Christams day 2018:16 वीं सदी में पहली बार मिली थी क्रिसमस को मिठास
किशमिश और मुरब्बे को रम में डुबोकर तैयार किया जाता है खास केक।
आगरा, जागरण संवाददाता। चर्च से लेकर घरों तक क्रिसमस की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। इसाई समाज जश्न और उमंग के त्योहार को मिल जुलकर मना रहा है। साथ में तैयार हो चुके हैं मुंह में मिठास घोलने वाले केक।
क्रिसमस पर आखिर केक ही क्यों परोसा जाता है। यह सवाल आपके दिमाग में भी आता होगा। दरअसल, क्रिसमस केक का इतिहास 16वीं सदी पुराना माना जाता है। इससे पहले यह त्योहार का हिस्सा नहीं था। फादर सुनील पॉल बताते हैं कि पुराने समय में लोग ब्रेड और सब्जियां मिलाकर एक डिश बनाते थे। वहीं इंग्लैड में प्लम पुडीज की प्रथा थी। 16वीं शताब्दी में जौ को पुडिंग से निकाल कर उसकी जगह गेंहू के आटे का प्रयोग हुआ। इसमें अंडा, मक्खन और उबाले गए फलों का प्लम मिलाया जाता था। संपन्न लोगों के पास तंदूर होता था, लिहाजा वहीं से केक बनाने की शुरुआत हुई। तभी से क्रिसमस पर प्लम केक को खुशियां बांटने के लिए शामिल किया जाने लगा।
रम केक के दीवानों की कमी नहीं
केदार नगर निवासी प्रवीना स्वामी ने बताया क्रिसमस पर बनने वाले प्लम और रम केक के लिए किशमिश और मुरब्बे को रम में डूबो कर 25 दिन तक रखते हैं। इसके बाद मैदा, चीनी, ड्राइफ्रूट्स, अंडे, कोको पाउडर और गर्म मसाला डालकर केक बनता है। घरों में भी केक तैयार किया जाता है।
प्लम और रम केक की मांग
आरके बेकर्स के पुनीत जैन ने बताया कि क्रिसमस पर प्लम और रम केक को ही सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है। प्लम केक में क्रीम नहीं मेवा डालकर बनाया जाता है। वहीं रम केक में रम का प्रयोग होता है। यह वजन के आधार पर 250 ग्राम से लेकर पांच किलो तक में उपलब्ध हैं। इनकी कीमत 250 रुपये प्रति किलोग्राम के आसपास है।