Holi 2020: होलिका दहन करें, मगर दरख्तों को जख्म न दें Agra News
शहर के पास से पेड़ों को काटकर होलिका बनाई गई हैं। ये हालात तब है जब कि शहर में कोयला का प्रयोग भी प्रतिबंधित है।
आगरा, जागरण संवाददाता। सुरक्षित पर्यावरण को हरियाली का बचाना अति आवश्यक है, लेकिन जागरूकता के अभाव में लोग होलिका दहन के नाम पर सैकड़ों हरे भरे पेड़ बलि चढ़ाते हैं तो वातावरण में जहर घोलने की अहम भूमिका निभाते हैं।
रंगों का उत्सव अब नजदीक है। घर-घर में तैयारी चल रही है। सोमवार को दिन में होलिका का पूजन होगा, जबकि शाम को होलिका दहन है। आगरा के चौराहे तिराहे पर लकडिय़ों के ढेर लगे हैं। कालोनी और बस्तियों के लोगों में बड़ी और ऊंची होली बनाने की होड़ मची हुई है। शहर के पास से पेड़ों को काटकर होलिका बनाई गई हैं। ये हालात तब है जब कि शहर में कोयला का प्रयोग भी प्रतिबंधित है। लड़कियां जलने से वातावरण दूषित होगा। खंदारी तिराहा, कमला नगर, बजरंग नगर, केके नगर, बाईपुर मोड़, अर्जुन नगर, गोकुलपुरा, जगदीशपुरा सहित अन्य बस्तियों के लोगों ने हाेेलिका बना रखी है।
तीन वर्ष की मेहनत में तैयार होता है पेड़
वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार बरसात के दिनों में पौधारापण करते हैं। तीन वर्ष तक उसकी बच्चे की तरह देखरेख करनी होती है। इसके बाद पौधा पेड़ का रूप लेने लगता है। तब उसको छोड़ा जाता है। वह हर वर्ष फल देता है। इसके अलावा हमारे अंदर से निकलने वाली कार्बन डाई ऑक्साइड को पेड़ ही अपने अंदर खींचते हैं और हमें ऑक्सीजन देते हैं।
ये है आगरा की स्थिति
आगरा का क्षेत्रफल 4041 वर्ग किलोमीटर है। इसमें 262.62 वर्ग किलोमीटर का कुल वन आवरण है। खुला वन क्षेत्र 199.94 वर्ग किलोमीटर का है। आगरा में 75.14 वर्ग किलोमीटर की झाडिय़ां हैं।
हमारे समय में होती थी गायन प्रतियोगिता
शहर के साहित्याकारों के अनुसार हमारे समय में होली सिर्फ रंगों के उत्सव ही नहीं था, बल्कि गायन प्रतियोगिता का भी एक मंच होता था। होली पर एक दूसरे गांव में टोली बनाकर पहुंचते थे। वहां होली के गीतों की प्रतियोगिता होती थी। जमकर गाना-नाचना होता था। सुबह से शाम तक लोग मस्ती करते थे। महिलाएं भी सारा काम छोड़कर नाचती थी। अब समय बदल गया है। लोग घरों से ही नहीं निकलते हैं। अब होली के गीत सुनाई ही नहीं देते हैं। युवा डीजे चलाते हैं, पहले तो गायक कई कई सप्ताह पहले से होली के गीत लिखकर तैयारी करते थे। अब तो सिर्फ त्योहार की औपचारिकता होती है। होली तो हमारे समय में खेली जाती थी। एक माह पहले से शुरू हो जाती थी और एक माह बाद तक चलती थी।
दस गुना लगाने होते हैं पौधे
वन अधिकारियों का कहना है कि कोई भी एक पेड़ काटने की अनुमति लेता है तो उसे बदले में दस पौधे लगाने होते हैं। इतना ही नहीं लगे हुए पौधों का साक्ष्य भी विभाग को मुहैया कराना होता है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर भी कटने वाले पेड़ों के बदले विभागों को दस गुना पौधरोपण करना होगा।
जनता भी समझे अपनी जिम्मेदारी
वन विभाग के साथ आम जनता को भी पेड़ों की सुरक्षा करनी है। तब ही शहर का वातावरण शुद्ध व स्वच्छ हो पाएगा। 15 अगस्त, 2019 को आगरा में 28 लाख से ज्यादा पौधे लगाए हैं।
मनीष मित्तल, डीएफओ