दाराशिकोह से फतह के बाद औरंगजेब ने बसाया था यह कस्बा, आज हुआ 350 बरस का
इससे पूर्व इस कस्बे का नाम था सामूगढ़। कराए थे कई निर्माण।
आगरा, मुन्नालाल शर्मा। फतेहाबाद आज साढ़े तीन सौ साल का हो गया। 10 मई 1658 को मुगल शासक औरंगजेब ने अपने भाई दाराशिकोह को यहीं पर हराया था। फतह की खुशी में औरंगजेब ने यहां का नाम सामूगढ़ से बदल कर फतेहाबाद कर दिया था। इस स्थान को यादगार बनाने के लिए उसने कई इमारतों का निर्माण भी कराया था। हालांकि, संरक्षण के अभाव में इनमें से कई के निशान ही रह गए हैं।
मुगल शासक शाहजहां के चार पुत्र दारा शिकोह, औरंगजेब, सुजा और मुरार और दो पुत्रियां जहांआरा और रोशनआरा थी। शाहजहां अपना उत्तराधिकारी दारा शिकोह को बनाना चाहते थे। दारा शिकोह साहित्य प्रेमी व वीर था, परंतु औरंगजेब के मुकाबले अच्छा सेनानायक कदापि नहीं था। प्रसिद्ध इतिहासकार राजकिशोर शर्मा 'राजे' की पुस्तक 'तावारिक ए आगरा' में उल्लेख है कि शाहजहां ने औरंगजेब को दक्षिण का सूबे का दायित्व सौंप कर भेज दिया। इधर, आगरा में शाहजहां ने दारा शिकोह को गद्दी सौंपने की तैयारी शुरू करा दी। बहन रोशनआरा से इसकी गुप्त सूचना मिलते ही औरंगजेब ने अपनी सेना लेकर आगरा की तरफ कूच कर दिया। औरंगजेब को रोकने के लिए दारा शिकोह भी सेना लेकर चल दिया। दोनों सेनाएं सामूगढ में आमने-सामने आ गईं। घमासान युद्ध में 10 मई 1658 को औरंगजेब ने दाराशिकोह को परास्त कर दिया। दारा शिकोह अपनी जान बचाकर भाग खड़ा हुआ। अपनी पहली फतह हासिल करने पर औरंगजेब ने सामूगढ़ का नाम बदलकर फतेहाबाद रख दिया।
ये कराए थे निर्माण
औरंगजेब ने यहां पर 40 बीघा जमीन में बाग लगवाया। चारों कोनों पर चार छतरियां बनवाईं। इस बाग का नाम बादशाही बाग रखा। उत्तरी चहारदीवारी के बीचोंबीच एक भव्य द्वार का निर्माण करवाया, यही द्वार आज तहसील फतेहाबाद का मुख्य द्वार है। दक्षिणी चहारदीवारी में भी द्वार बनवाया गया था, जो अब नष्ट हो चुका है। बाग के बीचोंबीच महल का निर्माण कराया गया था, ये निर्माण हालांकि अब नष्ट हो चुका है।
तमाम कार्यालय हैं बादशाही बाग में
बादशाही बाग परिसर में तहसील कार्यालय, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, वन क्षेत्राधिकारी कार्यालय, पुलिस क्षेत्राधिकारी कार्यालय, उप जिलाधिकारी कार्यालय, सब रजिस्ट्रार कार्यालय, मुंसिफ मजिस्ट्रेट न्यायालय, कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय संचालित है।
औरंगजेब ने कस्बे में एक घुड़साल बनवाया था। अंग्रेजी हुकूमत में यहां पर तहसील मुख्यालय था। वर्तमान में यहां राजस्व खजाना और तहसीलदार का आवास है। इसी की बगल में जामा मस्जिद और कस्बा के बाहर शाही तालाब का निर्माण कराया था।
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