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गुरुग्राम में ISARG का गठन, ताजनगरी के डॉक्‍टर दंपति को मिले अहम पद Agra News

देश में महिलाओं को यौन संबंधी समस्याओं-विकारों का समाधान करने के उद्देश्य से काम करेगी इंडियन सोसायटी आॅफ एस्थेटिक एंड रीजनरेटिव गायनेकोलाॅजी।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Wed, 13 Nov 2019 05:52 PM (IST)Updated: Wed, 13 Nov 2019 05:52 PM (IST)
गुरुग्राम में ISARG का गठन, ताजनगरी के डॉक्‍टर दंपति को मिले अहम पद Agra News
गुरुग्राम में ISARG का गठन, ताजनगरी के डॉक्‍टर दंपति को मिले अहम पद Agra News

आगरा, जागरण संवाददाता। एस्थेटिक गायनेकोलाॅजी के क्षेत्र में डाॅक्टरों की एक नई संस्था इंडियन सोसायटी आॅफ एस्थेटिक एंड रीजनरेटिव गायनेकोलाॅजी का गठन किया गया है। आगरा के लिए गर्व की बात है कि इसका अध्यक्ष यहां के वरिष्ठ गायनेकोलाॅजिस्ट डा. नरेंद्र मल्होत्रा और उपाध्यक्ष आईवीएफ विशेषज्ञ डा. जयदीप मल्होत्रा को बनाया गया है।

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गुरुग्राम के होटल लीला एंबिएंस में 8 से 10 नवम्बर तक आयोजित फेम एस्थेटिकॉन-2019 में एस्थेटिक गायनेकोलाॅजी के क्षेत्र में डाॅक्टरों की उक्त संस्था का गठन किया गया है। इसे यूरोपियन सोसायटी आॅफ एस्थेटिक गायनेकोलाॅजी ने भी प्रमाणित किया है। डा. नरेंद्र और डा. जयदीप के अतिरिक्त सोसायटी में डा. रागिनी अग्रवाल को अध्यक्ष निर्वाचित, डा. लीला व्यास को उपाध्यक्ष और डा. प्रीति जिंदल को सचिव पद पर नियुक्त किया गया है। डा.जयदीप और डा.नरेंद्र ने बताया कि एस्थेटिक और रीजनरेटिव गायनेकोलाॅजी एक विशाल क्षेत्र है। महिलाओं की ऐसी बीमारियों या समस्याओं के बारे में बताया जिनका जिक्र वह शर्म और झिझक के कारण परिवार में किसी से नहीं करतीं और लंबे समय तक इन बीमारियों के साथ जीवन जीती रहती हैं। ऐसे में होता यह है कि कई बार बीमारी नियंत्रण से बाहर चली जाती है और बात जीवन-मरण तक पहुंच जाती है। आज भी समाज में प्रचलित अंधविश्वास व पर्दाप्रथा के कारण महिलाएं स्वतंत्र् निर्णय लेकर अपनी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का समय पर इलाज नहीं करवा पाती हैं। यौन रोगों के बारे में तो वह बात तक नहीं करतीं। उन्होंने कहा कि मूत्र का बार-बार रिसना, योनि का सूखापन, खुजली का बार-बार होना, गर्भाशय का बाहर खिसकना, संभोग में दर्द या तकलीफ जैसी समस्याएं महिलाओं को लग सकती हैं, लेकिन वे इनके बारे में परिवार या चिकित्सकों को बताती ही नहीं। जब तकलीफ हद से ज्यादा बढ जाती है तो पता चलता है, लेकिन या तो देर हो चुकी होती है इलाज सही नहीं मिल पाता।

आगरा समेत तकरीबन 12 शहरों में महिलाओं की इन समस्याओं का इलाज उपलब्ध है, लेकिन जागरूकता का अभाव है। ऐसे में सोसायटी का गठन होने के बाद इस क्षेत्र में और तेजी से काम होगा। 


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