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Agra Crime: अपहरण और दहेज उत्पीड़न में पति समेत चार आरोपित साक्ष्य के अभाव में बरी, दस साल पुराना है मामला

Agra Crime वर्ष 2012 में फतेहपुर सीकरी थाने में स्वजन ने लिखाई थी विवाहिता के अपहरण की प्राथमिकी। मानसिक रूप अस्वस्थ होने के चलते चली गई थी विवाहिता ससुराल वालों ने भी लिखाई थी गुमशुदगी। 24 दिसंबर 2008 में हुयी थी विवाहिता की शादी।

By Ali AbbasEdited By: Tanu GuptaPublished: Wed, 28 Sep 2022 04:01 PM (IST)Updated: Wed, 28 Sep 2022 04:01 PM (IST)
Agra Crime: अपहरण और दहेज उत्पीड़न में पति समेत चार आरोपित साक्ष्य के अभाव में बरी, दस साल पुराना है मामला
2012 में दर्ज हुआ था मामले में मुकदमा।

आगरा, जागरण संवाददाता। पत्नी के अपहरण एवं दहेज उत्पीड़न में पति समेत चार आरोपितों काे न्यायालय ने साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया।अपर जिला जज ज्ञानेंद्र त्रिपाही ने पुष्ट साक्ष्यों के अभाव में पति संजय, देवर राम मोहन, राधे और सास श्रीमती बासमती को बरी करने के आदेश किए।

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क्या हुआ था दस साल पहले

फतेहपुर सीकरी थाने में वादी दीवान सिंह ने वर्ष 2012 में प्राथमिकी लिखाई थी। वादी के अनुसार उन्होंने पुत्री राजेश्वरी की शादी 24 दिसंबर 2008 में की थी। उन्होंने अपनी सामर्थ्य के अनुसार दहेज दिया था। जिसके बाद भी उनकी पुत्री को पति संजय, सास बांसमती, देवर राम मोहन, राधे आदि अतिरिक्त दहेज लाने के लिए दबाव बनाते थे। मारपीट कर जान से मारने की धमकी देते थे।

वादी के अनुसार वह दो जुलाई 2012 को पुत्री की ससुराल गया, वहां उसे नहीं देखा तो ससुराल वालों से जानकारी की। उन्होंने पुत्री के बारे में कोई संतोष जनक जवाब नहीं दिया। वादी को गाली-गलौज, मारपीट एवं जान से मारने की धमकी देकर भगा दिया। वादी से कहा कि जब तक वह एक लाख रुपये की व्यवस्था नहीं करता, राजेश्वरी के बारे में नहीं बताएंगे। जिस पर वादी ने पुत्री के साथ अनहोनी की आशंका जताते हुए प्राथमिकी लिखाई थी।

मुकदमे के विचारण के दौरान अदालत के संज्ञान में अभिलेखों के आधार पर तथ्य आये कि वादी की पुत्री मानसिक रूप से अस्वस्थ थी। वादी ने उक्त तथ्य छुपाया था उसकी पुत्री स्वयं कही चली गयी थी। वादी की पुत्री के गायब होने की सूचना आरोपितों थाना पुलिस और अधिकारियों को भी दी थी। अपर जिला जज ज्ञानेंद्र त्रिपाठी ने पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य एवम बचाव पक्ष के अधिवक्ता भूप सिंह वर्मा के तर्क के आधार पर आरोपितों को बरी करने के आदेश किए। 


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