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E- Fasting: ई-उपवास रख संस्कृति साझा करेंगे स्वयंसेवक, 22 घंटे तक रहेंगे मोबाइल−गैजेट्स से दूर

E- Fasting शनिवार को रात 12 बजे से रविवार की रात 10 बजे तक ई-उपवास रखने का आह्वान। संघ कुटुंब प्रबोधन इकाई ने की पहल।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Sat, 08 Aug 2020 03:38 PM (IST)Updated: Sat, 08 Aug 2020 03:38 PM (IST)
E- Fasting:  ई-उपवास रख संस्कृति साझा करेंगे स्वयंसेवक, 22 घंटे तक रहेंगे मोबाइल−गैजेट्स से दूर
E- Fasting: ई-उपवास रख संस्कृति साझा करेंगे स्वयंसेवक, 22 घंटे तक रहेंगे मोबाइल−गैजेट्स से दूर

आगरा, जागरण संवाददाता। राष्ट्र भक्ति की भावना का संचार करने और तकनीक में उलझे समाज को भारतीय संस्कृति, इतिहास और परिवार के साथ जोडऩे के लिए आरएसएस निरंतर प्रयास में जुटा है। लॉकडाउन में सहभोज और दूसरे आयोजन संघ ने कराए तो अब ई- उपवास कार्यक्रम निर्धारित किया है। इसमें स्वयंसेवक परिवार 22 घंटा तक मोबाइल, टीवी और दूसरे गैजेट्स से दूर रहेंगे।

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संघ कुटुंब प्रबोधन इकाई ने एकल हो रहे परिवारों को संयुक्त परिवार का महत्व समझाने और गैजेट्स के कारण हो रही संवादहीनता को समाप्त करने के लिए शनिवार को रात 12 बजे से रविवार की रात 10 बजे तक ई-उपवास रखने को कहा है। इसके लिए पूरा कार्यक्रम जारी किया गया है। इस दौरान सोशल साइट, टीवी, लैपटॉप, इंटरनेट पर व्यस्त रहने वालों को उनसे दूर रहना है तो आवश्यक कॉल के अतिरिक्त मोबाइल का प्रयोग नहीं करने को कहा गया है। दो घंटा का मौन व्रत रखने और मोबाइल को भी साइलेंट मोड पर रखने को कहा गया है। अवकाश के दिन परिवार के साथ पूरा समय बिताना, आपस में भारतीय संस्कृति, धाॢमक चर्चा करना और प्रेरक प्रसंग सुनाना भी कार्यक्रम में शामिल हैं। साथ ही सहभोज करने और कार्यो में सहयोग कर दिन बिताने को कहा गया है। विभाग प्रचार प्रमुख मनमोहन निरंकारी का कहना है कि सोशल मीडिया ने परिवार के साथ बिताने वाले समय को छीन लिया है। लोग संचार माध्यमों में अधिक समय दे रहें हैं। इस कारण बच्चों को इतिहास बताने या उससे जुड़े रोचक किस्से सुनाने का समय ही नहीं होता है। संस्कृति, परंपरा और परिवार से जोडऩे को ई-उपवास एक प्रयास है। 

इंटरनेट की आदत वाले सबसे ज्यादा लोग भारत में

लंदन स्थित सर्वे करने वाली संस्था एटी कियरने ग्लोबल की रिसर्च के मुताबिक, इंटरनेट की लत वाले सबसे ज्यादा लोग भारत में हैं। देश के करीब 5 प्रतिशत लोग हमेशा ऑनलाइन रहते हैं। यह किसी भी अन्य देश और वैश्रि्वक औसत की तुलना से अधिक है।

अलग-अलग उम्र में पड़ने वाली लत

- बच्चे: कार्टून व गेमिंग

- टीनएजर्स: डेटिंग साइट्स, सोशल मीडिया, चैटिंग ग्रुप्स

- प्रोफेशनल : अलग-अलग वर्गो के साथ वाट्सएप ग्रुप डेटा वॉर ने बढ़ाई समस्या


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