World Environment Day: पेड़ों से जंग में यहां ठंडी हो जाती है तपिश
शहर में सबसे ज्यादा 17 फीसद हरियाली दयालबाग क्षेत्र में। हर साल लगाए जाते हैं 10 हजार पौधे।
आगरा, गौरव भारद्वाज। पेड़ों की कतारें और मौसम में ठंडक यहां की खास आबोहवा का अहसास करा देती है। सूरज की तपिश भले ही पूरे शहर को बेहाल कर देती है मगर यहां हरियाली से जंग लड़ते-लड़ते तपिश ठंडी पड़ जाती है। गर्मी में यहां का तापमान शहर की अपेक्षा दो डिग्री कम ही रहता है।
डीईआइ के पर्यावरण वैज्ञानिक डॉ. रंजीत कुमार सिंह ने बताया कि भू-विज्ञान के तहत 25 फीसद हिस्सा हरियाली भूमि आच्छादित होनी चाहिए। मगर, वर्तमान में पेड़ों की कटान के चलते हरियाली घटकर औसतन आठ फीसद तक रह गई है। हालांकि दयालबाग क्षेत्र में 17 फीसद हरियाली भूमि है। दयालबाग संस्थान में हुए शोध में स्पष्ट हुआ है कि हरियाली के कारण ही यहां पर शहर के अन्य हिस्सों की तुलना में करीब दो डिग्री तापमान कम रहता है। शोध के मुताबिक, छावनी क्षेत्र में भी हरियाली अधिक होने के चलते वहां पर तापमान कम रहता है।
हर साल लगाए जाते हैं 10 हजार पौधे
दयालबाग क्षेत्र में हर साल १० हजार पौधे रोपे जाते हैं। पर्यावरण के लिए काम करने वाली संस्था स्पीहाज् के मीडिया प्रभारी शब्द मिश्र ने बताया कि संस्था द्वारा पौधों की देखरेख भी की जाती है।
भारत में एक व्यक्ति पर केवल 28 पेड़
डॉ. रंजीत कुमार ने बताया कि भारत में प्रति व्यक्ति 28 पौधे हैं। जबकि चाइना में 102 पौधे हैं। यूएसए में 716, ब्राजील में 1494 पौधे हैं। विश्व में सबसे ज्यादा प्रति व्यक्ति पौधों की संख्या कनाडा में है। यहां औसतन प्रति व्यक्ति 8943 पौधे हैं। एक व्यक्ति को आक्सीजन के लिए औसतन के लिए सात से आठ पौधों की जरूरत पड़ती है।
हर कॉलोनी है हरी-भरी
दयालबाग में राधास्वामी सत्संग सभा की १३ कॉलोनियां हैं। इन कॉलोनियों में हर घर के बाहर एक पेड़ और गमले में अलग-अलग तरह के पौधे लगे रहते हैं।
नहीं करते एसी का उपयोग
सत्संग सभा की कॉलोनियों में पर्यावरण संरक्षण और ग्लोबल वार्मिग को देखते हुए एसी का प्रयोग नहीं किया जाता है। इन कॉलोनियों में करीब एक हजार परिवार रहते हैं।
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