यूरो का बढ़ा मोल, महंगी हुई निशानेबाजी
यूरो के रेट बढ़ने से खिलाड़ियों को एयर पिस्टल व कारतूस मंगाने में पूर्व की अपेक्षा अधिक रकम खर्च करना पड़ रहा हैै। एक वर्ष में ही यूरो के रेट करीब 10 रुपये तक बढ़ गए हैं।
आगरा(जागरण संवाददाता): भारतीय मुद्रा के निरंतर अवमूल्यन से निशानेबाजी का खेल अब और महंगा हो गया है। यूरो के रेट बढ़ने से खिलाड़ियों को एयर पिस्टल व कारतूस मंगाने में पूर्व की अपेक्षा अधिक रकम खर्च करना पड़ रहा हैै। एक वर्ष में ही यूरो के रेट करीब 10 रुपये तक बढ़ गए हैं। एक साल पहले यूरो 69 रुपये का था, अब 79 रुपये का हो गया है।
एकलव्य स्पोर्ट्स स्टेडियम की 10 मीटर एयर पिस्टल व 25 मीटर राइफल शूटिंग रेंज में वर्तमान में छह दर्जन से अधिक खिलाड़ी प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। निशानेबाजी एक महंगा खेल है। आगरा के खिलाड़ी एयर पिस्टल व राइफल जर्मनी से मंगाते हैं। उन्हें यूरो में भुगतान करना पड़ता है। एक वर्ष पहले तक एयर राइफल जहां 1.5 लाख रुपये की आ रही थी वह अब 1.70 लाख रुपये की आ रही है। कुछ यही स्थिति एयर पिस्टल की भी है। पहले एयर पिस्टल 1.25 लाख रुपये से 1.35 लाख रुपये की आ रही थी। अब इसकी कीमत 1.54 लाख रुपये से 1.60 लाख रुपये तक पहुंच गई है। एयर पेलेट जहां पहले 600 रुपये के आते थे, वर्तमान में वह 660 रुपये के आ रहे है। .22 बोर का कारतूस पहले 26 रुपये का था, जो अब 28 रुपये का हो चुका है। इसी तरह .32 बोर का 65 रुपये वाला कारतूस 100 रुपये का हो चुका है। .32 बोर कारतूस पर कस्टम ड्यूटी लगने से यह स्थिति हुई है।
स्टेडियम के शूटिंग कोच विक्रांत तोमर ने बताया कि एक साल में एक यूरो का भाव 10 रुपये तक बढ़ गया है। इससे उपकरण, एयर पैलेट आदि सभी के दाम काफी बढ़ गए हैं।
राष्ट्रीय खिलाड़ियों को मिलती है छूट:
स्टेडियम के शूटिंग रेंज प्रभारी रोहित जैन बताते हैं कि निशानेबाजी उपकरण व एयर पेलेट व कारतूस मंगाने में राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों को कस्टम व जीएसटी में छूट मिलती है। वहीं क्लब द्वारा राइफल, पिस्टल, एयर पेलेट व कारतूस मंगाने पर 18 फीसद जीएसटी देना होता है।