एनजीटी के चाबुक से गोवर्धन का स्वरूप बदलने की कवायद, जानिये कैसे बदलेगा धार्मिक स्थल का रूप
वक्त के साथ बदल गया है गोवर्धन पर्वत का स्वरूप। अतिक्रमण से निपटारे के लिए एनजीटी के आदेश पर हटाए जा रहे हैं अवैध निर्माण।
आगरा, राजेश मिश्रा। भौगोलिक आकार का कोई ठोस पैमाना तो नहीं है, मगर सुना जरूर है कि गोवर्धन पहाड़ की परछाई बरसाना स्थित राधारानी के मंदिर पर पड़ती थी। गिरिराज यानि पर्वतों के राजा जो हैं। गगनचुंबी चोटी और सात कोस का विशालकाय दायरा। सिर्फ चार दशक पहले तक की बात है। दूर-दूर तक जंगलात थे। पेड़ों के झुरमुट इतने कि परिक्रमार्थी राह की भूलभुलैया में फंस जाते थे। इतनी सघन झाडिय़ां कि हाथों से तार-तार कर राह दिखाई दे पाती। और, अपार ब्रजरज में श्रद्धालुओं के पांव धंस जाते। आस्था की लहरें तेज हुईं। तिथियों विशेष पर श्रद्धा का समंदर उमडऩे लगा। गिरिराज जी के भक्तों के प्रति उमड़े सेवाभाव ने जन्म लिया तो संसाधनों और सुविधाओं की कतारें खड़ी हो गईं। सूरज के अस्ताचल में जाते ही थमने वाले कदम अब रात में भी चलायमान रहते हैं। या यूं कहिए कि गोवर्धन में अब रात ही नहीं होती। बदलाव की इस दौड़ और होड़ में सेवाभावी प्रकल्प के संकल्प को पूरा करने के प्रारूप ने गिरिराज के स्वरूप को ही मनमानी से आच्छादित कर दिया। भक्तिभाव में डूबे और प्रकृति के श्रंगार के पैरोकारों ने पर्यावरण के संरक्षक राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के दर पर अर्जी लगाई। एनजीटी ने दो टूक फैसला दे दिया कि गोवर्धन के स्वरूप को बिगाड़ रहे सभी प्रारूपों को तत्काल तहस- नहस कर दिया जाए। आदेश के अनुपालन में प्रशासन ऐसा कर भी रहा है। होना भी चाहिए। हां, अगर ये पहले ही हो जाता तो इतना हल्ल न होता। दानघाटी और मुकुट मुखारविंद मंदिर के पट नहीं होते। हजारों श्रद्धालु अपने आराध्य के दर्शन किए बगैर न लौटते। हां आज के परिवेश मेंएनजीटी का वास्ता देकर प्रशासन अतिक्रमण पर हथौड़ा खूब चलाए, मगर शर्त ये है कि यहां की पौराणिक महत्ता बरकरार रहे, तलहटी की सुंदरता और निखरे। श्रद्धालुओं को सहूलियत मिलें।
एनजीटी के आदेश के बाद मची खलबली
परिक्रमा मार्ग पर तो एनजीटी का पूरा जोर है। खलबली मच गई। आश्रमों, गेस्ट हाउसों ही नहीं, प्रमुख मंदिरों का भी चैन छिन गया। कई महीनों तक माहौल को भांपने के बाद प्रशासन ने अतिक्रमण ध्वस्त कराना शुरू भी कर दिया। मगर प्रमुख दानघाटी मंदिर के आरती स्थल पर पक्के निर्माण के ध्वस्तीकरण का हल्ला मच गया। विरोधस्वरूप पहली बार मंदिर के पट बंद किए गए। दो दिनों तक हजारों श्रद्धालु अपने आराध्य के दर्शन नहीं कर पाए। स्थानीय लोग हों या श्रद्धालु, हर किसी के मन में यही संशय है कि अतिक्रमण हो क्यों गया? अतिक्रमण ध्वस्त कराने के बाद क्या दृश्य होगा? तलहटी का स्वरूप और कैसे निखरे?
