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Fake Cop: आगरा में एलआइयू दारोगा बन महिला को धमकी देने वाला गिरफ्तार

Fake Cop भरतपुर का रहने वाला बर्खास्त सिपाही है अारोपित फर्जी पहचान पत्र बरामद। अाइडी पर वैधता तिथि में लिखा अनिश्चितकालीन।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Fri, 14 Aug 2020 10:13 AM (IST)Updated: Fri, 14 Aug 2020 10:13 AM (IST)
Fake Cop: आगरा  में एलआइयू दारोगा बन महिला को धमकी देने वाला गिरफ्तार
Fake Cop: आगरा में एलआइयू दारोगा बन महिला को धमकी देने वाला गिरफ्तार

आगरा, जागरण संवाददाता। एलआइयू का दारोगा बनकर महिला को धमकी देने वाले आरोपित को रकाबगंज पुलिस ने देर शाम गिरफ्तार कर लिया। वह भरतपुर का रहने वाला है। उससे फर्जी पहचान पत्र बरामद किया है। आरोपित राजस्थान पुलिस का बर्खास्त सिपाही है। पुलिस ने उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है।

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इंस्पेक्टर रकाबगंज दिनेश कुमार ने बताया कि नामनेर इलाके की एक महिला को एलआइयू का दारोगा बताने वाला व्यक्ति कई दिन से धमकी दे रहा था। इससे महिला दहशतजदा थी। उसने पुलिस से दारोगा द्वारा धमकी देने की शिकायत की। पुलिस के कहने पर महिला ने देर शाम को दारोगा को नामनेर चौराहे पर बुलाया। पुलिस ने उसे पकड़ लिया, पहचान पत्र दिखाने को कहा। आरोपित ने पहचान पत्र दिखाया तो उसमें एलआइयू लिखा हुआ था। पहचान पत्र जारी करने की तारीख 12 जनवरी 1998 और वैधता की तिथि अनिश्चितकाल लिखी थी। इसके अलावा उसमें उप निरीक्षक की जगह हिंदी में सब इंस्पेक्टर लिखा हुआ था।

पहचान पत्र से पुलिस को शक हो गया। थाने लाकर पूछताछ करने पर आरोपित ने अपना नाम तेजपाल सिंह बताया। वह भरतपुर के चमरौली मोरोनी कला का रहने वाला है। तेजपाल ने बताया कि वह सिकंदरा के सुनारी गांव के दरियाव सिंह के साथ मिलकर जमीनों का काम करता है। जमीनों के सौदे में रकम फंसने पर पार्टी को धमकी देने के लिए वह खुद को एलआइयू का दारोगा बताकर धमकी देता था। फर्जी पहचान पत्र का प्रयोग करता था। यह पहचान पत्र उसने पुलिस लाइन के पास एक दुकान से खरीदा था। इस पर फर्जी हस्ताक्षर कर लिए। इंस्पेक्टर दिनेश कुमार ने बताया कि आरोपित राजस्थान सिपाही का बर्खास्त सिपाही है। उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जा रहा है।

वेतन कम होने पर छोड़ दी नौकरी, सिपाही से बन गया प्राॅपर्टी डीलर

तेजपाल सिंह ने बताया कि वह वर्ष 1996 में कोटा राजस्थान में पुलिस विभाग में सिपाही के रूप में भर्ती हुआ था। मगर, वेतन कम होने और उसके खर्चे ज्यादा होने के चलते एक साल बाद ही उसने नौकरी छोड़कर चला आया। विभाग ने उसे बर्खास्त कर दिया। इसके बाद वह प्रॉपर्टी का काम करने लगा। 


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