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Healthy Environment: सुकून की लीजिए सांस, लॉकडाउन में लौटी 19वीं शताब्दी वाली आबोहवा

Healthy Environment आंबेडकर विवि के रसायन विभाग के शिक्षकों ने वायु प्रदूषण पर शोध। 10 मार्च से आठ जून तक पांच चरणों में एकत्र किए आंकड़ें। सूक्ष्म कणों और धूल कणों में आई कमी।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Tue, 04 Aug 2020 08:19 AM (IST)Updated: Tue, 04 Aug 2020 08:19 AM (IST)
Healthy Environment: सुकून की लीजिए सांस, लॉकडाउन में लौटी 19वीं शताब्दी वाली आबोहवा
Healthy Environment: सुकून की लीजिए सांस, लॉकडाउन में लौटी 19वीं शताब्दी वाली आबोहवा

आगरा, प्रभजोत कौर। लॉकडाउन के दौरान आगरा और ब्रज क्षेत्र की हवा भी साफ हुई है। शहर की एयर क्वालिटी इंडेक्स ने प्रदेश के सभी जिलों को पछाड़ दिया है। लंबे समय बाद जिले में पर्यावरण की हालत सुधरी है। ऐसा 19वीं सदी के शुरूआती दौर में हुआ करता था, लेकिन जैसे-जैसे देश तरक्की करता गया, देश के साथ ही ताजनगरी की आबोहवा भी खराब होती चली गई। आगरा का एक्यूआई 350 से 400 के बीच ही रहा है लेकिन लॉकडाउन के बाद से आगरा समेत पूरे ब्रज क्षेत्र की आबोहवा में सुधार हुआ है। शहर का एयर क्वालिटी इंडेक्स लॉकडाउन के बाद से 150 से पार नहीं हुआ है। डॉ. भीमराव आंबेडकर विवि मेंं रयासन व‍िभाग के शिक्षक प्रो. अजय तनेजा व डा.अतर स‍िंंह ने बकायदा लॉकडाउन के दौरान एयर क्वालिटी इंडेक्स पर शोध क‍िया है। उनका मानना है क‍ि पीएम 2.5(सूक्ष्म कण) में 60 प्रतिशत तक और कार्बन मोनोक्साइड में 45 प्रतिशत तक का अंतर आया है।

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पांच चरणों में किया शोध

शोध को पांच चरणों में 10 मार्च से आठ जून के बीच में किया गया है। पहला चरण प्री लॉकडाउन रहा, जो 10 से 24 मार्च के बीच में रहा। प्रथम चरण 25 मार्च से 14 अप्रैल, दूसरा चरण 15 अप्रैल से तीन मई तक, तीसरा चरण चार मई से 17 मई और अंतिम चरण 18 मई से सात जून तक का रखा गया। शोध के लिए यूनाइटेड नेशंस एनवायरमेंटल प्रोग्राम के तहत सदर में लो कॉस्ट सेंसर डिवाइस लगाई गई है, जो वायु प्रदूषण की सही आंकलन करती है। शोध में पीएम 2.5 यानी सूक्ष्म कण, पीएम 10 यानी धूल कण, गैसियस पोल्यूटेंट यानी कार्बन मोनोक्साइड, कार्बन डाइअॉक्साइड, सल्फर डाइअॉक्साइड, नाइट्रोजन डाइअॉक्साइड के प्रतिशत पर नजर रखी गई।

चरणों में कम हुआ वायु प्रदूषण

प्री लॉकडाउन अवधि में पीएम 10 144.84, पीएम 2.5 60.44, सीओ 1.06, सीओ 2 420.12, एनओ 253.30, एसओ 2 21.32

ओ3 यानी ओजोन 6.50 माइक्रोमीटर प्रति यूनिट रहा। पहले से चौथे चरण तक पीएम 10 में छह से 33 प्रतिशत, पीएम 2.5 में 30 से 60 प्रतिशत, सीओ में 44 प्रतिशत, एसओ 2 में आठ से 15 और एनओ 2 में 30 से 40 प्रतिशत की कमी आई है।

बढ़ गया ओजोन का स्तर

पर्यावरण में मौजूद सभी प्रदूषण कारकों में जहां कमी आई है, वहीं एटमोसफ्रिक ओजोन में तीन गुना इजाफा हुआ है। इसके पीछे बढ़ते तापमान में सेकेंडरी पार्टिकल का मिलना माना जा रहा है। ओजोन के बढ़ते आंकड़े से त्वचा संबंधी समस्याएं आएंगी। फसल पर भी इसका असर पड़ेगा। वहीं अन्य तत्वों में कमी इसलिए आई है क्योंकि लॉकडाउन में वाहन नहीं चले और फैक्ट्रियां भी बंद रहीं।

यह है एक्यूआई के मानक

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा तय मानकों के अनुसार एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) शून्य से 50 तक हो। वह सबसे अच्छा माना जाता है। उसी प्रकार 51 से 100 तक AQI वाले शहर को संतुष्टिजनक और 100 से 200 वाली श्रेणी को मध्यम तथा 200 से 300 वाली श्रेणी के शहर को गंभीर स्थिति में माना जाता है।

दो दिन की बंदी बनेगी लाभदायक

शोधकर्ता डा. अतर सिंह का मानना है कि सप्‍ताह में दो द‍िन यद‍ि लॉकडाउन रहता है तो हम 19 वीं सदी के दौर में वापस लौटेंगे। लंबे समय में पर्यावरण को काफी नुकसान हो चुका है। चार महीने के लॉकडाउन में सुधार आया है, लेकिन मानक अभी भी ज्यादा हैं।

वायु प्रदूषण में कमी तो आई है लेकिन अभी भी हमें काफी समय लगेगा। हर हफ्ते दो दिन की बंदी से हमें कितने महीनों में लाभ होगा, इसका भी आंकलन किया जा रहा है।- प्रो. अजय तनेजा 


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