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    भ्रष्टाचार का दीमक: आगरा में डूडा ने बनवाए मकान, रेलवे ने भेजा खाली करने को नोटिस

    By Yashpal SinghEdited By: Abhishek Saxena
    Updated: Sat, 15 Oct 2022 11:38 PM (IST)

    Agra News यमुना पार इंदिरा नगर में पीएम आवास योजना के लाभार्थियों की चिंता। कर रहे सवाल रेलवे की जमीन पर मकान बनाने को अनुदान ही क्यों दिया। पीड़ितों को चिंता है कि अब अगर मकान उनसे छिन गए तो वे कहां रहेंगे।

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    Agra News: मोती महल में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास बनने के बाद मिले नोटिस से चिंतित महिलाएं। जागरण

    आगरा, जागरण संवाददाता। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत भवनविहीन लोगों को पक्की छत के लिए अनुदान दिया जा रहा है। शहर में यमुना पार क्षेत्र में कई लोगों ने इसी अनुदान से मकान बनवा लिए। रेलवे ने नोटिस जारी कर दिए हैं कि उन्होंने सरकारी जमीन पर कब्जा किया है, मकान खाली कर दें।

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    मिथलेश ने किया था आवेदन, मिला था ढाई लाख रुपया

    यमुना किनारा स्थित मोती महल क्षेत्र के इंदिरा नगर मुहल्ला है। यहां की रहने वाली मिथलेश ने बताया कि पीएम आवास योजना के तहत आवेदन करने पर वित्तीय वर्ष 2020-21 में उन्हें डूडा की ओर से ढाई लाख रुपये का अनुदान मिला था। ये अनुदान तीन किस्तों में मिला था। इसके लिए सर्वेयर ने उनसे 20 हजार रुपये कमीशन भी लिया था। मकान बनकर तैयार हुआ तो एक जनवरी 2022 को रेलवे के सीनियर सेक्सन इंजीनियर की ओर से नोटिस भेज दिया गया कि आपके द्वारा रेलवे की जमीन पर भवन बनवाकर कब्जा किया गया है। इसे तत्काल खाली कर दें। मिथलेश के सामने ही रहने वाली राखी भी परेशान हैं।

    मिथलेश का कहना है कि उन्हें अभी तक एक ही किस्त मिली है। पहली बार सर्वे करने आए सर्वेयर ने पेट्रोल के लिए रुपये मांगे थे। फिर कहा कि 25 हजार रुपये दें तो बाकी की किस्तें खाते में आ जाएगी। वह 25 हजार रुपये देने को राजी हो गई। इसी बीच, उन्हें भी रेलवे से नोटिस मिल चुका है। मिथलेश और राखी की तरह मुहल्ले में 13-14 लाभार्थी हैं। इन सभी को रेलवे नोटिस दे चुका है। स्थानीय लोगों का कहना है कि एक विभाग हमारा मकान बनवा रहा है और दूसरा उसे खाली करा रहा है। यह कहां का न्याय है?

    मकान खाली करके हम कहां जाएंगे

    इंदिरा नगर निवासी संजीव का कहना है कि उन्होंने मजदूरी करके किसी तरह छोटा सा मकान बनवाया था। अब रेलवे इसे खाली करने को कह रहा है। इसे खाली करके हम कहां जाएंगे। रमेश भी मजदूरी करते हैं। उनका बस्ती में छोटा सा मकान है। अब रेलवे का नोटिस मिलने के बाद वे भी चिंतित हैं। परिवार को लेकर वे कहां रहेंगे।

    माया देवी, रामवीर और दान सिंह की भी यही समस्या है। रोज कमाकर परिवार का खर्च उठाते हैं। किसी तरह मकान बनवाया। अब रेलवे के नोटिस के बाद चिंता बढ़ गई है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि मकान बनने के समय पर रेलवे कहां गया था। तब क्यों नहीं रोका गया। बस्ती में बिजली, पानी खड़ंजा क्यों बनाया गया और प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत धनराशि क्यों दी गई?