आंखों में खोई जिंदगी की ‘कल्पना’, जानिए एक बेजुबान की कहानी
इलाज के लिए फीरोजाबाद से चुरमुरा पहुंची हथनी कल्पना। मोतियाबिंद और पैर में चोट लगने से है परेशान।
आगरा, जागरण संवाददाता। बेजुबान ‘कल्पना’ की अच्छी खासी जिंदगी गुजर रही थी कि दुखों का पहाड़ टूट पड़ा और जिंदगी में अंधेरा भर गया। उम्रभर के सफर की सारी ‘कल्पना’ आंखों में खो गईं और कई लोगों की रोटी पर ब्रेक लग गया। कल्पना भी भूखी रहने लगी और उसके सहारे जीने वाले बाबा भी।
फीरोजाबाद से सोमवार को चुरमुरा हाथी हास्पिटल में हथनी कल्पना पहुंची है। मोतियाबिंद की चपेट में आई 40 वर्षीय कल्पना की बाईं आंख पूर्ण रूप से और दाहिनी की आंशिक रूप से रोशनी चली गई है। वाइल्ड लाइफ की अस्सिटेंट कैंप ऑफिसर गार्गी शर्मा ने बताया कि कल्पना के आंखों के साथ पैर में भी काफी चोट है। बीमारी व कमजोरी के कारण चलने में काफी दिक्कत हो रही है। उन्होंने बताया कि फीरोजाबाद में उसे पूर्ण रूप से खाना नहीं मिल पाया। इस कारण वह कमजोर हो गई है।
इससे पहले भी दो हाथियों का हुआ इलाज
हास्पिटल में पूर्व में भी दो बीमार हाथी पहुंचे थे। 55 वर्षीय होली इलाज मिलने से ठीक हो गई। दूसरे हाथी लूना का इलाज हुआ था। उस वक्त वह ठीक हो गया, लेकिन कुछ दिन बाद उसका निधन हो गया।
भीख मांगता था बाबा
वाइल्ड लाइफ के अधिकारियों के अनुसार फीरोजाबाद में एक बाबा हथनी कल्पना को लेकर गांवों जाता था। हथनी के माध्यम से वह भीख मांगता था। बीमार होने पर उसने कल्पना को पूर्ण रूप से भोजन भी नहीं दिया। इस कारण वह कमजोरा हो गई।
90 दिनों तक रहेगी हाथियों से दूर
बीमारी के कारण कमजोर कल्पना को एकांत में रखा जाएगा। गार्गी ने बताया कि 90 दिनों के बाद पहले से मौजूद 22 हाथियों के पास रखा जाएगा, ताकि कल्पना की उनसे दोस्ती हो सके।
विशेषज्ञ की राय
फीरोजाबाद से हथनी आई है। वह काफी बीमार है। हास्पिटल में इलाज चल रहा है। बाद में दूसरे हाथियों के साथ रखा जाएगा।
बैजूराज एमवी, डायरेक्टर, कंजर्वेशन प्रोजेक्ट, वाइल्ड लाइफ एसओएस