आगरा में तय हुईं जगहें, यहां सजेंगी इस बार पटाखे की दुकानें, दो घंटे चलाने की ही अनुमति
300 से कम होगा एक्यूआइ तभी कर सकेंगे अतिशबाजी। ग्रीन पटाखों को ही मिलेगी अनुमति। सुप्रीम कोर्ट के हानिकारक पटाखों पर प्रतिबंध को बरकरार रखने के आदेश के बाद प्रशासन ने आगरा में पटाखों की बिक्री को लेकर गाइडलाइन जारी कर दी है।
आगरा, जागरण संवाददाता। सुप्रीम कोर्ट के हानिकारक पटाखों पर प्रतिबंध को बरकरार रखने के आदेश के बाद प्रशासन ने आगरा में पटाखों की बिक्री को लेकर गाइडलाइन जारी कर दी है। दीपावली पर इस बार जिले में केवल हरित (ग्रीन) पटाखों की बिक्री होगी। अन्य पटाखों की बिक्री प्रतिबंधित रहेगी। शहर में कोठी मीना बाजार समेत 12 स्थानों पर पटाखे बेेेेचने का लाइसेंस दिया जाएगा, इसके लिए सोमवार तीसरे पहर चार बजे तक पटाखा कारोबारी कलक्ट्रेट सभागार में आवेदन कर सकते हैं।
पटाखा विक्रय के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेशों एवं निर्देशों का अनुपालन किया जाएगा। दीपावली पर होने वाली आतिशबाजी शहर के वायु गुणवत्ता सूचकांक पर निर्भर है। जिन शहरों में एक्यूआइ स्तर 300 से अधिक है, वहां नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने पटाखों की बिक्री व इस्तेमाल पर रोक लगा रखी है। एक्यूआइ 300 से कम होने पर आगरा में दो घंटे के लिए ग्रीन पटाखों के इस्तेमाल की अनुमति दी जा रही है। डीएम प्रभु एन. सिंंह ने बताया कि उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा आगरा में वायु गुणवत्ता की निगरानी की जा रही है। वर्ष 2021 में जनवरी से सितंबर तक वायु गुणवत्ता स्तर थोड़ा प्रदूषित (माडरेट) पाया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने 23 जुलाई, 2021 के आदेश में स्पष्ट किया है कि क्षेत्र की वायु गुणवत्ता थोड़ी प्रदूषित अथवा अच्छी है तो संबंधित प्राधिकारी हरित पटाखों की बिक्री व उपयोग की अनुमति दे सकते हैं। शासन ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश व कोविड-19 की परिस्थितियों के दृष्टिगत प्रदेश में निर्धारित समय सीमा के लिए हरित पटाखों की बिक्री व उपयोग की अनुमति प्रदान किए जाने का निर्णय किया है।
रात आठ से 10 बजे तक ही चल सकेंगे ग्रीन पटाखे
डीएम ने बताया कि दीपावली पर सिर्फ ग्रीन पटाखे या कम प्रदूषण वाले नियमों के अनुरूप ही पटाखे बिकेंगे और चलेंगे। पटाखों के बारे में सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व में दिए गए आदेशों को बरकरार रखा है। इसका मतलब है कि दीपावली पर रात आठ से 10 बजे तक ही पटाखे चलाए जा सकते हैं। क्रिसमस और नववर्ष पर रात 11:55 से 12:30 तक पटाखे चलाए जा सकते हैं।
ये हैं ग्रीन पटाखे
वे पटाखे, जिनसे प्रदूषण कम होता है, उन्हें ग्रीन पटाखा कहा जाता है। ग्रीन पटाखों को खास तरह से तैयार किया जाता है और इनके जरिए 30 से 40 फीसद तक प्रदूषण कम होता है। ग्रीन पटाखों में वायु प्रदूषण को बढ़ावा देने वाले हानिकारक रसायन नहीं होते हैं। इनमें एल्यूमीनियम, बैरियम, पोटेशियम नाइट्रेट व कार्बन का प्रयोग नहीं किया जाता है अथवा इनकी मात्रा काफी कम होती है। इनके प्रयोग से वायु प्रदूषण को बढ़ने से रोका जा सकता है।
70 करोड़ का कारोबार
ताजनगरी में ऐसा दूसरी बार होगा जब पटाखे नहीं चलेंगे। 2019 और उससे पहले तक दीपावली के त्योहार पर 50 से 70 करोड़ रुपये का पटाखों का कारोबार होता था। घनी बस्तियों से लेकर गांव-देहात तक पटाखा गोदाम हैं। जहां छह महीने पहले से ही पटाखों का निर्माण व स्टाक शुरू हो जाता था।
हादसों में आएगी कमी
पटाखों पर स्थाई रोक लगने से त्योहार पर होने वाले हादसों में कमी आएगी। 2019 में 54 हादसे हुए थे। 24 घंटे जिला अस्पताल व एसएन की इमरजेंसी खुली रहती थी, ताकि हादसा होने पर घायलों को उपचार मिल सके।
संवेदनशील क्षेत्र घोषित है शहर
ताज ट्रिपेजियम जोन (टीटीजेड) के तहत पर्यावरणीय दृष्टि से ताजनगरी संवेदनशील क्षेत्र घोषित है। पटाखों में इस्तेमाल होने वाले गंधक, पोटाश व अन्य गोला-बारुद से पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पढ़ता है। हवा में प्रदूषण बढ़ने से सांस व अन्य गंभीर बीमारियों से ग्रस्त मरीजों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।