पौधारोपण की Planing बड़ी- बड़ी फिर भी हरियाली हो गई कम, ये है हाल Agra News
अभियान के तहत सरकारी विभाग पौधे लगाकर भूल जाते हैैं। आठ वर्ष में पौधे ट्री-गार्ड से बाहर तक नहीं निकले हैं।
आगरा, जागरण संवाददाता। ताजनगरी का प्रदूषण कम करने के लिए वन विभाग हर वर्ष करोड़ों रुपये खर्च करके लाखों पौधे लगाता है। इन पौधों के लिए बड़ी-बड़ी प्लानिंग के साथ कागजों पर नक्शे तैयार होते हैैं। अभियान के तहत सरकारी विभाग पौधे लगाकर भूल जाते हैैं। आठ वर्ष में पौधे ट्री-गार्ड से बाहर तक नहीं निकले हैं और जंगलों में हरे पेड़ों की खूब कटाई हो रही है। यही कारण है कि आगरा में हरियाली बढऩे के बजाय और कम हो गई है।
वन विभाग की ओर से ताज नेचर वॉक में पौधारोपण किया गया था। ये ट्री-गार्ड में ही दबकर रह गए हैैं। यही हाल यमुना किनारे पर लगे पौधों का है। इन्हें भी बेसहारा पशु खा जाते हैैं। इसके अलावा अगस्त, 2019 में पौधारोपण अभियान में लगे पौधे दम तोड़ रहे हैैं। इसमें वन विभाग के अलावा 25 विभागों ने अपना-अपना लक्ष्य पूरी किया था, लेकिन सभी विभागों ने उलटे सीधे लगा दिए। नगर निगम द्वारा हाथी घाट पर यमुना में लगाए गए पौधे इसका सजग उदाहरण हैं।
अब पट्टिका भी मिटाने के इरादे
वन विभाग की ओर से 15 अगस्त, 2013 में बाबरपुर के पास जंगल में पौधारोपण कराया गया था। इसमें तत्कालीन मंडलायुक्त प्रदीप भटनागर, तत्कालीन राज्य मंत्री अंजुला महौर, तत्कालीन जिला अधिकारी जुहेर बिन सगीर,तत्कालीन पुलिस अधीक्षक पवन कुमार, तत्कालीन आवास विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष अजय चौहान, तत्कालीन वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक शलभ माथुर, तत्कालीन प्रभागीय निदेशक एनके जानू ने पौधे लगाए थे और सभी अधिकारियों के नाम की पट्टिका भी लगी थीं। अब यहां पर पौधे तो सूख कर खत्म हो गए हैैं और पट्टिकाएं भी गायब करने के इरादे से उखाड़ दी गई हैैं।
यह घटी हरियाली
फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार आगरा का हरित क्षेत्र 9.38 वर्ग किलोमीटर घट गया है। वर्ष 2017 की रिपोर्ट में हरित क्षेत्र 272 वर्ग किलोमीटर था, जो ïवर्ष में 2019 में घटकर 262.62 वर्ग किलोमीटर रह गया। खुले जंगल 9.06 वर्ग किलोमीटर और मध्यम घनत्व वाले जंगल में 0.32 वर्ग किलोमीटर की कमी पाई गई। इस कारण झाडिय़ों का क्षेत्रफल 11.14 किलोमीटर बढ़ा है।
ये हुआ पौधारोपण
वर्ष- 2017-18
-177 हेक्टेयर जमीन में 11.79 लाख पौधे लगाए गए।
बाह के गांव- विचौला, चंदौली, बटेश्वर, किठौली, होलीपुरा।
पिनाहट के गांव- बर्द गुर्जर, बलाई, सेहा, अरनौटा।
फतेहाबाद के गांव- साबिद, बहेड़ी, पारौली गुर्जर, गिधरोन, सिलबली।
जैतपुर के गांव- कचौरा, गड़वार, पारना, मकतरी, चोरंगा, चौगवा।
वर्ष- 2018-19
- 243 हेक्टेयर जमीन में 20.67 लाख पौधे लगाए गए।
पिनाहट के गांव- मनोवा, जेहरा, रजौरा, विचौली।
बाह के गांव- बटेश्वर, विक्रमपुर।
जैतपुर के गांव- गढ़वाल, सजैती।
फतेहाबाद के गांव- साकरी खुर्द, खंडेल।
खेरागढ़ के गांव- सिचौली, कैपाली।
वर्ष-2019-20
- 766 हेक्टेयर जमीन में 8.61 लाख पौधे वन विभाग ने लगाए।
-खेरागढ़, फतेहाबाद, पिनाहट, जैतपुर, बिचपुरी, अरतौनी, रुनकता, मघटई, कैपाली, गंगाबंद, सनीखुर्द, सैदी आदि गांवों में लगे।
होगी जांच
पौधारोपण के दौरान लगी पट्टिकाएं किसने उखाड़ी हैं। मामला संज्ञान आया है। ये किसने उखाड़ी हैैं। इसकी जांच कराई जाएगी।
मनीष मित्तल, डीएफओ