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तीन दिनों तक भूख से लड़ाई और फांसी लगाई

़15 वर्षीय दुर्गेश ने घर में कमरे के सामने पड़े टिनशेड में फंदे से लटककर जान दे दी।

By JagranEdited By: Published: Sun, 15 Jul 2018 11:54 AM (IST)Updated: Sun, 15 Jul 2018 11:54 AM (IST)
तीन दिनों तक भूख से लड़ाई और फांसी लगाई
तीन दिनों तक भूख से लड़ाई और फांसी लगाई

आगरा(जागरण संवाददाता): तीन कमरों का घर। महीने की कमाई भी करीब 15-20 हजार रुपये होगी। मगर, हालात भुखमरी जैसे। रसोई में गैस सिलेंडर और आटे का कनस्तर भी खाली है। इस घर की बिटिया तीन दिन तक भूख से लड़ी। शुक्रवार रात को उसने घर में पड़े टिनशेड में फंदे से लटककर जान दे दी। सुसाइड नोट में किशोरी ने शराबी पिता, भाई, बुआ और दादी पर उत्पीड़न का आरोप लगाया है।

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मूलरूप से शमसाबाद के रहने वाले नेकराम का परिवार तीस साल से एत्माद्दौला के प्रकाश नगर में रहता है। नेकराम हैंडपंप की बो¨रग और मरम्मत का काम करता है। उसके परिवार में पत्‍‌नी, दो बेटे और चार बेटियां हैं। जिनमें से दो बेटे और दो बेटियों की शादी हो चुकी है। घर में अब उसके साथ केवल उसकी पत्‍‌नी और बेटियां प्रीति, दुर्गेश रहती थीं। शुक्रवार रात 11 बजे 15 वर्षीय दुर्गेश ने घर में कमरे के सामने पड़े टिनशेड में फंदे से लटककर जान दे दी। बहन और मां को इसकी जानकारी हुई तो उन्होंने शोर मचाया। पुलिस मौके पर पहुंची तो पिता छोटे बेटे पर हत्या का आरोप लगाने लगा। पुलिस ने घर की तलाशी ली तो तीन पेज का सुसाइड नोट मिल गया। इसमें दुर्गेश ने पिता नेकराम के उत्पीड़न से तंग होकर खुदकशी की बात लिखी थी। दादी रामरती, बुआ भगवान देवी और बड़े भाई दिनेश को भी मौत का जिम्मेदार बताया। इसमें पिता के उत्पीड़न की पूरी दास्तां लिखी हुई थी। साथ ही यह भी लिखा था कि उसने तीन दिन से कुछ नहीं खाया था। पिता हर माह करीब 15-20 हजार रुपये कमाता था। इसमें से मोटी रकम वह शराब पीने में खर्च कर देता। अब तीन दिन से घर में न तो रसोई में खाना बनाने को गैस थी और न ही आटा। इंस्पेक्टर एत्माद्दौला कमलेश सिंह ने बताया कि सुसाइड नोट के आधार पर किशोरी के पिता, भाई, दादी और बुआ के खिलाफ आत्महत्या को दुष्प्रेरित करने का मुकदमा दर्ज कर लिया गया है।

हत्या में बेटे को फंसाना चाहता था पिता:

किशोरी की खुदकुशी के मामले में पिता अपने छोटे बेटे को फंसाना चाहता था। क्योंकि वह छोटे भाई से बहुत प्यार करती थी। पिता ने पुलिस के पहुंचते ही छोटे बेटे पर हत्या का आरोप लगाया। सुसाइड नोट नहीं मिलता तो वह अपने मंसूबे में कामयाब हो सकता था। जिसने सुसाइड नोट पढ़ा, आंसू बहने लगे:

दुर्गेश के घर में मां-बाप, भाई और बहन सभी थे। मगर, वह परेशान थी। सुसाइड नोट में उसने अपना यह दर्द लिखा है। इसमें लिखा है कि पिता ने किसी को नहीं पढ़ाया। सभी अपनी मेहनत करके पढ़े। अब वे खाने का सामान भी घर में लाकर नहीं देते थे। मां को उन्होंने पागल कर दिया। केवल छोटा भाई और बहन प्रीति की वजह से वह अब तक जिंदा थी। पिछले दिनों भाई को भी पिता ने घर से निकाल दिया। अब दिनों-दिन उनका आतंक बढ़ता जा रहा है। तीन दिन पहले तक घर में दादी रह रही थी तो पिता राशन ले आता था। उनके जाने के बाद राशन खत्म हो गया, लेकिन वह नहीं लेकर आया। खुद बेटी के घर जाकर खा आता था। उसने सुसाइड नोट में पिता, बुआ, दादी और बड़े भाई को सजा देने की बात भी लिखी है। वह इतनी परेशान थी कि पिता के लिए सम्मानजनक भाषा नहीं लिखी और यह भी लिखा कि इनको सजा मिलेगी तब उसकी आत्मा को शांति मिलेगी।


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