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पानी में डूबे विदेशी मेहमानों के घरौंदे, परिंंदे कर रहे कीठम से किनारा Agra News

अक्टूबर तक बारिश होने से कीठम झील का जलस्तर ज्यादा वापस हो रहे विदेशी मेहमान। पर्यटकों की संख्या भी घट रही लगातार।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Wed, 23 Oct 2019 11:02 AM (IST)Updated: Wed, 23 Oct 2019 11:02 AM (IST)
पानी में डूबे विदेशी मेहमानों के घरौंदे, परिंंदे कर रहे कीठम से किनारा Agra News
पानी में डूबे विदेशी मेहमानों के घरौंदे, परिंंदे कर रहे कीठम से किनारा Agra News

आगरा, जागरण संवाददाता। चंबल का जलस्तर कम होने के बाद जलीय जीवों का जीवन तो सामान्य हो गया है लेकिन कीठम में विदेशी मेहमानों के लिए अभी मुश्किल है। अक्टूबर तक बारिश होने से उनके घरौंदे पानी में डूबे हैं और ये मेहमान वापस होने लगे हैं। 

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सूर सरोवर पक्षी विहार की कीठम झील में इस समय 22 फीट जलस्तर है। उसकी क्षमता 18 से 19 फीट की है। ज्यादा पानी के कारण झील में बने टापू डूबे हैं। इन टापू पर ही विदेशी पक्षियों के घरौंदे बने हैैं। उनमें ये आकर ठहरते हैं। अक्टूबर की शुरुआत में अफगानिस्तान से फ्लेमिंगो राजस्थान होते हुए आती है। पिनटेल और बार हैडेडगूज पक्षी पर्वतीय क्षेत्र व सायबेरिया से आता है। झील में अभी केवल 20 फीसद पक्षी पहुंच रहे हैं। जो रात में आते हैं और बैठने की जगह न मिलने पर वापस हो जाते हैं।

अब कहां पहुंच रहे पक्षी

झील में जलस्तर ज्यादा होने के कारण पक्षी नहीं रुक रहे हैं। ये पक्षी मैनपुरी के समान पक्षी विहार और एटा के पटना पक्षी विहार की ओर रुख कर रहे हैं। इसके अलावा भरतपुर के केवलादेव घना पक्षी विहार जा रहे हैं।

कितनी हुई बारिश

मानसून की बारिश अधिकतम 15 सितंबर तक होती थी। इससे झील का पानी सितंबर के अंत तक कम हो जाता था, लेकिन इस वर्ष ऐसा नहीं हुआ है। इस वर्ष अक्टूबर के प्रथम सप्ताह में भी बारिश हुई है। सितंबर में 144 एमएम बारिश रिकॉर्ड हो चुकी है, जिले में औसत 650 एमएम बारिश होती है। लेकिन इस वर्ष 850 एमएम बारिश हुई है।

ये पक्षियों के रुकने की मुख्य वजह

-भोजन के लिए कीड़ों और नए अंकुरित पौधे की खोज में पक्षी एक जलवायु से दूसरी जलवायु की ओर प्रवास करते हैं।

-उचित घोंसलों के स्थान की खोज में पक्षी प्रवास करते हैं।

- पक्षियों के पंखों का विकास समय के साथ होता है। अत्यंत ठंडे व गर्म जलवायु से में पक्षियों की कुछ प्रजाति, विशेष रूप से उनके बच्चों का जीवित रहना कठिन हो जाता है।

- पक्षी उस स्थान को तलाशते हैं, जहां पर भरमार का भोजन मिल सके। कुछ पक्षी शिकारी पक्षियों से बचने के लिए प्रवास करते हैं।

किस वर्ष में कितने पक्षी पहुंचे झील

पक्षी, वर्ष-2017, वर्ष-2018, वर्ष-2019 मार्च तक

फ्लेमिंगो, 255, 272, 375

पेलिकन, 450, 510, 655

ग्र्रेजूज , 265, 290, 325

लेजर व्हीस लगडक, 315, 290, 375

स्पोट बिल्ड डक, 272, 310, 300

पिनटेल, 175, 115, 125

कोमनटील, 210, 225, 245

मलार्ड (नील सर), 25, 90, 110

गेडवाल, 170, 185, 225

सोवरल, 300, 375, 410

रेड क्रेस्टर्ड पोचार्ड, 190, 205, 210

कोमन पोचार्ड, 100, 110, 126

पॉइड एवोसेट, 178, 170, 175

बार हैडेड गूज, 355, 410, 425

रुड्डी शेलडक, 35, 22, 25

पिछले वर्षों की अपेक्षा इस वर्ष बारिश अधिक हुई है। इस कारण झील का जलस्तर कम नहीं हुआ है। टापू पानी में डूबे हैं। विदेशी पक्षियों के रुकने में दिक्कत हो रही है।

आनंद कुमार, उप वन संरक्षक, राष्ट्रीय चंबल सेंचुरी प्रोजेक्ट, आगरा 


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