सरकारी बाबुुुुओं का कमाल, आयुष्मान योजना में बाबा से बड़ा कर दिया नाती
आयुष्मान गोल्डन कार्ड में बड़ी गड़बडिय़ां। उपचार के दौरान फंसेगा पेेंच परेशान हो रहे लाभार्थी।
आगरा, पुनीत रावत। शिवपुरी कॉलोनी में रहने वाले शिवप्रसाद के घर पहुंची डाक से परिवार खुश और बेफ्रिक था। सरकार की शान में कसीदे काढ़े जा रहे थे, क्योंकि हाथ में आया था आयुष्मान गोल्डन कार्ड। वही कार्ड जिससे पांच लाख तक का इलाज मुफ्त में होना है। मगर कार्ड पढ़े तो खुशी हैरानी में बदल गई,क्योंकि कार्ड में शिवप्रसाद से अपने नाती से ही छोटे बताए गए है।
मोदी सरकार ने अपने पहले टर्म में महात्वाकांक्षी योजना आयुष्मान भारत शुरू हुई। इसमें 2011 से हुए गरीबी रेखा के दायरे में आने वाले परिवारों का चयन होना था। फीरोजाबाद के पहले चरण में 2.25 लाख परिवार इस योजना में शामिल किए गए, जिनका कार्ड बनाए जाना था। अब तक लगभग 32 हजार कार्ड बन चुके हैं और काम प्रगति पर है। इसी क्रम में टूंडला के नौ सदस्यीय परिवार के मुखिया शिवप्रसाद के यहां कार्ड पहुंचा। इस कार्ड में शिवप्रसाद की जन्म तिथि 1952 दर्ज की गई और उनके नाती पीयूष की जन्म तिथि 1949 दर्ज है। शिवप्रसाद के बेटे संजीव कुमार की जन्म साल 2003 अंकित है। बड़े बेटे संतोष कुमार का जन्म 1954 दर्शाया है जो पिता से मात्र दो साल छोटे हैं।
यही हाल शिवपुरी कॉलोनी में रहने वाली रमेश चंद्र शर्मा के परिवार की है। 65 वर्ष की उम्र के बाद उनका निधन हो चुका है। कार्ड में उनकी उम्र 44 साल दर्शाई गई है। इसी तरह करीब 48 वर्षीय रेखा शर्मा की उम्र 17 वर्ष और उनकी बेटी योगिता की उम्र 38 साल दर्शाई है। यानि बेटी मां से भी उम्र में बढ़ी है।
पेट्रोल पंप स्वामी व व्यापारियों के भी बन गए कार्ड
फीरोजाबाद रोड स्थित एक पेट्रोल पंप स्वामी का नाम भी आयुष्मान भारत कार्ड की सूची में है। वहीं कुछ व्यापारी भी कार्ड पा चुके हैं। कार्ड बनवाने के लिए भटक रहीं एटा रोड निवासी विमलेश देवी का कहना है कि परिवार में कोई सरकारी नौकरी में नहीं है फिर भी उनके घर में किसी का नाम पात्रता सूची में नहीं आया है। जबकि उनके आस-पास सरकारी नौकरी करने वाले तमाम लोगों के नाम पात्रता सूची में शामिल कर लिए गए हैं।
'कार्ड 2011 की सामाजिक आर्थिक जनगणना के आधार पर बनाए जा रहे हैं। इसमें हम कुछ नहीं कर सकते। जिन लोगों के कार्ड पर जन्म तिथि गलत पड़ गई है, वे कार्यालय में प्रार्थनापत्र दाखिल कर दें। इसे लखनऊ से संशोधित करा दिया जाएगा। लाभ लेने के लिए संशोधन कराना जरुरी है'।
डॉ.एसके दीक्षित, सीएमओ
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