Suspicious Death: आगरा में एससी-एसटी एक्ट के मुकदमे में लगी एफआर, अब पंचों की तलाश
Suspicious Death कालोनी में नहीं जानते थे भरत खरे की जाति इसी आधार पर लगाई एफआर। ताजगंज की पुष्पांजलि ईको सिटी कालोनी निवासी सेवानिवृत्त फौजी अनिल राजावत और पड़ोसी भरत खरे के बच्चों में छह अक्टूबर को विवाद हुआ था।
आगरा, जागरण संवाददाता। सेवानिवृत्त फौजी और पड़ोसी के बच्चों के झगड़े के बाद लिखा गया एससी एसटी एक्ट का मुकदमा पुलिस की जांच में फर्जी निकला। कालोनी के लोगों के बयान और विवेचना में जुटाए गए अन्य साक्ष्यों के आधार पर शुक्रवार को इसमें एफआर लगा दी। इसी मुकदमे में समझाैते को हुई पंचायत में फौजी और उनकी पत्नी संगीता को अपमानित किया गया था। इसके बाद संगीता को जिंदा जला दिया गया।
ताजगंज की पुष्पांजलि ईको सिटी कालोनी निवासी सेवानिवृत्त फौजी अनिल राजावत और पड़ोसी भरत खरे के बच्चों में छह अक्टूबर को विवाद हुआ था। इस विवाद के बाद भरत खरे ने प्रदीप और उनकी पत्नी संगीता के खिलाफ ताजगंज थाने में दूसरे दिन एससी एसटी एक्ट की धारा में मुकदमा दर्ज करा दिया। तत्कालीन चौकी प्रभारी एकता योगेश कुमार ने प्रदीप को चौकी में बैठा लिया और संगीता से भी अभद्रता की। इसके बाद 11 को मुकदमे में समझौते को कालोनी में पंचायत हुई। पंचायत के बाद ही संगीता को जिंदा जलाया गया। इसके बाद मामले में लापरवाह अधिकारियों के होश उड़ गए। अनिल की तहरीर पर हत्या का मुकदमा दर्ज कर पुलिस ने भरत खरे, उसकी पत्नी सुनीता समेत चार लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। क्षत्रिय समाज और पूर्व सैनिकों में एससी एसटी एक्ट के मुकदमे को लेकर आक्रोश था। विवेचक सीओ सदर महेश कुमार हैं। उन्होंने बताया कि कालोनी के बयान के आधार पर एससी एसटी एक्ट की धारा हटाई गई है। भरत खरे सात आठ वर्ष से कालोनी में रह रहा था। वह सोसाइटी का अध्यक्ष भी रहा था। कालाेनी में किसी को उसकी जाति की जानकारी नहीं थी। मारपीट बच्चों के बीच हुई थी। अनिल और उनकी पत्नी ने किसी से मारपीट नहीं की। इसी आधार पर एससी एसटी एक्ट और मारपीट के आरोप खारिज हो गए। कालोनी के आठ लोगों ने गवाही दी है। इस मुकदमे में एफआर लगा दी गई है। अब कालोनी में हुई पंचायत में शामिल हुए लोगों की तलाश की जा रही है। उनकी गिरफ्तारी की जाएगी।