जहां विराजी हैं राधारानी सरकार, वहां पूजा सेवा को लेकर मची है रार, जानिए ताजा हाल
रिसीवर ने ठुकराया एसडीएम गोवर्धन का प्रस्ताव। दूसरे दिन भी न सुलझ सका बरसाना मंदिर में पूजा का मसला। प्रशासन की उदासीनता न फैला दे राधारानी मंदिर की सेवा पूजा पर रार।
आगरा, जेएनएन। राधारानी मंदिर की सेवा पूजा को लेकर गोस्वामियों के बीच चल रहा विवाद प्रशासन की उदासीनता से कहीं और अधिक न बढ़ जाए। फिलहाल मामला कोर्ट में विचाराधीन है, लेकिन इससे पहले विवाद को सुलझाने के लिए प्रशासनिक स्तर से कोई प्रभावी कदम नहीं उठाए गए। नतीजा रहा कि दूसरे दिन भी मंदिर की सेवा पूजा को लेकर चला आ रहा विवाद अभी तक हल नहीं हुआ। वहीं रिसीवर ने भी पूजा सेवा का कार्य लेने से मना कर दिया है।
मंदिर की सेवा पूजा को लेकर माया देवी और देवेश गोस्वामी के बीच विवाद है। इसको सुलझाने के लिए मंगलवार को एसडीएम गोवर्धन नागेंद्र कुमार मंदिर पर पहुंचे। मायादेवी के मौजूद न होने से कोई हल नहीं निकला। वे उपचार के लिए मेदांता अस्पताल गुरुग्राम गई थीं। एसडीएम गोवर्धन ने बताया कि मंदिर के रिसीवर डॉ. कृष्ण मुरारी गोस्वामी से पूजा सेवा का कार्य देखने के लिए कहा, लेकिन उन्होंने इन्कार कर दिया। उनका कहना है कि मामला कोर्ट में चल रहा है। इसलिए मंदिर को कुर्क करके तीसरे पक्ष के सुपुर्द नहीं किया जा सकता है।
यह है विवाद का कारण
नगर के अखेराम थोक निवासी मायादेवी इन दिनों मंदिर की सेवा पूजा कर रही हैं। इसका विरोध देवेश गोस्वामी आदि कर रहे हैं। इसी मामले में हाईकोर्ट ने एसडीएम गोवर्धन और एडीएम प्रशासन के पूर्व जारी किए आदेशों को खारिज करते हुए 21 दिन के अंदर सिविल जज छाता को विवाद सुलझाने के लिए निर्देशित किया। सोमवार को मायादेवी के स्थगन आदेश को सिविल जज छाता ने खारिज कर दिया था। इसके बाद ही देवेश आदि ने एसडीएम गोवर्धन से सेवा पूजा का कार्य दिलाने की मांग की थी। एसडीएम गोवर्धन पुलिस के साथ मंदिर पहुंचे। मायादेवी ने बिना आदेश के सेवा छोडऩे से इन्कार करते हुए दो घंटे के लिए मंदिर को बंद कर दिया था।
सैंकड़ों वर्ष पुराना है मंदिर का इतिहास
बरसाना में राधा रानी का विशाल मंदिर है, जिसे लाड़ली महल के नाम से भी जाना जाता है। यहां सुबह-शाम भक्तों का तांता लगा रहता है। इस मंदिर में स्थापित राधा रानी की प्रतिमा को ब्रजाचार्य श्रील नारायण भट्ट ने बरसाना स्थित ब्रहृमेश्वर गिरि नामक पर्वत में से संवत् 1626 की आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को निकाला था। इस मंदिर में दर्शन के लिए 250 सीढि़यां चढ़नी पड़ती हैं। यहां राधाष्टमी के अवसर पर भाद्र पद शुक्ल एकादशी से चार दिवसीय मेला जुड़ता है। इस मंदिर का निर्माण आज से लगभग 400 वर्ष पूर्व ओरछा नरेश ने कराया था। यहां की अधिकांश पुरानी इमारतें 300 वर्ष पुरानी हैं। जहां पर यह मंदिर स्थित है वहां से पूरा बरसाना गांव दिखता है।