एक करोड़ रुपये बेसहारा गायों के चारे पर खर्च, सरकारी खजाने पर बढ़ रहा भार
नौ स्थानों पर संचालित हो रहे कान्हा पशु आश्रय। 2839 गायों और गोवंश के भोजन पर हो चुका है अब तक ये खर्च।
आगरा, जेएनएन। राज्य सरकार ने बेसहारा गायों को गोशाला और पशु आश्रय स्थलों में सहेजने का काम दो माह पहले शुरू किया था। जिला में नौ पशु आश्रय स्थल भी खोले गए। ऐसे आश्रय स्थलों में रह रहे पशुओं के दाने-चारे पर सरकार के अब तक एक करोड़ से ज्यादा रुपये खर्च हो चुके हैं। इसके अलावा निकायों की भी राशि अलग से खर्च हुई है। इसके बाद भी गोवंशीय पशु खेतों और शहर की राहों पर विचरण करते हैं। इसके लिए अधिकारी नागरिकों को जिम्मेदार बताते हैं। इधर राजकोष पर भार भी बढ़ता जा रहा है।
प्रदेश की सत्ता में आने के बाद भाजपा ने किसानों के लिए सिरदर्द बनी बेसहारा गायों के संरक्षण को जिला में कई योजनाएं लागू की। घिरोर में डेढ़ करोड़ की लागत से पशु संरक्षण केंद्र के अलावा शहर और सात स्थानों पर कान्हा पशु आश्रय बनाए गए। जिला में ऐसे पशु आश्रय केंद्र मैनपुरी के अलावा घिरोर, कुरावली और कुसमुरा समेत पांच स्थानों पर तैयार हो चुके हैं, जबकि चार और कस्बों में कान्हा पशु आश्रय बनाने का काम अभी चल रहा है। ऐसे चार केंद्रों में गायों को निकायों के जरिए अस्थाई केंद्रों में रखा गया है।
दो माह में एक करोड़ खर्च
जिले के पांच पक्के और चार अस्थाई कान्हा पशु आश्रयों में इन दिनों 2839 गायों का भरण-पोषण निकाय और सरकार के सहयोग से हो रहा है। इन बेसहारा गायों को दो माह के दौरान भोजन-दाना खिलाने पर ही प्रशासन के एक करोड़ से ज्यादा रुपये खर्च हो चुके हैं, जबकि निकायों के इंतजाम अलग से हो रहे हैं। शहर के कान्हा पशु आश्रय की देखरेख करने वाले कर्मचारी ने बताया कि सरकार से एक गाय का पेट भरने को तीस रुपये मिलते हैं, जो कम हैं।
अभी नहीं बदल रही सोच
बेसहारा गोवंश को लेकर हो-हल्ला मचाने वाले भले ही शांत हो गए हैं, लेकिन शहर, कस्बों के अलावा गांवों में ऐसा गोवंश अभी भी नजर आता है। इसके लिए पशु पालन विभाग, गो पालकों को जिम्मेदार बताता है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि शहर में कुछ गोपालक दूध निकालने के बाद गोवंश को सड़कों पर छोड़ रहे हैं। चुनाव बाद कार्रवाई होगी।
बेसहारा गोवंश को पांच पक्के और चार अस्थाई कान्हा पशु आश्रयों में रखा जा रहा है। निकायों को इनके संचालन की जिम्मेदारी मिली है। विभाग को भोजन-दाने के लिए प्रशासन से एक करोड़ की राशि अब तक दी गई है।
डॉ. पुष्प कुमार, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी