बदलते रहे चेहरों के भाव, अनुशासन के बीच गूंजी खिलखिलाहट
दयालबाग शिक्षण संस्थान के दीक्षा समारोह में शारीरिक दूरी का किया गया पालन 123 डायरेक्टर दो प्रेसीडेंट और दो फाउंडर्स मेडलों के साथ दी गईं 70 पीएचडी की उपाधियां
आगरा, जागरण संवाददाता । समय दोपहर दो बजे, चुप्पी, फुसफुसाहट, तैयारियों पर पैनी नजर और यूनीफार्म में सिर झुकाए अंदर जाते छात्र। घड़ी में जैसे ही ढाई बजे, हाल और मैदान में बैठे विद्यार्थियों के चेहरों पर मुस्कान और गर्व दिखा, मंच पर अतिथि पहुंच चुके थे। घड़ी की सुइयां आगे बढ़ीं और तीसरे पहर 3:30 बजे हाल के बाहर मैदान में खिलखिलाहट तैर गई। दीक्षा समारोह के सेल्फी प्वाइंट पर विद्यार्थियों की मुस्कान बिखर गई। गर्व से भरे माता-पिता अपने होनहारों की मुस्कान और दोस्तों के मिलने वाली बधाइयों को मोबाइल के कैमरे में कैद करने लगे। दयालबाग शिक्षण संस्थान के 39वें दीक्षा समारोह में अनुशासन और शारीरिक दूरी के पालन के साथ 123 डायरेक्टर्स मेडल, 70 पीएचडी की उपाधियां, दो प्रेसीडेंट मेडल और दो फाउंडर्स मेडल दिए गए।
मुख्य अतिथि उच्च शिक्षा विभाग, शिक्षा मंत्रालय के सचिव अमित खरे थे। संस्थान के निदेशक प्रो. प्रेम कुमार कालरा ने रिपोर्ट प्रस्तुत की। शिक्षा सलाहकार समिति के अध्यक्ष प्रो. प्रेम शरण सत्संगी भी उपस्थित थे। अध्यक्षता मैनेजिग डायरेक्टर विजय कुमार ने की। दिए गए सम्मान
समारोह में 11 लोगों को डिग्री आफ डीएससी (आनोरिस कासा), दो को एल्यूमिनाई आफ डीईआइ, तीन को फ्रेंड्स आफ डीईआइ, दो को सर्विस टू डीईआइ एंड कम्युनिटी, तीन तो एल्यूमिनाई के रूप में सम्मान दिया गया। स्पीहा के अध्यक्ष एम. असद पठान और अमित खरे को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड दिया गया। शिक्षा दी भी और ली भी
समारोह में दो छात्र ऐसे भी थे, जो संस्थान में शिक्षक भी हैं। पल्लवी दुबे को पीएचडी की उपाधि दी गई। पल्लवी यहां शिक्षा संकाय में पिछले छह सालों से पढ़ा रही हैं। ऐसा ही कुछ कृष्णकांत त्यागी ने किया है। वे यहां कंप्यूटर विभाग में 2015 से पढ़ा रहे हैं। उन्होंने बीटेक पार्ट टाइम में प्रवेश लिया और समारोह में डायरेक्टर मेडल प्राप्त किया। पदक विजेताओं से बातचीत
निरतंरता बनाए रखें, जीत मिलेगी
परास्नातक पाठ्यक्रम में सर्वाधिक अंक लाकर प्रेसीडेंट मेडल प्राप्त करने वाली अनम सैफी की जिदगी का फलसफा है, निरंतरता बनाए रखें। हाईस्कूल और इंटर में भी टाप करने वालीं अनम वैज्ञानिक बनना चाहती हैं। इससे पहले दो बार डायरेक्टर मेडल भी प्राप्त कर चुकी हैं। स्नातक स्तर पर 2019 में और इस साल भौतिक विज्ञान में सर्वाधिक अंक प्राप्त कर डायरेक्टर मेडल हासिल किया। पिता मोहम्मद उस्मान व्यवसायी हैं, मां आशफा गृहणी हैं और भाई जीशान सैफी संस्थान में ही अतिथि प्रवक्ता हैं। शिक्षकों की बातों पर करें ध्यान केंद्रित
स्नातक स्तर पर प्रेसीडेंट मेडल प्राप्त करने वाली श्रेयसी बंसल का मानना है कि दृढ़ निश्चय के साथ ही सफलता मिलती है। अपने शिक्षकों की हर बात पर ध्यान केंद्रित करें, माता-पिता का आशीर्वाद अपने साथ रखें। श्रेयसी को डायरेक्टर मेडल भी मिला है। उनका अगला लक्ष्य परास्नातक स्तर पर भी सर्वाधिक अंक प्राप्त करना है। हार्डवेयर की दुनिया में करेंगे बदलाव
संस्थान का सबसे प्रतिष्ठित पदक फाउंडर्स मेडल प्राप्त करने वाले अपार सिघल के माता-पिता दोनों ही शिक्षक हैं, पर अपार अपना स्टार्टअप शुरू करना चाहते हैं। समारोह में अपार को तीन मेडल मिले हैं, जिनमें दो डायरेक्टर मेडल हैं। वे आइटी सेक्टर में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के साथ हार्डवेयर की दुनिया में बदलाव लाना चाहते हैं। उनका मानना है कि मेहनत ही सफलता की कुंजी है। अपार के पिता भुवनेश सिघल संस्थान में ही शिक्षक हैं तो मां डा. मृदुला सिघल आरबीएस कालेज में शिक्षक हैं। धारा के साथ बहना चाहिए
फाउंडर्स मेडल प्राप्त करने वाली डी. शब्द प्यारी देश की सेवा करना चाहती हैं। उनकी जिदगी का फलसफा है, धारा के साथ बहना चाहिए। शब्द मानती हैं कि दुनिया में करने को बहुत कुछ है। उन्हें 2019 में नेशनल यूथ पार्लियामेंट में श्रेष्ठ वक्ता भी चुना गया था। पिता वेंकटेश्वर लू सत्संग सभा में कार्यरत हैं तो मां प्रेम विद्यालय में अकाउंटेंट हैं। चरणों में लागू होगी नई शिक्षा नीति
उच्च शिक्षा विभाग, शिक्षा मंत्रालय के सचिव अमित खरे ने बताया कि नई शिक्षा नीति को चरणों में लागू किया जाएगा। शुरुआत केंद्रीय विश्वविद्यालयों और केंद्रीय विद्यालयों से की जाएगी। कुछ राज्यों ने नई शिक्षा नीति के लिए काफी उत्सुकता दिखाई है, जिनमें उत्तर प्रदेश भी शामिल है। इन राज्यों को भी पहले चरण में रखा जाएगा। नैक सिस्टम के बारे में उनका कहना था कि वर्तमान में काफी दिक्कतें आ रही हैं, क्योंकि एक सर्टिफिकेट के लिए कई स्तर पर जांच होती है। इस व्यवस्था में बदलाव किया जाएगा, यह योजना अभी पाइपलाइन में है। देश में 1000 से ज्यादा विश्वविद्यालय हैं, इसलिए अब यूजीसी, एनआइसीटीई और एआइसीटीई को संयुक्त मंच पर लाया जाएगा। विश्वविद्यालयों और कालेजों को एक ही सर्टिफिकेट प्रदान किया जाएगा।