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जागरण विमर्श: नई आयकर व्यवस्था, ऑप्‍शन हैं खुले, खुद परखें फिर चुनें Agra News

जागरण विमर्श में सीए संजीव माहेश्वरी ने दी कर व्यवस्था की जानकारी। आय बचत और खर्च का आकलन कर स्व-निर्धारण की सलाह।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Tue, 11 Feb 2020 05:01 PM (IST)Updated: Tue, 11 Feb 2020 05:01 PM (IST)
जागरण विमर्श: नई आयकर व्यवस्था, ऑप्‍शन हैं खुले, खुद परखें फिर चुनें Agra News
जागरण विमर्श: नई आयकर व्यवस्था, ऑप्‍शन हैं खुले, खुद परखें फिर चुनें Agra News

आगरा, जागरण संवाददाता। नई या पुरानी, कौन-सी आयकर व्यवस्था बेहतर है? यह प्रश्न केंद्रीय बजट जारी होने के बाद से लगातार चर्चा में हैं। हर शख्श जानना चाहता है कि वह किस कर व्यवस्था को चुनें। जागरण विमर्श में वरिष्ठ चार्टर्ड एकाउंटेंट संजीव माहेश्वरी ने नई व पुरानी आयकर व्यवस्था के बीच का अंतर बताते हुए, इसकी मंशा से अवगत कराया।

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उनका कहना है कि नई कर व्यवस्था एक अप्रैल 2021 से लागू होगी, इसलिए मौजूदा वित्तीय वर्ष में पुरानी आयकर व्यवस्था सेे ही टैक्स देय होगा। ये सही समय है कि सभी अपने करदेय आय का सही आकलन कर नई व पुरानी आयकर व्यवस्था का अंतर समझें। प्रत्येक करदाता ऐसा करे, क्योंकि सभी की आय, बचत और खर्च अलग-अलग हैं, लिहाजा हर नियम का असर भी अलग-अलग होगा।

इन पर होगी प्रभावी

नई कर व्यवस्था नॉन बिजनेस इनकम और बिजनेस इनकम पर लागू होगी। इसमें नॉन बिजनेस इनकम (सैलरी, इंट्रेंस्ट, किराए से आय और कैपिटल गेन प्राप्तकर्ता) में हर बार दोनों व्यवस्था में से चुनाव करना होगा। जबकि बिजनेस इनकम वाले सिर्फ एक बार चुन सकेंगे कि वह नए में रहेंगे या पुराने में। यदि उन्हें यह पसंद नहीं आती, तो सिर्फ एक बार बदलाव का मौका होगा। इसके बाद वह नई व्यवस्था नहीं चुन सकेंगे।

100 में से 70 बचत होंगी प्रभावित

उन्होंने बताया कि नई कर पद्धति में 100 में से 70 छूट को खत्म कर दिया है। हर व्यक्ति इन 100 या 70 छूट को नहीं ले सकता। छूट खत्म होने से बचत की आदत कम होकर खर्च की आदत बढ़ेगी।

- वेतन पर सभी छूट (टीएलसी, एचआरए, कन्वेंस अलॉउंस, स्टेंडर्ड डिडेक्शन आदि) नहीं मिलेंगी।

- घर पर लिए ऋण पर दो लाख तक के ब्याज में छूट नहीं मिलेगी।

- कारोबार की चल-अचल संपत्ति पर मिलने वाली अतिरिक्त ह्रïास छूट नहीं मिलेगी।

- व्यवसाय में धारा 32एडी, 33एबी, 33एबीए, 35एडी, 35सीसीसी नहीं मिलेंगी।

- साइंटिफिक बिजनेस रिसर्च पर व पिछड़े इलाके में प्लांट-मशीनरी लगाने पर छूट नहीं मिलेगी।

