नहीं पसीजे एसएन के डॉक्टर, मासूम की उखड़ती सांस, इलाज को गिड़गिड़ाती रही मां
एसएन में दो महीने की मासूम को नहीं मिला इलाज, डॉक्टरों ने दुत्कारा, इमरजेंसी और बाल रोग वार्ड में भटकते रहे परिजन, शाम को निजी हॉस्पिटल ले गए
आगरा (जागरण संवाददाता): मासूम की उखड़ती सांस के इलाज के लिए रविवार को एसएन में मां गिड़गिड़ाती रही। इमरजेंसी और बाल रोग वार्ड के चक्कर लगाए, वेंटीलेटर मिलने की आस में मां घंटों मासूम के पास बैठी रही। मगर, इलाज तक शुरू नहीं किया गया। डॉक्टरों से गुहार लगाई तो दुत्कार मिली। परेशान परिजन शाम को उसे निजी अस्पताल ले गए।
जगदीशपुरा निवासी ज्योति की दो महीने की मासूम बेटी की रात से सांस उखड़ रही थी। सुबह पांच बजे परिजन उसे एसएन मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी ले गए। यहां वेंटीलेटर खाली न होने की बात कह भर्ती नहीं किया गया। परिजन उसे लेकर बाल रोग वार्ड के सघन चिकित्सा कक्ष (आइसीयू) में पहुंचे। यहां स्टाफ ने एक वेंटीलेटर खाली होने की बात कही तो वे मासूम को लेकर इमरजेंसी आ गए। इस पर इमरजेंसी के डॉक्टर उखड़ गए। अपशब्द कहे और मासूम को भर्ती कर लिया। करीब दो घंटे बाद वार्ड में शिफ्ट किया, यहां उसे बेड तो मिला लेकिन वेंटीलेटर नहीं। लिहाजा तबीयत बिगड़ते देख मां डॉक्टरों के आगे गिड़गिड़ाई लेकिन वे नहीं पसीजे। एक कागज पर लिखवा लिया कि हालत नाजुक है। कुछ हुआ तो डॉक्टर की जिम्मेदारी नहीं होगी। इसके बाद भी उन्हें आस थी कि शायद डॉक्टर पसीज जाएंगे और उनकी बेटी का इलाज शुरू कर देंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इलाज न मिलने से परेशान परिजन शाम छह बजे मासूम को निजी अस्पताल ले गए। एसएन के प्रमुख अधीक्षक डॉ. एसके मजूमदार ने बताया कि बाल रोग के आइसीयू में वेंटीलेटर खाली नहीं है। मरीज को भर्ती करने के बाद इलाज शुरू कर दिया जाता है, तीमारदार खुद ही निजी अस्पताल में इलाज के लिए मरीज को ले जाते हैं।