Fire In Agra: घर में लगी आग ने उजाड़ दिया हंसता परिवार, होश आने पर बेटे को याद करते हैं बुजुर्ग पिता
Agra News आगरा के बालूगंज में इनवर्टर में शार्ट सर्किट से लगी आग और धुंए में फिजियो थेरेपिस्ट की हो गई थी मौत पत्नी और बेटे-बेटी दिल्ली गेट स्थित अस्पताल के आइसीयू में हैं भर्ती प्राची और दोनों बच्चों को सांस लेने में दिक्कत हालत स्थिर
आगरा, जागरण संवाददाता। धुंए में दम घुटने से मृत फिजियाे थेरेपिस्ट की पत्नी और दोनों बच्चों की हालत स्थिर बनी हुई है। सांस लेने में दिक्कत होने के चलते तीनों को आइसीयू में रखा गया है। तीनों के फेफड़ों में कार्बन की मात्रा अधिक होने के चलते उन्हें अभी आइसीयू में ही रखा जाएगा। परिवार के सदस्यों ने पत्नी और बच्चों को आशीष की मौत के बारे में जानकारी नहीं दी है।
रकाबगंज के बालूगंज में रविवार की तड़के इनवर्टर में शार्ट सर्किट से लगी आग के चलते घर में धुंआ भर गया था। आशीष दीक्षित उनकी पत्नी प्राची, बेटी खुशी, बेटा तन्मय उर्फ अंशू प्रथम तल पर बने कमरे में सो रहे थे। आंख खुलने वह जान बचाने के लिए कमरे के बराबर में बने बाथरूम में गए थे। खुद को कपड़ों समेत पानी से भिगो लिया था। जिससे कि उन पर धुंए के प्रभाव को कम किया जा सके। मगर,बाहर निकलने का रास्ता न मिलने से चारों अचेत हो गए थे।
खुशी द्वारा 112 नंबर पर फोन करने पर पहुंची पुलिस और फायर ब्रिगेड ने चारों लोगों को रेस्क्यू कर बाहर निकाला था। अस्पताल ले जाने पर चिकित्सकों ने आशीष को मृत घोषित कर दिया। आशीष दीक्षित की बड़ी बेटी रिया ने बताया कि मां प्राची, बहन खुशी और भाई अंशू को सांस लेने में दिक्कत हो रही है। तीनों को आइसीयू में रखा गया है। अंशू का सीटी भी कराया गया है।
डाक्टरों का कहना है कि धुंए में काफी समय बंद रहने से प्राची और दोनों बच्चाें के फेफड़ों में कार्बन की मात्रा अधिक हो गई है।उनकी हालत में सुधार होने में कुछ समय लगेगा। प्राची और दोनों बच्चों की हालत को देखते हुए स्वजन ने उन्हें आशीष की मौत के बारे में नहीं बताया है। स्वजन काे आशंका है कि इससे उन्हें आघात लग सकता है।
होश में आते ही आशीष के बारे में पूछती हैं प्राची
आइसीयू में भर्ती प्राची को बीच-बीच में होश आने पर वह पति आशीष के बारे में इशारों से पूछने लगती हैं। परिवार के लोगों ने प्राची को बता रखा है कि आशीष का दूसरे अस्पताल में इलाज चल रहा है। उन्होंने स्वजन को इशारे में अपने पीठ के निचले हिस्से में चोट लगने और दर्द के बारे में भी बताया। धुंए में दम घुटने से जान बचाने के दौरान आशंका है कि वह गिरी होंगी।
बेटे को याद कर रो उठतेे हैं ग्या प्रसाद
हादसे के दौरान 85 वर्षीय बुजुर्ग पिता ग्याप्रसाद दीक्षित भी भूतल पर स्थित अपने कमरे में थे। उनके कमरे का एक दरवाजा पीछे आंगन की ओर से खुलता है। जबकि दूसरा दरवाजा आशीष के कमरे की आेर जाने वाली सीढ़ियों के सामने खुलता है। उन्हें भी पुलिस ने सुरक्षित बाहर निकाला था। बेटे का नाम आते ही बुजर्ग पिता ग्याप्रसाद दीक्षित की आंखों में आंसू आ जाते हैं। साेमवार को भी परिचितों और रिश्तेदारों का उनके घर पर तांता लगा रहा।
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