ये है हाल: अफसरों ने किया छल, नालों में छोड़ दिया मल Agra News
शहर में 910 किमी लंबी बिछी है सीवर लाइन। नालों के बैक मारने पर घरों में भर जाता है गंदा पानी।
आगरा, जागरण संवाददाता। मंटोला हो या फिर कमलानगर और बल्केश्वर। यह ऐसे क्षेत्र हैं। जहां जल निगम के अफसरों ने जनता से छल किया। सीवर लाइन तो बिछाई गई लेकिन इसे मुख्य लाइन से नहीं मिलाया। यहां सीवर को सीधे नाले में छोड़ दिया गया। बारिश में नालों के बैक मारने पर लोगों के घरों में गंदा पानी भर जाता है। सुप्रीम कोर्ट से लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने शहर की ड्रेनेज सिस्टम और बदहाल सीवर पर चिंता जताई है। सिस्टम में सुधार के आदेश दिए हैं लेकिन अभी तक ठोस प्रयास नहीं हुए हैं। शहर में सीवर लाइन की लंबाई 910 किमी है।
नालों में फेंकी जाती है जूते की कतरन
मंटोला, खतैना लोहामंडी सहित अन्य क्षेत्रों में जूते की कतरन नालों में फेंकी जाती है। इससे नाले जल्द चोक हो जाते हैं। वहीं नालों की सफाई भी ठीक तरीके से नहीं हो रही है। शहर में 441 नाले हैं। इस वित्तीय साल में 60 नालों की सफाई अभी तक नहीं हुई है।
करोड़ों खर्च, काम अधूरा
वर्ष 2008 में भीम नगरी, देवरी रोड इलाके में सीवर लाइन के लिए 53.36 करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत हुआ। जलनिगम ने क्षेत्र में 63 किमी लंबी सीवर लाइन बिछाकर जल संस्थान को सौंप दी, लेकिन अभी तक सीवर लाइन से सीवेज का निस्तारण नहीं हो सका है। कई जगह तो लाइन टूट गई है।
नहीं बने कनेक्टिंग चैंबर
सीवेज मास्टर प्लान में शहर को आठ जोन (नॉर्थ, साउथ, ईस्ट, वेस्ट, सेंट्रल, साउथ जोन प्रथम, द्वितीय और तृतीय) में बांटा गया है। इनमें यमुना एक्शन प्लान और जेनर्म के तहत सीवर लाइन डाली गई थीं, यह पुरानी हो चुकी हैं। नॉर्थ, वेस्ट और साउथ जोन प्रथम में नई सीवर लाइन डाली गई हैं लेकिन उनके कनेक्टिंग चैंबर नहीं बनाए गए हैं।
नहीं बन सका कॉमन चैंबर
आगरा सीवेज स्कीम फेज प्रथम के पहले चरण में 195 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया। इसमें शाहजहां पार्क से पुरानी मंडी मार्ग के बीच एक कॉमन चैंबर बनना प्रस्तावित था। यह चैंबर अभी तक नहीं बनाया जा सका है।
वबाग कंपनी फेल, रात में बंद कर दिए जाते हैं एसटीपी
प्रदेश सरकार के सपने को वीटेक वबाग कंपनी ने चकनाचूर कर दिया है। रात में शहर के तीन से पांच सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) और दस मुख्य पंपिंग स्टेशन (एमपीएस) बंद कर दिये जाते हैैं। इससे गंदा पानी सीधे यमुना में गिरता रहता है। यहां तक कचरे को भी साफ नहीं किया जाता है। यह भी पानी के साथ नदी में गिरता है।
आगरा शहर से हर दिन 286 एमएलडी सीवेज निकलता है जिसमें 185 एमएलडी को ट्रीट किया जाता है। इसके लिए सात एसटीपी और 28 एमपीएस हैं। वीटेक वबाग कंपनी ने अभी तक पूरा स्टाफ तैनात नहीं किया है। जो तैनात हैं, वह भी अप्रशिक्षित है। रात में एसटीपी और एमपीएस को बंद कर कर्मचारी चले जाते हैं। कई बार सोशल मीडिया पर इसके वीडियो वायरल हो चुके हैं लेकिन अभी तक अफसरों की नींद नहीं खुली है। पर्यावरण क्षेत्र में काम कर रहे डॉ. शरद गुप्ता का कहना है कि ड्रेनेज सिस्टम को सीवर लाइन से जोडऩा सही नहीं है। सीवेज को ट्रीट किया जा सकता है, लेकिन ड्रेनेज सिस्टम में ऐसा नहीं है।
शिकायतों का नहीं हो रहा निस्तारण
नगर निगम और जल संस्थान के पास हर दिन ढाई सौ शिकायतें पहुंचती हैं जिसमें डेढ़ सौ शिकायतें सीवर संबंधी होती हैं।
शार्टकट अपनाया
जल निगम ने सीवर लाइन से ड्रेनेज सिस्टम को जोडऩे की मुख्य वजह शार्टकट है। क्योंकि कुछ जगहों पर नाले नहीं हैं। ऐसे में जल निकासी के लिए सीवर लाइन का सहारा लिया गया।
मीथेन गैस है खतरनाक
विशेषज्ञों के अनुसार सीवर लाइन में विभिन्न गैस बनती हैं जिसमें मीथेन सबसे सबसे ज्यादा बनती है और यह खतरनाक भी होती है। इसकी चपेट में आने पर कुछ देर मेें व्यक्ति की मौत हो सकती है।
50 साल पुराना है सीवर सिस्टम
शहर का सीवर सिस्टम 50 साल पुराना है। कई जगहों पर लाइनें चोक पड़ी हुई हैं। मेनहोल उफान मार रहे हैं।
एक चैंबर से गुजरी सीवर और पानी की लाइन
जीवनी मंडी स्थित वाटरवक्र्स के मुख्य द्वार के सामने एक चैंबर बना है। जल संस्थान ने चैंबर से पानी की 28 इंच और सीवर की 24 इंच की लाइन निकली हैं। नियमानुसार, यह सही नहीं है। क्योंकि एक भी लाइन में लीकेज का असर दूसरे पर पड़ता है। आए दिन लीकेज हो रहे हैं।
इस पर होना चाहिए अमल
- नई सीवर लाइन डालने के तुरंत बाद इसकी अच्छी तरीके से सफाई होनी चाहिए।
- सीवर कनेक्शन में देरी नहीं की जानी चाहिए।
- जिन स्थलों पर सीवर सिस्टम नालों में छोड़ा गया है। वहां नई लाइन बिछाकर इसे एसटीपी तक पहुंचाना चाहिए।
- इससे सीवेज का सही तरीके से निस्तारण हो सकेगा।
- सीवर लाइन की सफाई एक तरफ से होनी चाहिए न कि टुकड़ों में।
- शहर में सीवर सिस्टम के देखभाल की जिम्मेदारी निजी कंपनी को दी जा रही है। यह कार्य तेजी से होना चाहिए।
ये हैं एसटीपी
- धांधूपुरा, 78 एमएलडी
- जगनपुर, 14 एमएलडी
- पीलाखार, 10 एमएलडी
- धांधूपुरा, 24 एमएलडी
- भीमनगरी, 12 एमएलडी
- नगला बूढ़ी, 2.5 एमएलडी
- बिचपुरी, 40 एमएलडी