सनातन संस्कृति का असर, वैदिक मंत्रोच्चारण के मध्य लिये विदेशी जोड़ों ने सात फेरे
कार्तिक में चौरासी कोस परिक्रमा को आये थे वृन्दावन। महीनेभर साथ रहे तो ले लिया साथ निभाने का वादा।
आगरा, जेएनएन: सात वचन, सात फेरे। मंत्रों की ध्वनि और दो अंजान व्यक्तियों का उम्रभर के लिए गठबंधन। सनातन संस्कृति यूं ही पूरे विश्व में पूजनीय नहीं है। इसका प्रभाव आदिकाल से विदेशी संस्कृतियों पर देखा गया है और आज भी देखा जा रहा है।
कार्तिक के महीने में हजारों विदेशी भक्त नियम सेवा करने को वृन्दावन आए हुए थे। नियम सेवा के साथ ब्रज चौरासी कोस परिक्रमा भी हजारों विदेशियों ने की। इस दौरान उनपर भारतीय सनातन संस्कृति का ऐसा प्रभाव पड़ा कि विदेशी भक्तों के दल में शामिल दो विदेशी युवक और युवतियों ने जीवनभर साथ निभाने का वादा कर लिया। रविवार को दोनों विदेशी जोड़ों ने सनातन पद्धति के अनुसार वैदिक मंत्रोच्चारण के मध्य सात फेरे लिए और जीवनभर साथ निभाने का वादा किया।
वृंदावन की भूत गली स्थित वृन्दा कुंज में रविवार को कोलंबिया निवासी मोहना वंशी बिहारी व ब्रह्मसंहिता दासी तथा पेरू निवासी मुकुंद माधव दास ने जापान निवासी केशीघाट देवी दासी के साथ सात फेरे लिये। इस मौके पर दर्जनों विदेशी भक्त भी शादी समारोह के साक्षी बने। विवाह स्थल पर हरे रामा हरे कृष्णा की ध्वनि गूंजती रही।