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डमी कैंडिडेटों ने बिगाड़ा स्कूलों का खेल

कई स्कूलों ने भरवा दिए थे अपने यहां से बोर्ड परीक्षा फार्म आंतरिक मूल्यांकन के अंक मांगने पर खुली पोल बोर्ड करा रहा जांच

By JagranEdited By: Published: Mon, 07 Jun 2021 05:35 AM (IST)Updated: Mon, 07 Jun 2021 05:35 AM (IST)
डमी कैंडिडेटों ने बिगाड़ा स्कूलों का खेल
डमी कैंडिडेटों ने बिगाड़ा स्कूलों का खेल

आगरा, जागरण संवददाता। कोरोना संक्रमण के कारण केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने 10वीं और 12वीं की परीक्षा रद कर दीं हैं। अब परीक्षा परिणाम के लिए पुराने अंक जुटाने की जिद्दोजहद शुरू हो गई है। बोर्ड की इस कवायद ने कुछ स्कूलों के डमी कैंडिडेट (सिर्फ नामांकन के लिए प्रवेश) के खेल की पोल खोल दी है। बोर्ड के मांगने पर भी वह डमी कैंडिडेट के आंतरिक मूल्यांकन के अंक उपलब्ध नहीं करा पा रहे। ऐसे एक-दो नहीं, बल्कि कई स्कूल चिन्हित किए गए हैं।

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विद्यार्थियों का परीक्षा परिणाम आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर तैयार होना है, लेकिन कई स्कूल अपने यहां पंजीकृत कुछ विद्यार्थियों का रिकार्ड उपलब्ध नहीं करा पा रहे हैं। ऐसे स्कूलों और विद्यार्थियों की संख्या जिले में भी हैं। बोर्ड द्वारा मूल्यांकन के अंक मांगने पर उनकी कलई खुल गई है कि उन्होंने अपने यहां विद्यार्थियों को डमी कैंडिडेट(सिर्फ नामांकन) के रूप में परीक्षा दिलवाने के लिए प्रवेश दे दिया।

नहीं है रिकार्ड

डमी कैंडिडेट के रूप में ज्यादातर वह विद्यार्थी होते हैं, जो प्रतियोगी परीक्षा की कोचिग से नियमित तैयारी करते हैं और नाम के लिए स्कूल में प्रवेश लेते हैं। स्कूल उनसे मोटा धन वसूल कर उनका पंजीकरण अपने यहां करा देते हैं। परीक्षा के समय विद्यार्थी आकर परीक्षा देकर पास हो जाते हैं और पास की मा‌र्क्सशीट लेकर चले जाते हैं। अब तक यह बात गाहे-बगाहे ही सामने आती थी, लेकिन इस बार बोर्ड परीक्षा रद हुई तो बोर्ड ने विद्यार्थियों के आंतरिक मूल्यांकन अंक मांगे। जो तमाम स्कूल इसलिए उपलब्ध नहीं करा पाए क्योंकि उनके पास ऐसे विद्यार्थियों का साल भर की परीक्षा का कोई रिकार्ड ही नहीं है।

543 स्कूल चिन्हित

बोर्ड स्तर से जांच में ऐसे करीब 543 स्कूलों को चिन्हित हो चुके हैं, जिनके करीब पांच हजार विद्यार्थी संदिग्ध हैं। यह स्कूल छोटे-बड़े सभी शहरों के हैं, जो हर साल 10वीं और 12वीं के सैकड़ों विद्यार्थियों के परीक्षा फार्म डमी कैंडिडेट के रूप में भरवाते हैं। ऐसे विद्यार्थी न कोई मासिक टेस्ट देते हैं, न मिड टर्म और न ही प्री-बोर्ड। ऐसे में आंतरिक मूल्यांकन के लिए स्कूल उन विद्यार्थियों की चोरी-छिपे दोबारा आनलाइन या फोन से परीक्षा लेने की जुगत में हैं, जो बोर्ड की पकड़ में आ सकती है। फिलहाल बोर्ड ऐसे स्कूलों के कागजों की जांच करा रहा है कि उनके विद्यार्थी स्कूल के ही नियमित विद्यार्थी हैं या नहीं।


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