- धारा 10(17) में विधायक और सांसद को मिलने वाला स्पेशल भत्ता बंद।

- पारिवारिक पेंशन पर छूट अब नहीं मिलेगी। (15 हजार या एक पेंशन का एक तिहाई, दोनों में जो कम हो।)

- चैप्टर सिक्स ए में (धारा 80सी से लेकर 80यू तक) 50 से 60 छूट नहीं मिलेंगी।

मिलती रहेंगी यह छूट

- दिव्यांगों की यात्रा भत्ते पर छूट।

- नौकरीपेशा को वाहन भत्ते पर छूट।

- दैनिक भत्ते पर छूट ।

पुराना टैक्स स्लैब

- ढाई लाख तक टैक्स फ्री।

- ढाई से पांच लाख पांच फीसद।

- पांच से दस लाख तक 12,500 प्लस 20 फीसद पांच लाख से अधिक आय पर।

- दस लाख पर 112500 प्लस 30 फीसद 10 लाख से अधिक आय पर।

- 80सी और 80डी समेत कई छूट मिलने से पांच लाख तक की आय टैक्स फ्री हो सकती थी।

नया टैक्स स्लैब

- ढाई लाख तक टैक्स फ्री।

- ढाई से पांच लाख तक पांच फीसद।

- पांच से साढ़े सात लाख तक 10 फीसद।

- साढ़े सात से 10 लाख तक 15 फीसद।

- 10 से साढ़े 12 लाख तक 20 फीसद।

- साढ़े 12 से 15 लाख तक 25 फीसद।

- 15 लाख से अधिक 30 फीसद।

इतना पड़ेगा असर

पुरानी व्यवस्था में 80सी में डेढ़ लाख की छूट काटने के बाद छह लाख 50 हजार तक टैक्स फ्री था। जबकि नई व्यवस्था में पांच लाख से ज्यादा होते ही टैक्स लगना शुरू हो जाएगा। पांच लाख 50 हजार पर 18200, पांच लाख 90 हजार पर 22360, छह लाख पर 23400, साढ़े छह लाख पर 28600 रुपये अतिरिक्त टैक्स देना होगा। जबकि इसके बाद दोनों व्यवस्था में आयकर लगेगा।

ज्यादा आय पर लुभाएगी नई व्यवस्था

उन्होंने मोटे तौर पर बताया कि आठ लाख तक की आय वाले करदाताओं के लिए पुरानी कर व्यवस्था बेहतर है। साढ़े आठ लाख तक आय वाले किसी भी व्यवस्था में जा सकते हैं। हालांकि पहली बार नई आयकर व्यवस्था पहली बार में झटका देती लग सकती है, फिर भी नौ लाख या अधिक आय वालों के लिए नई आयकर व्यवस्था फायदेमंद साबित होगी। सरकार के अनुमान के मुताबिक 69 फीसद लोग नई व्यवस्था अपनाएंगे, 11 फीसद पुरानी में रहेंगे, 20 फीसद में अधिकांश लोग पुरानी को अपनाएंगे। इस तरह 80 फीसद के इस नई व्यवस्था को अपनाने की उम्मीद है।

खर्च ज्यादा, आय सीमित

उन्होंने बताया कि भारत में लोकहितकारी व्यवस्था है, लेकिन आयकर प्रणाली इंग्लैंड से प्रभावित है। इसलिए टैक्स आज भी व्यक्तिगत स्तर पर लगता है, जबकि देश में पारिवारिक व्यवस्था लागू है। लिहाजा यहां पहले खर्च निर्धारण होता है, फिर आय जुटाई जाती हैं। आय जुटाने के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर ही साधन है। जीएसटी भी ज्यादा टैक्स जुटाने के उद्देश्य से लाई गई व्यवस्था है। अब इस व्यवस्था के माध्यम से भी सरकार प्रत्यक्ष कर वसूली में इजाफा कर रही है, लिहाजा अब करदाताओं की संख्या बढ़ाने पर भी पैनी नजर है।  


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