परिक्रमा मार्ग पर अतिक्रमण की लगी है होड़
वैसे परिक्रमा मार्ग पर अतिक्रमण की भी होड़ लगी रही। परिक्रमा मार्ग में गिरिराजजी की तरफ अतिक्रमण सुरसा के मुंह की तरह बढ़ता गया। दानघाटी मंदिर के सामने पर्वत पर ही पक्के निर्माण बना दिए गए। दानघाटी मंदिर मथुरा- अलवर मार्ग पर है। वाहनों का आवागमन बना रहता है। यहां से पैदल परिक्रमा मार्ग भी है, मंदिर के सामने से ही वाहनों का आवागमन है। मुकुट मुखारविंद मंदिर की शाखा हरगोकुल मंदिर पर्वत पर बना है। इसमें एक गेस्ट हाउस का निर्माण भी हो चुका है। जतीपुरा मुखारविंद मंदिर का रास्ता काफी संकरा है। संकरी गलियों में दुकानों के सामने लगी टेबिल और सामान से रास्ता इतना संकरा हो जाता है कि दो तीन लोग साथ नहीं निकल सकते। आन्यौर में गोवर्धन पर्वत से सटकर तमाम मकान बने हैं। पूंछरी पर सुलभ शौचालय के साथ मंदिर और गेस्ट हाउस का निर्माण हो चुका है। जतीपुरा में गिरिराजजी के समीप बना मार्ग काफी संकरा है। राधाकुंड परिक्रमा शुरू होते ही गिरिराजजी की तरफ अतिक्रमणों की लंबी कतार है। तमाम आशियाने और मंदिर बन चुके हैं। राधाकुंड कृष्ण कुंड मार्ग काफी संकरा है। कुंड के घाटों पर ही आश्रम बने हैं। मेला के दौरान निकलना दूभर हो जाता है। अहोई अष्टमी मेला के दौरान भीड़ का बहुत दबाव बन जाता है। दसविसा में महाराज भरतपुर की तमाम छतरियां बनी हैं। प्रशासन की नजर फिलहाल हरगोकुल मंदिर और आरती स्थल जैसे बड़े अतिक्रमणों पर है। एसडीएम की मानें तो अभी 33 स्थलों पर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई होनी है।
इजाजत मिली तो यूं संवरेगा गोवर्धन
याची के अधिवक्ता सार्थक चतुर्वेदी बताते हैं कि गोवर्धन के सुंदरीकरण को सरकार ने 19 करोड़ की योजना न्यायालय में प्रस्तुत की है, जोकि विचाराधीन है। योजना में गिरिराजजी के चारों तरफ स्टील की ग्रिल लगाना, हेरीटेज लुक वाली अच्छी लाइटें, साउंड सिस्टम तथा प्रत्येक खंबे पर सीसीटीवी कैमरा लगाए जाने हैं। सीसीटीवी कैमरा का कंट्रोल रूम थाना गोवर्धन के समीप होगा। अगर माननीय न्यायालय ने परमीशन दी तो जल्द परिक्रमा मार्ग में उक्त विकास नजर आएगा।
परिदृश्य तो ऐसे भी बदल जाएगा
- गोवर्धन में श्राइन बोर्ड बनना है। इसके अंतर्गत परिक्रमा मार्ग में श्रद्धालुओं को टॉयलेट आदि जनसुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी।
- रिंगरोड का निर्माण जल्द होना है, जिससे वाहनों का आवागमन गोवर्धन से बाहर हो जाएगा।
-परिक्रमा मार्ग में सर्विस रोड बनना है, स्थानीय लोग सर्विस रोड से अपने गंतव्य तक पहुंच सकें।
-नो व्हीकल जोन के अंतर्गत परिक्रमा मार्ग में सिर्फ एम्बुलेंस और सुरक्षा बतौर पुलिस के वाहन चलेंगे।
गोवर्धन की खास बातें
- साढ़े दस किमी क्षेत्रफल में फैला है गोवर्धन पर्वत।
- 21 किलोमीटर की गोवर्धन की परिक्रमा है।
- गोवर्धन परिक्रमा में प्रत्येक महीना की पूर्णिमा, शनिवार और रविवार को श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ता है।
- राजकीय मेला मुडिय़ा पूर्णिमा पर पांच दिन में करीब एक करोड़ श्रद्धालु गोवर्धन पहुंचते हैं।
- परिक्रमा मार्ग में करीब तीन सौ मंदिर हैं।
- परिक्रमा मार्ग पर करीब दो सौ आश्रम हैं।
- श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए करीब छह सौ आश्रम बने हैं।
- दानघाटी मंदिर से परिक्रमा शुरू करते ही दाहिने हाथ पर गिरिराजजी के दर्शन शुरू हो जाते हैं।
- पहली पड़ाव आन्यौर है। श्रीनाथजी का प्राकट्य स्थल, गोविंदकुंड यहां के मुख्य मंदिर हैं।
- आन्यौर से निकलते ही दाऊजी का मंदिर है। यहीं से राजस्थान की सीमा शुरू हो जाती है।
- गोवर्धन परिक्रमा का डेढ़ किमी का एरिया राजस्थान में है।
- पूंछरी का लौठा यहां का मुख्य मंदिर है।
- जतीपुरा के मुखारविंद मंदिर जाने वाले रास्ते में तीन लोग एक साथ नहीं निकल सकते।
