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जीते जी कर दिया वृद्धाश्रम को अर्पण, मरने के बाद करते श्राद्ध और तर्पण

आंसुओं में डूबी है वृद्धाश्रम में रहने वाले माता- पिता की कहानी। पितृपक्ष में मृत पुरखों को याद कर रहे लेकिन जिंदों का किया बुरा हाल।

By Prateek KumarEdited By: Published: Mon, 24 Sep 2018 04:27 PM (IST)Updated: Mon, 24 Sep 2018 06:24 PM (IST)
जीते जी कर दिया वृद्धाश्रम को अर्पण, मरने के बाद करते श्राद्ध और तर्पण
जीते जी कर दिया वृद्धाश्रम को अर्पण, मरने के बाद करते श्राद्ध और तर्पण

आगरा [तनु गुप्ता]: बूढ़ी आंखें अब तो इंतजार भी करना छोड़ चुकी हैं। कोख से जन्म देने वालों को अम्मा याद तो करती है लेकिन अपने संस्कारों को खुद ही कोसती भी है। पालक पिता को जब पालने का वक्त आया तो उन्हें भी लताड़ कर घर की चौखट से बाहर निकाल दिया। हां, यह उसी समाज की हकीकत है जहां जिंदों को तिरस्कार और मरों को तर्पण का दिया जाता है। जीवित माता पिता बोझ लगते हैं और मृत आत्माओं की शांति के लिए श्राद्ध किया जाता है।

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सोमवार को पूर्णिमा के साथ श्राद्ध पक्ष की शुरुआत हो चुकी है। संस्कारों की इस नगरी में एक ओर सुबह से श्राद्ध कर्म का दौर चल रहा था। मथुरा, सोरों जैसी तीर्थ नगरियों में गंगा- यमुना किनारे पिंडदान होने शुरू हो गए। 16 दिनों तक पूरे नियम कायदों का ध्यान रखा जाएगा लेकिन पितरों के इन्हीं दिनों में कुछ लोग अपने जीवनदाताओं का तिरस्कार भी करे रहे हैं।

कैलाश मंदिर रोड स्थित रामलाल वृद्धाश्रम में श्राद्ध पक्ष के पहले ही दिन दो बुजुर्गों का आना असमाजिक होती सामाजिक मनोदशा का ही नतीजा जैसा लगता है। हाल के ही तीन दिनों के भीतर छह बुजुर्ग आश्रम में आश्रय लेने पहुंचे।

हालांकि इसी वृद्धाश्रम में रहने वाले बुजुर्गों को श्राद्धपक्ष में भोजन कराने के लिए एडवांस बुकिंग भी हो चुकी है।

अपने ही अंश ने दिया दंश

रामलाल वृद्धाश्रम में सोमवार को श्राद्ध के पहले ही दिन पहुंचे मौधुराम

रेलवे से रिटायर्ड कर्मचारी हैं। आगरा कैंट के रहने वाले अपने बेटे की शिक्षा और अच्छी जिंदगी के लिए ताउम्र कमर तोड़ मेहनत करते रहे। बेटे की इच्छाएं पूरी हो सकें इसके लिए अपने शौक के बारे में सोचा तक नहीं। लेकिन बेटे की शादी के बाद निगाह ऐसी बदली कि दिन पर दिन जिंदगी बदहाल होती गई। मौधुराम ने सोचा था कि बेटा मरने के बाद मुखाग्नि देगा, श्राद्ध करके मोक्ष दिलवाएगा लेकिन उसने बाप के मरने का इंतजार किये बगैर उन्हें तिरस्कार तर्पण कर दिया। उनके बैंक के एटीएम तक को छीन लिया। बेसहारा मौधुराम भटकते हुए आज वृद्धाश्रम पहुंच गए। वहीं कानपुर की रहने वाली लता सक्सेना अपने अकेलेपन से त्रस्त होकर वृद्धाश्रम पहुंच गईं। पेशे से शिक्षिका रह चुकीं लता नि:संतान थीं। पति के देहांत के बाद रिश्तेदारों ने भी मुंह मोड़ लिया।

घर में बीएमडब्ल्यू लेकिन पिता के लिए जगह नहीं

मूलत: आगरा के रहने वाले राजेश महेंद्रू 20 वर्ष पहले परिवार सहित सूरत जाकर बस गए थे। दिन रात मेहनत कर तीन- तीन फैक्ट्रियां खड़ी की। रहने के लिए आलीशान कोठी बनवाई। इकलौते बेटे के लिए बीएमडब्ल्यू कार खरीद कर दी लेकिन उम्र की सांझ में उनके लिए आलीशन कोठी के अंदर एक कमरा तक नसीब न हुआ। बेटा बहू ने सबकुछ हड़प कर उन्हें घर से निकाल दिया।

जिंदगी से हताश होकर राजेश आगरा आकर रामलाल वृद्धाश्रम में रहने लगे। राजेश महेंद्रू शहर के नामचीन डॉक्टर के रिश्तेदार भी हैं।

दो सैंकड़ा पार हैं आश्रम में बुजुर्ग

रामलाल वृद्धाश्रम में कुल 249 बेसहारों को सहारा मिला हुआ है। यहां 109 बुजुर्ग पुरुष और 101 बुजुर्ग महिलाओं के अलावा 25 बच्चे और 350 गाय हैं। आवास विकास कॉलोनी सेक्टर दस स्थित आश्रम के पुराने भवन में 13 निराश्रित बुजुर्ग आश्रय लिये हुए हैं।

ठुकराए हुओं को भोजन के लिए एडवांस बुकिंग शुरू

ऐसा नहीं है कि समाज में सिर्फ बुजुर्गों का तिरस्कार करने वाले ही हैं। यहां ऐसे भी हैं जो अपनों के मोक्ष के लिए परायों की क्षुधा शांत करते हैं। वृद्धाश्रम के प्रबंधक शिव प्रसाद शर्मा बताते हैं कि श्राद्ध पक्ष से एक माह पूर्व ही यहां बुजुर्गों को भोजन कराने के लिए एडवांस बुकिंग शुरू हो जाती है। शहर के लोग अपने पितरों के नाम से यहां दोपहर के भोजन के लिए बुकिंग करवा चुके हैं।

16 दिन पकवान लेकिन सिर्फ एक वक्त

वृद्धाश्रम में श्राद्ध पक्ष के दौरान प्रतिदिन लोग अपने पितरों के नाम से भोजन करवाएंगे लेकिन सिर्फ एक वक्त। शिव प्रसाद बताते हैं कि सैंकड़ों लोग पितृ पक्ष में यहां भोजन व्यवस्था करवाने के लिए संपर्क करते हैं लेकिन सभी सिर्फ दोपहर का भोजन ही कराना चाहते हैं। आश्रम में सुबह नौ बजे नाश्ता, 12 बजे दोपहर का खाना और रात को भोजन दिया जाता है। इस बीच में दो बार चाय भी दी जाती है। कई बार लोगों को समझाया कि शाम दोपहर के अलावा भी भोजन व्यवस्था करवा दें लेकिन लोग सिर्फ दोपहर का भोजन ही करवाना चाहते हैं।

श्राद्ध पक्ष में बनता है विशेष भोजन

16 दिनों तक आश्रम में रहने वाले बुजुर्गों को प्रतिदिन दोपहर के भोजन में पकवान परोसे जाएंगे। खीर, पूड़ी, इमरती आदि की व्यवस्था रहेगी। प्रबंधक के अनुसार लोग अपने साथ हलवाई भी लेकर आते हैं ताकि बुजुर्गों की पसंद के अनुसार गर्मा गरम भोजन परोसा जा सके।


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