिखाई देती है। उसी यमुना में एक समय वो समय था, जब पानी के जहाज चला करते थे। मुगलकाल में दिल्ली से आगरा के लिए नाव से लोग सफर करते थे। इस जलमार्ग से ही मुगलकाल में व्यापार होता था। मुगलकालीन समय में यमुना आगरा किले से सटकर बहा करती थी। यहां हाथी घाट पर नाव आकर रुकती थीं, यहां से बाहर के व्यापारी आगरा के बाजार में आते और जाते थे।

तीन मंजिला होती थी नौकाएं

आगरा कॉलेज की इतिहास की एसोसिएट प्रोफेसर अपर्णा पोद्दार ने बताया कि दिल्ली से आगरा तक यात्रियों के लिए नावें चलती थीं। साथ ही यमुना में तीन मंजिला नाव भी चला करती थीं। इन नावों में राजशाही लोग सफर किया करते थे। इसके अलावा मालवाहक नौकाओं की संख्या भी अच्छी खासी थी। यूरोपियन पर्यटक भी इसी जलमार्ग से आगरा आते थे। उस समय में सड़क मार्ग की तरह जलमार्ग से भी यातायात का बड़ा महत्व होता था। बाहरी जगहों से यमुना नदी में नावों द्वारा माल आता जाता था। खास बात ये थी, कि यमुना से निकली नहरों के द्वारा ये माल नगर के प्रमुख स्थानों तक पहुंचाया जाता था।


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