- जतीपुरा गिरिराजजी और श्रीनाथजी मंदिर मुख्य मंदिर की श्रेणी में आते हैं।
- जतीपुरा से गोवर्धन तक परिक्रमा मार्ग तीन भागों में विभाजित हो जाता है- दो कच्चे मार्ग हैं, एक सड़क मार्ग।
- छोटी परिक्रमा शुरू होते ही गिरिराजजी की तरफ तमाम मकान, आश्रम और मंदिर बने हैं।
- उद्धवकुंड मंदिर के सामने करीब 50 मीटर मार्ग काफी संकरा है।
- गोवर्धन से राधाकुंड के बीच में पंचममुखी हनुमान, उद्धवकुंड मुख्य दर्शनीय स्थल हैं।
- राधाकुंड का बड़ा महत्व है।
- निसंतान दंपति अहोई अष्टमी की रात्री संतान प्राप्ति को कुंड में गोते लगाते हैं।
- राधाकुंड कृष्णकुंड का मार्ग काफी संकरा है।
- गोवर्धन के विकास को गिरिराज परिक्रमा संरक्षण संस्थान द्वारा वर्ष 2013 में याचिका दाखिल की गई थी।
- गोवर्धन पर्वत को संरक्षित करने के लिए याचिकाकर्ता आनन्द गोपाल दास व सत्य प्रकाश मंगल की याचिका पर चल रही है सुनवाई।
-2013 से 2018 अब तक 4 वर्ष से ज्यादा का समय से लंबित है याचिका।
- गोवर्धन जी के विकास व श्री गिरिराज पर्वत के संरक्षण और परिक्रमार्थियों की सुविधा को लेकर 17 बिंदुओं पर आधारित निर्णय न्यायालय द्वारा।
- 2015 में दिया गया था जिसको उ प्र सरकार ने पूर्णतया क्रियान्वयन करना स्वीकार किया था।
- गोवर्धन परिक्रमा मार्ग में चार पहिया वाहनों के प्रवेश पर पूर्ण प्रतिबंध है।
- एनजीटी के आदेश पर प्रशासन ने परिक्रमा मार्ग को नो व्हीकल जोन घोषित कर रखा है।
- गोवर्धन परिक्रमा मार्ग को नो कंस्ट्रक्शन जोन की श्रेणी में रखा गया है।
क्या कहते हैं अधिकारी और स्थानीय लोग
अवैध निर्माण पहले ही क्यों नहीं रोके गए? अब उन्हें बेरोजगार क्यों किया जा रहा है? एक तरफ से तोड़ते चलें तो आगे वाले को पता चल जाएगा कि उसका टूटने वाला है, तो वह खुद तोड़ लेगा और काफी नुकसान बच जाएगा। ध्वस्तीकरण की कोई योजना तैयार नहीं की गई है। प्रशासन को सीमांकन का चेतावनी बोर्ड लगाना चाहिए
- गौतम खंडेलवाल,
स्थानीय व्यवसायी
ध्वस्तीकरण के बाद क्या योजना है, इससे अवगत नहीं कराया जा रहा है। मंदिर सेवा पूजा के स्थल हैं, इन्हें अतिक्रमण की दृष्टि से नहीं देखना चाहिए। श्रद्धालुओं को कोई परेशानी नहीं है, प्रशासन अपनी मर्जी से उनके नाम पर कार्रवाई कर रहा है।
- डालचंद चौधरी
प्रबंधक, दानघाटी मंदिर
एनजीटी ने अवैध अतिक्रमण हटाने को कहा है, किसी धार्मिक स्थल को इंगित नहीं किया गया है। ये प्रशासन को तय करना है कि अवैध अतिक्रमण कौन-कौन से हैं। अतिक्रमण की सूची प्रशासन को तय करनी है।
- सार्थक चतुर्वेदी
एनजीटी में याची के अधिवक्ता
प्रशासन का पूरा प्रयास है कि गोवर्धन पर्वत अपने प्राकृतिक स्वरूप में रहें। इसके पास कोई अवैध निर्माण नहीं हो। विभिन्न प्रजातियों के पौधे रोपकर पुरातन स्वरूप में लौटाया जाएगा।
- नागेंद्र सिंह
एसडीएम, गोवर्धन
क्या कहते हैं भक्त
वैष्णो देवी की तर्ज पर गोवर्धन में श्राइन बोर्ड बनना चाहिए। इससे विकास के साथ श्रद्धालुओं को तमाम सहूलियतें मिलेंगी तो उनका आवागमन बढ़ जाएगा। जिससे स्थानीय लोगों को भी तमाम रोजगार के अवसर मिलेंगे। यह सब गिरिराजजी की मर्जी से और उनके संरक्षण को हो रहा है।
- हरिओम शर्मा एडवोकेट
सामाजिक कार्यकर्ता
यहां ब्रजरज विलुप्त होती जा रही है, भूमि कंक्रीट के महलों में तब्दील होने लगी है। मंदिरों में तमाम पुजारियों का बर्ताव धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाता है। प्राकृतिक स्वरूप, प्रदूषण रहित वातावरण और पेड़ पौधों से सजी वसुंधरा के साथ जन सुविधाएं ही इस भूमि का वास्तविक स्वरूप है।
- डॉ. रीमा उदय वर्वे
नासिक, महाराष्ट्र
मन की शांति और भक्ति के लिए राधाकृष्ण की भूमि की वंदना को लोग आते हैं। पैदल परिक्रमा करते समय तेज गति से दौड़ते वाहन, गिरिराजजी के मंदिरों के समीप अतिक्रमण से सकरे रास्ते और परिक्रमा मार्ग में उठती दूध की दुर्गंध विचलित करती है।
- भोला भाई
गांधीधाम, गुजरात