IVF की नई सफलता: विदेशी गोद भर रहे भारतीय बायोलॉजिकल मां- बाप Agra News
विदेशियों को भारतीय आइवीएफ सेंटर पसंद। भारतीय पुरुष के शुक्राणु और महिला के अंडाणु से आइवीएफ का बढ़ रहा सक्सेज रेट।
आगरा, अजय दुबे। देश दुनिया के नि: संतान दंपती के आंगन में भारतीय इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आइवीएफ) सेंटर की मदद से किलकारी गूंज रही हैं। विदेशी दंपती भारतीय बायोलॉजिकल मां-बाप (भारतीय पुरुष के शुक्राणु और महिला के अंडाणु) की मदद से आइवीएफ करा रहे हैं, इस तरह दुनिया के तमाम देशों में भारतीय बायोलॉजिकल मां-बाप की संतानें हैं। इनकी संख्या इस साल तेजी से बढ़ी है।
आगरा में 16 से 18 अगस्त तक आयोजित इंडियन सोसायटी ऑफ असिस्टेड रिप्रोडक्शन (युवा इसार 2019) में दुनियाभर के आइवीएफ विशेषज्ञ शामिल हुए। इसमें विशेषज्ञों ने माना कि भारतीय पुरुष के शुक्राणुओं और महिला के अंडाणु की गुणवत्ता दुनिया के अन्य देशों की अपेक्षा अच्छी है। इंडोनेशिया से आए विशेषज्ञ प्रो. इवान सिनी ने बताया कि इंडोनेशिया सहित कई देशों में अंडाणु और शुक्राणु बैंक पर रोक है। इन देशों के नि:संतान दंपतियों को भारतीय आइवीएफ सेंटर से उम्मीद बंध रही है।
भारत में आइवीएफ कराने वाले विदेशी दंपती की संख्या तेजी से बढ़ी है। इजिप्ट से आए डा. ओसामा शॉकी ने कहा कि भारत के आइवीएफ सेंटर में दुनिया भर की नई तकनीकी का इस्तेमाल हो रहा है। इससे आइवीएफ के सक्सेज रेट 60 फीसद से अधिक पहुंच चुके हैं। इससे विदेशी भी भारत में आइवीएफ कराना चाहते हैं।
इन देशों के दंपती के लिए भारत पहली पसंद
इंडोनेशिया, अफगानिस्तान, इराक, नार्वे, स्वीडन, दक्षिण अफ्रीका, यूरोप के देश
विशेषज्ञ की राय
दुनिया भर में भारतीय आइवीएफ सेंटर पहली पसंद बनते जा रहे हैं। यहां के अंडाणु और शुक्राणुओं की गुणवत्ता अच्छी होने से आइवीएफ के रिजल्ट भी अच्छे हैं। आइवीएफ सस्ता भी है।
डॉ. जयदीप मल्होत्र, अध्यक्ष इंडियन सोसायटी ऑफ असिस्टेड रिप्रोडक्शन
व्यावसायिक सरोगेसी के लिए उठी आवाज
इंडियन सोसायटी ऑफ असिस्टेड रिप्रोडक्शन (युवा इसार 2019) के समापन पर व्यावसायिक सरोगेसी (किराए की कोख) को अनुमति देने की मांग उठी। रविवार को होटल ताज कन्वेंशन सेंटर में विशेषज्ञों ने बांझपन का दंश ङोल रहे दंपती के सवालों के जवाब दिए। उनके साथ चर्चा की।
पूर्व अध्यक्ष फोग्सी डॉ. नरेंद्र मल्होत्र ने बताया कि एक रिपोर्ट के अनुसार 2022 तक आइवीएफ सेंटर से भारत को 775.9 मिलियन डॉलर सालाना कमाई की उम्मीद है। ऐसे में व्यावसायिक सरोगेसी को भी सरकार को अनुमति देनी चाहिए। इससे दुनिया में भारत नि:संतान दंपती के इलाज के लिए पहले पायदान पर पहुंच जाएगा। इसार की अध्यक्ष डा. जयदीप मल्होत्र ने कहा कि बांझपन महिला और पुरूष दोनों की ही समस्या है। विशेषज्ञों ने कहा कि एक से दो बार आइवीएफ फेल होने पर भी उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए। नि:संतान दंपती ने अनुभव साझा किए, ऐसे दंपती भी थे जिनका आइवीएफ छठवीं वार में सफल हुआ।
मैं बांझ नहीं हूं, फिल्म हुई रिलीज
मुख्य अतिथि विधायक रानी पक्षालिका सिंह ने समापन समारोह का शुभारंभ किया। ‘मैं बांझ नहीं हूं‘ फिल्म रिलीज की गई। संरक्षक डा. नरेंद्र मल्होत्र, क्लब 35 प्लस की अध्यक्ष अशु मित्तल, आयोजन अध्यक्ष डा. अनुपम गुप्ता, आगरा ऑब्स एंड गायनी सोसायटी से डा. शिखा सिंह, डा. संतोष सिंघल, डा. सरोज सिंह, डा. सुधा बंसल, डा. आरती गुप्ता आदि मौजूद रहे।
बैंक से अंडाणु और शुक्राणु लेते समय किया जाने वाला मिलान
दंपती से मिलती हुई डोनर की लंबाई, रंग, आंख और बालों का रंग।
अंडाणु बैंक से अंडाणु लेने का चार्ज
10000 रुपये प्रति अंडाणु
शुक्राणु लेने का चार्ज
750 रुपये से एक हजार रुपये
भारत में आइवीएफ सेंटर
30000
हर साल आइवीएफ से होने वाले शिशु
1 से 1.50 लाख
हर साल आइवीएफ कराने वाले दंपती
3 से 3.50 लाख
30 फीसद केस में अंडाणु और शुक्राणु बैंक से लेने पड़ रहे
विदेशी करा रहे आइवीएफ
20 से 25 फीसद।
भारत में आइवीएफ का रेट
1.50 लाख से दो लाख रुपये
अंडाणु और शुक्राणु बैंक से लेने पर एक लाख रुपये अतिरिक्त
विदेशों में आइवीएफ का रेट
12 से 15 लाख रुपये