आलू की अगैती फसल हुई बर्बाद, आगरा के किसानों को नुकसान
आगरा के आलू का स्वाद पूरे दक्षिण भारत में जाना जाता है। जिले में 15 अक्टूबर से 15 नवंबर तक आलू बोवाई होती है लेकिन कुछ किसान अगैती बोवाई भी करते हैं। ये किसान सितंबर मध्य से ही बोवाई शुरू कर देते हैं।
आगरा, जागरण संवाददाता। आगरा के आलू का स्वाद पूरे दक्षिण भारत में जाना जाता है। जिले में 15 अक्टूबर से 15 नवंबर तक आलू बोवाई होती है, लेकिन कुछ किसान अगैती बोवाई भी करते हैं। ये किसान सितंबर मध्य से ही बोवाई शुरू कर देते हैं, लेकिन हाल ही में हुई बारिश के कारण अगैती फसल को बड़ा नुकसान हुआ है। वहीं पिछैती फसल की बोवाई में भी देरी हो रही है। अगैती फसल के नुकसान का असर खोदाई पर भी देखने को मिलेगा। स्थानीय फसल आने से खोदाई के समय दामों में राहत मिलती है।
जिले में 72 हजार हेक्टेअर में आलू की बोवाई होती है, 10 फीसद किसान अगैती फसल करते हैं। वहीं, 90 फीसद किसान पिछैती फसल करते हैं। पिछैती फसल 110 दिन में तैयार होती है, जिसे किसान शीतगृह में भंडारित कर देते हैं। वहीं अगैती फसल 90 दिन में तैयार हो जाती है, जिसकी खोदाई दिसंबर अंत या जनवरी शुरुआत में होती है। बिचपुरी के किसान राजेंद्र सिंह ने बताया कि आलू की अगैती फसल करते हैं, जिसकी बोवाई अक्टूबर के प्रथम सप्ताह में की थी। बारिश के कारण क्यारियों में पानी भर गया, जिससे पूरी फसल बर्बाद हो गई है। अब पिछैती बोवाई करनी होगी। एत्मादपुर के किसान महेश ने बताया कि आलू की बोवाई सितंबर के अंतिम सप्ताह में की थी, लेकिन बारिश ने पूरा काम बिगाड़ दिया। दो दिन तक लगातार हुई बारिश के कारण मिट्टी हट गई। काफी नुकसान हुआ है, अब दोबारा फसल की बोवाई करनी पड़ रही है।