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28 सालों से कर रहे हैं स्थायी होने का इंतजार

समूह घ के तृतीय और चतुर्थ श्रेणी 61 कर्मचारी हैं दैनिक वेतन और संविदा पर 2016 में हुए थे विनियमितीकरण के निर्देश कार्य परिषद में भी हुई थी संस्तुति

By JagranEdited By: Published: Wed, 02 Dec 2020 12:03 AM (IST)Updated: Wed, 02 Dec 2020 12:03 AM (IST)
28 सालों से कर रहे हैं स्थायी होने का इंतजार
28 सालों से कर रहे हैं स्थायी होने का इंतजार

आगरा, जागरण संवाददाता। डा. भीमराव आबेडकर विश्वविद्यालय में 61 से ज्यादा समूह घ के तृतीय और चर्तुथ श्रेणी कर्मचारी सालों से अपनी नौकरी के स्थायी होने का इंतजार कर रहे हैं। इनमें से कई कर्मचारी 20 सालों से दिहाड़ी मजदूरी पर काम कर रहे हैं। इन कर्मचारियों में कुछ को आज भी दिन के 150 रुपये मिलते हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन से दर्जनों बार यह कर्मचारी खुद को स्थायी करने की माग भी कर चुके हैं। न्यायालय में भी गुहार लगा चुके हैं पर इन्हें अभी तक नियमित नहीं किया गया है। विनियमित होने की आस में तीन कर्मचारियों की मौत हो चुकी है और दो सेवानिवृत्त हो चुके हैं।

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विश्वविद्यालय में तृतीय श्रेणी के 27 कर्मचारी कार्यरत हैं। इनमें से एक कर्मचारी की नियुक्ति 1998 में हुई है। 1999, 2000 से लेकर 2001 के बीच में 27 कर्मचारियों की नियुक्ति हुई है। इसी तरह चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों में से एक की नियुक्ति 1992 में हुई थी, उसके बाद 2001 तक की नियुक्ति वाले 34 कर्मचारी हैं। इनमें से ज्यादातर कर्मचारी सफाई कर्मी या सुरक्षा कर्मी हैं। 61 कर्मचारियों में से तीन कर्मचारियों की विनियमितीकरण के इंतजार में मौत हो चुकी है। दो कर्मचारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं। 2016 से चल रही है लड़ाई :

2016 में उच्च शिक्षा अनुभाग से विश्वविद्यालय को एक पत्र प्राप्त हुआ था। जिसमें स्वशासी संस्थाओं में 31 दिसंबर 2001 तक नियुक्त दैनिक वेतन व संविदा कर्मचारियों के विनियमितीकरण के निर्देश दिए गए थे। अप्रैल 2016 में हुई कार्य परिषद की बैठक में एक छह सदस्यीय समिति का भी गठन किया गया था। इस समिति को संविदा और दैनिक वेतन कर्मचारियों के विनियमितीकरण के निर्देशों के अनुपालन में काम करना था। तत्कालीन कुलसचिव केएन सिंह ने समिति के संस्तुति पर 61 कर्मचारियों के विनियमितीकरण के निर्देश भी दिए थे। इसके बाद भी विश्वविद्यालय ने इन कर्मचारियों को नियुक्ति पत्र नहीं दिए। इस पर कर्मचारियों ने शासन से गुहार लगाई। नवंबर 2016 में में शासन के उपसचिव ने भी विश्वविद्यालय को पत्र लिखकर कर्मचारियों का विनियमितीकरण करने को कहा था। इस बात को भी चार साल बीत चुके हैं। अब कर्मचारियों ने न्याय के लिए न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। 150 रुपये में कर रहे हैं काम :

विश्वविद्यालय में कार्यरत सफाई कर्मचारियों को वर्तमान में भी 150 रुपये के हिसाब से दैनिक वेतन मिलता है। वहीं, संविदा पर काम करने वाले कर्मचारियों को 18 हजार रुपये प्रति माह मिलते हैं। वर्जन :

मेरे संज्ञान में यह मामला है, मुझे पिछले सालों की जानकारी देखनी होगी। उसके बाद ही विनियमितीकरण के संबंध में कोई फैसला ले पाऊंगा।

- प्रो. अशोक मित्तल, कुलपति


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