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आगरा में बना नकली मोबिल ऑयल, East UP में गाडि़यों के इंजन को बना रहा कबाड़

दिल्ली गुरुग्राम और आगरा से 35 रुपये लीटर में खरीदते थे जला हुआ मोबिल आयल। 80 रुपये में होती थी नामचीन कंपनियों के नाम से पैकिंग। बाजार से ग्राहक तक पहुंचने में दस गुना तक हो जाती थी कीमत। कानपुर वाराणसी प्रयागराज में हो रही थी यहां से सप्‍लाई।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Fri, 04 Jun 2021 11:14 AM (IST)Updated: Fri, 04 Jun 2021 11:14 AM (IST)
आगरा में बना नकली मोबिल ऑयल, East UP में गाडि़यों के इंजन को बना रहा कबाड़
आगरा में खंदौली क्षेत्र में नकली मोबिल ऑयल बनाने वाले फैक्‍ट्री पकड़ी गई है।

आगरा, जागरण संवाददाता। खंदौली के पीलाखार में पकड़ी गई नकली मोबिल आयल बनाने की फैक्ट्री में तैयार माल पूर्वांचल के जिलों तक जाता था। काले तेल के कारोबार से जुड़े लोग इसे 35 रुपये में खरीदने के बाद नामचीन कंपनियों के डिब्बों में पैक करके बाजार में बेचते थे। एक लीटर आयल को खरीदने लेकर पैकिंग करने में 80 रुपये खर्च आता था। बाजार से ग्राहक तक पहुंचते-पहुंचते इसकी कीमत दस गुना तक हो जाती थी। खंदौली के पीलाखार में बुधवार को पुलिस और एसओजी ने नकली मोबिल आयल बनाने की फैक्ट्री पर छापा मारा था। मामले में 12 लोगों को गिरफ्तार किया था। यह सभी नकली मोबिल आयल बनाकर उसे नामचीन कंपनियों की पैकिंग में बाजार में बेचते थे।

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आरोपितों ने विस्तृत पूछताछ में पुलिस को काफी जानकारी दी हैं। उन्होंने पुलिस को बताया कि नकली मोबािल आयल की खपत आगरा और उसके आसपास के जिलों तक सीमित नहीं थी। फैक्ट्री से माल पूर्वांचल में कानपुर, प्रयागराज, वाराणसी समेत कई जिलों में भेजा जाता था। यह माल ट्रांसपोर्ट कंपनियों के माध्यम से जाता था। गिरोह ने वहां गैराज मालिकों और आटो मोबाइल कारोबार से जुड़े लाेगों से संपर्क किया हुआ था। उन्हें 150 से 180 रुपये तक में नकली मोबिल आयल का डिब्बा देते थे। जबकि दुकानदार इसे ग्राहक को 300 से 350 रुपये तक में बेचते थे। थानाध्यक्ष अरविंद कुमार निर्वाल ने बताया कि पूछताछ करने पर गिरोह ने बताया कि वह दिल्ली, गुरुग्राम के अलावा आगरा में भी आयल साफ करने वाली फैक्ट्रियों से मोबिल आयल खरीदते थे। इन कंपनियों में जला हुआ आयल साफ करने का प्लांट लगा हुआ है। साफ किया हुआ मोबिल आयल 35 रुपये लीटर में बिकता है। इसका प्रयोग मशीनों में डालने के लिए किया जाता है। गिरोह से जुड़े लोग यहां से 35 रुपये लीटर में आयल खरीदने के बाद अपनी फैक्ट्री में नामचीन कंपनियों के नाम से पैक करते थे। इसमें 80 रुपये प्रति लीटर खर्चा होता था। बाजार में वह 900 मिलीलीटर की पैकिंग बेचते थे।

सनी और अल्लू ने भाई शारिक के नाम से शुरू किया था कारोबार

पुलिस की पूछताछ आरोपित सनी ने बताया कि वह भाई अल्लू के साथ छत्ता के जीनखाना में नकली मोबिल आयल का काम करता था। मगर, छत्ता पुलिस द्वारा पिछले साल गिरफ्तार करके जेल भेजने के बाद वह लोगों की निगाह में आ गया था। इसलिए उसने इस बार भाई शारिक के नाम से यह काम शुरू किया था। इस साल फरवरी में खंदौली में नकली मोबिल आयल की फैक्ट्री शुरू की। इसे उसने 17 हजार रुपये महीने किराए पर लिया था। जगह के मालिक को डिब्बों का गोदाम बनाने की बताया था।

हर तीसरे दिन बाजार में खपा देते थे 150 से 200 कार्टन

नकली मोबिल आयल की फैक्ट्री का माल खपाने की जिम्मेदारी साझीदार शकील और सनी की थी। हर तीसरे दिन 150 से 200 कार्टन बाजार में खपा देते थे। अधिकांश माल पूर्वांचल के जिलों में भेजा जाता था। एक कार्टन में 20 डिब्बे आते हैं। प्रत्येक डिब्बे पर कम से कम 100 रुपये मुनाफा लिया जाता था।

नकली मोबिल आयल से गाड़ियों के इंजन को कर रहे थे कबाड़ा

गिरोह के लोग दुकानदारों और गैराजों पर नकली मोबिल आयल खपा कर गाड़ियों के इंजन से खिलवाड़ कर रहे थे। नकली मोबिल आयल को इंजन में डालकर लंबे समय तक चलाने से वह बैठ जाता है। अपनी गाडियों के लिए पेट्रोल पंप से लेते थे आयल गिरोह के लोगों ने बताया कि बाजार में माल खपाने के साथ ही वह खुद कभी खुले बाजार से माल नहीं खरीदते थे। उन्हें इस बात की आशंका रहती थी कि कहीं नकली मोबिल आयल न हो। इसलिए अपने वाहनों के लिए वह पेट्रोल पंप या अधिकृत एजेंसी से ही मोबिल आयल लेते थे।

शहर और देहात के लिए अलग-अलग होते थे रेट

गिरोह के लोगों ने बताया कि उनका माल खरीदने वाले दुकानदार शहर और ग्रामीण दोनों जगह हैं। दोनों ही जगह के दुकानदार ग्राहकों के लिए अलग-अलग रेट रखते हैं। शहर में कंपनी की कीमत से कम मूल्य पर बेचने से ग्राहक को शक हो सकता है। इसलिए शहर के ग्राहकों को कंपनी रेट से पांच से दस फीसद कम कीमत पर नकली मोबिल आयल देते थे। इससे कि उसे शक न हो। वहीं ग्रामीण इलाकों में कंपनी रेट से काफी कम कीमत पर बेच देते थे।

पूर्व में की गई पुलिस की कार्रवाई पर उठे सवाल, क्यों नहीं जब्त की संपत्ति

पुलिस द्वारा आरोपितों के खिलाफ पिछले साल की गई कार्रवाई को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। छत्ता थाने में आरोपितों के खिलाफ पिछले साल मुकदमा दर्ज किया गया था। उनके खिलाफ गैंगस्टर की कार्रवाई भी की गई। ऐसे में पुलिस ने उनकी संपत्ति जब्त करने की कार्रवाई क्यों नहीं की।


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