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हॉस्पिटलों में लटक जाएंगे ताले, भटकेंगे मरीज, डॉक्टरों में आक्रोश

स्वास्थ्य विभाग ने यूपीपीसीबी का प्राधिकार पत्र न देने वाले हॉस्पिटल के पंजीकरण किए निलंबित एक साल बाद भी अधिकांश चिकित्सकीय संस्थान ने जमा नहीं किए पत्र

By JagranEdited By: Published: Mon, 18 Mar 2019 06:00 AM (IST)Updated: Mon, 18 Mar 2019 06:00 AM (IST)
हॉस्पिटलों में लटक जाएंगे ताले, भटकेंगे मरीज, डॉक्टरों में आक्रोश
हॉस्पिटलों में लटक जाएंगे ताले, भटकेंगे मरीज, डॉक्टरों में आक्रोश

आगरा, जागरण संवाददाता। स्वास्थ्य विभाग ने हॉस्पिटलों के पंजीकरण निलंबित कर दिए हैं। हॉस्पिटल संचालकों को सात दिन का समय दिया गया है। इस बीच उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) का वैध प्राधिकार पत्र जमा न कराने पर पंजीकरण निरस्त किए जाएंगे। इससे आइएमए, आगरा के सदस्य चिकित्सकों में आक्रोश है।

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हाईकोर्ट के आदेश पर हर साल 30 अप्रैल तक चिकित्सीय संस्थानों के पंजीकरण का नवीनीकरण किया जाता है। पिछले दो साल से नवीनीकरण के लिए यूपीपीसीबी के प्राधिकार पत्र, अग्निशमन विभाग की एनओसी और नगर निगम में पंजीकरण की अनिवार्यता कर दी गई है। ऐसे में 2018-19 में नवीनीकरण के लिए चिकित्सकीय संस्थानों ने यूपीपीसीबी के प्राधिकार पत्र के नवीनीकरण के लिए किए गए आवेदन की प्रति जमा की थी। करीब एक साल बाद भी अधिकांश हॉस्पिटल संचालकों ने नवीनतम प्राधिकार पत्र की प्रति जमा नहीं कराई है। स्वास्थ्य विभाग ने आइएमए को पत्र लिखकर वैध प्राधिकार पत्र जमा न कराने वाले चिकित्सकीय संस्थानों के पंजीकरण निलंबित कर दिए हैं। इसके साथ ही पंजीकरण निरस्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इससे डॉक्टरों में आक्रोश है, सोमवार को आइएमए का प्रतिनिधिमंडल सीएमओ से मिलेगा। नए हॉस्पिटल के पंजीकरण पर है रोक

सितंबर 2016 से टीटीजेड में नए हॉस्पिटल और पुराने हॉस्पिटल के विस्तार करने पर रोक है। ऐसे में करोड़ों की लागत से बने आधा दर्जन नए हॉस्पिटल खुल नहीं सके हैं। ये है हाल

सीएमओ कार्यालय में पंजीकरण - 1056

हॉस्पिटल व नर्सिग होम - 450

पैथोलॉजी लैब, क्लीनिक - 606

अल्ट्रसाउंड सेंटर - 230

एसएन, जिला अस्पताल, लेडी लॉयल महिला चिकित्सालय और स्वास्थ्य केंद्रों की ओपीडी में पहुंच रहे मरीज - 8000 से 9000

निजी अस्पताल और क्लीनिक की ओपीडी में मरीज - 25000 से 30000

सरकारी अस्पतालों में बेड - 2000

निजी अस्पतालों में बेड - करीब 8000 जिन चिकित्सा संस्थानों के पास प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का वैध प्राधिकार पत्र नहीं है, ऐसे चिकित्सा संस्थानों को बंद कराया जाएगा। इसके लिए सात दिन का समय दिया गया है।

डॉ. मुकेश वत्स, सीएमओ जो भी आवेदन आए थे, उन सभी का नवीनीकरण कर दिया गया है। नए पंजीकरण के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से प्राधिकार पत्र नहीं दिए जा रहे हैं।

भुवन यादव, क्षेत्रीय अधिकारी उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड हॉस्पिटल, क्लीनिक के पंजीकरण के नवीनीकरण से पहले इस तरह के नोटिस जारी किए जाते हैं। इसका विरोध किया जाएगा।

डॉ. अशोक शिरोमणि, अध्यक्ष आइएमए, आगरा हाईकोर्ट और शासन द्वारा झोलाछाप पर कार्रवाई के निर्देश दिए जाते हैं और स्वास्थ्य विभाग क्वालीफाइड डॉक्टरों के मानक परखने में जुट जाता है।

डॉ. डीवी शर्मा, अध्यक्ष आइएमए, एएमएस


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