घाटा पूरा करने को किसान लगा रहे दिमाग, योजनाओं का ऐसे उठा रहे लाभ Agra News
खेती के घाटे को पूरा करने के लिए सरकारी योजनाओं का अपने दिमाग से लाभ उठा रहे।
आगरा, संजीव जैन। बरौली अहीर विकास खंड के गांव देवरी अहीर निवासी लाखन सिंह दो एकड़ खेतिहर भूमि के मालिक हैं। उन्हें हर साल लागत पर प्रति एकड़ सात से दस हजार रुपये तक की बचत हो जाती है। इसमें से खर्च के बाद बचे पैसे वे अपने या परिजनों के नाम बैंक या डाकघर में एफडी करा देते हैं या अन्य जगह निवेश करते हैं। अपने तीन बेटों व एक बेटी को प्रख्यात शिक्षा संस्थानों से शिक्षा ग्रहण कराई है। एक बेटा अब सेना व दूसरा पुलिस में है। बेटी बीएड करने के बाद सहायक अध्यापक बन गई है।
गांव सुजगई निवासी भीमसेन तोमर का पांच एकड़ का खेत है। हर साल प्रति एकड़ उन्हें आठ से 12 हजार तक की बचत भी होती है, फिर भी वह इस खेत पर लगातार बैंक या सोसायटी से लोन ले रहे हैं। उन्होंने अपने दो बच्चों के नाम बैंक में एफडी कराई है और मोटर साइकिल भी खरीदी है।
लाखन सिंह व भीमसेन ही नहीं आगरा के ऐसे करीब आठ हजार व पश्चिमी उप्र में सवा लाख से अधिक किसान हैं, जो लगातार अपने खेत पर फसल के लिए लोन ले रहे हैं और मुनाफा निवेश कर कमा रहे हैं। इसकी वजह किसानों को कम ब्याज पर दिए जाने वाले ऋण और किसानी में घाटे की वजह से दूसरे क्षेत्रों में बढ़ा रुझान भी है। एक अप्रैल से 10 दिसंबर, 2019 तक आगरा, अलीगढ़, मेरठ, सहारनपुर, बरेली व मुरादाबाद मंडल में विगत वर्ष की तुलना में 600 करोड़ का अधिक लोन किसान ले चुके हैं। इन किसानों में 22 हजार ऐसे हैं, जिन्होंने पहली बार लोन लिया है। 18 हजार से अधिक ऐसे किसान हैं, जो पहले 50 हजार से 90 हजार का लोन लेते रहे हैं, पर इस बार उन्होंने डेढ़ लाख से अधिक लोन लिया है। उप्र सहकारी समिति, कृषि विभाग, सहकारी बैंक, जिला अग्रणी बैंक प्रबंधक कार्यालय, राज्य भूमि उपयोग परिषद, नियोजन विभाग व भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आइसीएआर) में एग्रोनॉमी विभाग की रिपोर्ट से यह पता चला है।
रिपोर्ट के अनुसार आगरा समेत पश्चिमी उप्र में एक अप्रैल से 10 दिसंबर, 2019 तक बैंकों ने 2426 करोड़ का कर्ज दिया था, जो इस बार बढ़कर 3205 करोड़ हो गया है। लक्ष्य 2500 करोड़ ऋण देने का था, पर उसमें भी 705 करोड़ की बढ़ोत्तरी हुई है।
ऐसे में जिला अग्रणी बैंक प्रबंधक केनरा बैंक सुरेश राम, सहकारी समितियों के संयुक्त निबंधक राजीव लोचन, जिला सहकारी बैंक के महाप्रबंधक कृपा शंकर का मानना है कि आगरा समेत पश्चिमी उप्र का किसान व्यवसायी हो गया है। वह अपनी बचत से दूसरा व्यवसाय कर रहा है, जबकि लोन से खेती।
ये हैं किसान का फार्मूला
कृषि से हुई आय पर आयकर लागू नहीं है। किसान अपनी बचत को और कार्यो में लगाकर लाभ कमा रहा है। कारण यदि मकान के लिए वह बैंक से लोन लेगा तो ब्याज दर 11 प्रतिशत वार्षिक कम से कम रहेगी, जबकि कृषि ऋण आसानी से नौ प्रतिशत ब्याज दर पर मिल रहा है। वह भी पांच प्रतिशत छूट के साथ। जिला अग्रणी बैंक प्रबंधक सुरेश राम के अनुसार तीन लाख तक किसान ऋण पर नौ प्रतिशत ब्याज देय है। यदि किसान लोन राशि को निश्चित समयावधि में बैंक को वापस करता है तो उसे दो प्रतिशत और छूट मिलती है जबकि तीन प्रतिशत केंद्र सरकार छूट पहले से ही दे रही है।
लोन के लिए बढ़ रही युवा किसानों की संख्या
पश्चिमी उप्र में पिछले तीन साल में प्रति किसान 0.8 हेक्टेयर जमीन घट गई है, जिस कारण उपजाऊ जमीन का रकबा कम हो गया है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आइसीएआर)में एग्रोनॉमी विभाग व राज्य भूमि उपयोग परिषद नियोजन विभाग की रिपोर्ट अनुसार 2011 में प्रदेश में प्रति किसान औसत जोत 0.14 हेक्टेयर थी, जो 2017 में घटकर 0.12 हेक्टेयर रह गई। पश्चिमी उप्र में तस्वीर और भयावह है। यहा औसतन जोत 0.10 हेक्टेयर रह गई है। वर्तमान में 240 लाख हेक्टेयर जमीन पर खेती हो रही है। जिला अग्रणी प्रबंधक सुरेश राम ने जोत घटने के पीछे कुछ किसानों में जोत के बंटवारे की बात को स्वीकार किया है। उनका कहना है कि लगातार युवा किसानों की संख्या में इजाफा हो रहा है। आगरा में ही 10356 किसान इस चालू सत्र में ऐसे रहे है, जिन्होंने पहली बार अपनी फसल के लिए लोन लिया है।