ताजनगरी को जीरो वेस्ट शहर बनाने की पहल में नया कदम, खाद बनाने का एक और प्लांट शुरु Agra News
आगरा में निकला है प्रतिदिन साढे सात लाख मीट्रिक टन कूड़ा। कुबेरपुर में पहले से लगा था 20 मीट्रिक टन खान बनाने का प्लांट।
आगरा, जागरण संवाददाता। ताजनगरी को स्वच्छ बनाने के लिए नगर निगम की ओर से हर प्रयास किये जा रहे हैं। शहर की स्वच्छता की दृष्टि से सबसे महत्वपूर्ण है कूड़े का निस्तारण। जिस शहर में से प्रतिदिन साढ़े सात लाख मीट्रिक टन कूड़ा निकलता हो उसके निस्तारण के लिए सबसे बेहतर विकल्प कचरे से खाद बनाने की योजना ही है। इसी दिशा में एक कदम और बढ़ाते हुए कुबेरपुर के सागर में पांच मीट्रिक टन खाद बनाने का प्लांट शुरु किया गया।
कुबेरपुर स्थित सागर में पांच मीट्रिक टन खाद बनाने का प्लांट लगाया गया है। मंगलवार को यह प्लांट चालू कर दिया गया। इससे पहले से कुबेरपुर में 20 मीट्रिक टन, पांच मीट्रिक टन धांधूपुरा में, चार मीट्रिक टन राजनगर में और एक मीट्रिक टन आइएसबीटी पर खाद बनाने के प्लांट लगे हुए थे। जिनके माध्यम से कुल 30 मीट्रिक टन खाद प्रतिदिन बनाई जा रही थी। वहीं नगर निगम नवंबर में 300 मीट्रिक टन खाद बनाने का प्लांट लगाने जा रहा है।
मिलकर करेंगे प्रयास तो जलेगा अस्वच्छता का दशानन
कूड़े के इस दशानन को मारने के लिए हर घर से शुरुआत होनी चाहिए तभी शहर को स्वच्छता सर्वेक्षण में अव्वल ला सकेंगे। 'जीरो वेस्ट से ही शहर को साफ बनाया जा सकेगा। इससे कूड़े की समस्या का निस्तारण हो सकेगा। कुबेरपुर खत्ताघर में डंप आठ लाख मीट्रिक टन (एमटी) कूड़े का निस्तारण जरूरी है। यह कूड़ा न सिर्फ पर्यावरण के लिए घातक हैं बल्कि मिट्टी और भूगर्भ को भी नुकसान पहुंचा रहा है।
जलाया जा रहा कूड़ा
शहर में हर दिन कूड़े को जलाया जाता है। सफाई कर्मचारियों से लेकर आम नागरिक तक कूड़ा जलाकर पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे हैैं। एनजीटी के आदेश के बाद भी इस पर अंकुश नहीं लगा है।
गीला कूड़ा बन रहा मुसीबत
शहर से हर दिन बड़ी मात्रा में गीला कूड़ा निकलता है। घरों से निकलने वाले इस कूड़े का इस्तेमाल खाद बनाने में हो तो कुबेरपुर तक पहुंचने वाले कूड़े की मात्रा में कमी आएगी। फिलहाल तीस एमटी खाद हर दिन रोज बन रही है, जबकि तीन सौ एमटी बनाने के लिए प्लांट लगाया जा रहा है।
कुबेरपुर में बना कूड़े का पहाड़
शहर से बड़ी मात्रा में कूड़ा निकल रहा है और इसका निस्तारण न होने से कुबेरपुर लैैंडफिल साइट पर कूड़े का पहाड़ बनता जा रहा है। इसके अलावा शहर में कई अन्य स्थानों पर भी मलबा डाला जा रहा है।
शहर की छवि हो रही खराब
शहर में बड़ी संख्या में घरेलू और विदेशी पर्यटक ताजमहल और अन्य पर्यटन स्थलों पर आते हैैं। रास्ते में जगह-जगह पडऩे वाले कूड़े के ढेर शहर की छवि को खराब कर रहे हैैं। शहर के सौ वार्डों से हर दिन साढ़े सात सौ मीट्रिक टन कूड़ा निकलता है। यह वह कूड़ा है जो कुबेरपुर स्थित खत्ताघर पहुंचता है। बड़ी मात्रा में कूड़ा गलियों और जगह-जगह प्लाट में पड़ा रहता है। इस कूड़े का उठान उसी दिन होना चाहिए।
समस्या
अलग-अलग कूड़े का निस्तारण नहीं
सूखा और गीला कूड़े का अलग-अलग निस्तारण किया जाना चाहिए लेकिन निगम अभी तक पूरी तरह से इसे लागू नहीं कर सका है।
नहीं विकसित की गई ग्रीन बेल्ट
खत्ताघर के आसपास ग्रीन बेल्ट विकसित नहीं की गई है। इससे नगर निगम की पोल खुल रही है।
शहर नहीं बन सका डलावघर फ्री
नगर निगम ने एक साल के भीतर शहर को डलावघर फ्री का लक्ष्य रखा है। फिलहाल दर्जनभर डलावघर खत्म हुए हैं। वर्तमान में 120 स्थायी और दो सौ अस्थायी डलावघर हैं।
नगर निगम एक नजर में
- 2018 नवंबर से गीला और सूखा कूड़ा को अलग-अलग निस्तारित करना शुरू किया गया था।
- 60 मीट्रिक टन सूखा कूड़ा हर दिन 25 कैटेगरी में अलग किया जाता है।
- हर दिन 25 मीट्रिक टन गीले कूड़ा से खाद बन रही है।
- 70 हजार घरों में चार मीट्रिक टन खाद बन रही है। यह है नगर निगम का वादा।
- 8.6 मीट्रिक टन खाद बड़ी डेयरी में तैयार की जा रही है।
- 110 मीट्रिक टन मलबा हर दिन निगम कलेक्ट करता है। जल्द ही सालिड वेस्ट का प्लांट लगाया जा रहा है। इससे इसका निस्तारण हो सकेगा। इंटरलॉकिंग बनेंगी।
ये इंतजाम जरूरी
- शहर में वेस्ट टू एनर्जी प्लांट का लगना जरूरी है। फिलहाल इसकी एनओसी नहीं मिली है। चार सौ करोड़ से निजी कंपनी कुबेरपुर में यह प्लांट लगाएगी। हर दिन साढ़े पांच सौ एमटी कूड़े से दस मेगावाट बिजली बनेगी। प्लांट की कुल क्षमता 15 मेगावाट की होगी इसके लिए हर दिन आठ सौ एमटी कूड़े की जरूरत पड़ेगी।
- सूखे और गीले कूड़े का कलेक्शन अलग अलग किया जाए और निस्तारण भी।
- खत्ताघर में जो भी कूड़ा जमा है। उसका निस्तारण वैज्ञानिक तरीके से किया जाए।
- सालिड वेस्ट प्लांट को चालू करवाया जाए।
- कूड़े से जो भी गैस निकल रही है। समुचित तरीके से उसका इंतजाम किया जाए।
- डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन को बेहतर तरीके से लागू किया जाए।
- छह माह के भीतर कूड़े का निस्तारण किया जाएगा।
-सड़क पर कूड़ा फेंकने की प्रवृत्ति को छोडऩा होगा।