महंगाई को ताल दे रहे पेट्रोल-डीजल
आगरा: कर्नाटक विस चुनाव के बाद डीजल और पेट्रोल की कीमत लगातार बढ़ रही है। डीजल की कीमतें बढ़ने से बाजार पर प्रभाव पड़ना तय माना जा रहा है। माल का परिवहन खर्च बढ़ेगा तो कीमतें भी बढ़ेंगी।
जागरण संवाददाता, आगरा: कर्नाटक विस चुनाव के बाद डीजल और पेट्रोल की कीमत में 'आग' लग गई है। इससे ट्रांसपोर्टर और किसान गुस्से से 'लाल' हो रहे हैं। सोमवार को इन दोनों की कीमतें चार साल के रिकार्ड स्तर पर रहीं। ट्रांसपोर्ट किराया बढ़ने से सामान की कीमत बढ़ेगी और जनता की जेब और हल्की होगी। डीजल हो या पेट्रोल, रोजाना इनकी कीमत बढ़ रही है।
डीजल-पेट्रोल की कीमत में अब रिकार्ड इजाफा हो गया है। रेट वृद्धि किसान और ट्रांसपोर्टर, दोनों का दम फुलाने लगी हैं। इस कारण महंगाई भी बढ़ रही है। ट्रांसपोर्टर कीमत वृद्धि को 'स्लो प्वॉयजन' की संज्ञा दे रहे हैं। पेट्रोल पंप स्वामी ऋतुराज ने बताया कि यूपीए शासनकाल के दौरान कच्चे तेल की कीमत तकरीबन 120 डालर प्रति बैरल थी, जबकि वर्तमान में यह 75 डालर है। कच्चे तेल की कीमत में कमी के बाद भी इन दोनों की कीमत रोजाना रिकार्ड रच रही है। पेट्रोल पंप स्वामी रजनीश मल्होत्रा के अनुसार,
31 अगस्त 2014 को प्रति लीटर डीजल की कीमत 58.97 रुपये थी। इस साल 13 जनवरी को यह 61.73 रुपये और 21 मई को 67.58 रुपये प्रति लीटर हो गई। यानि बीते 4 माह में डीजल की कीमत में छह रुपये का इजाफा हुआ है। पेट्रोल की कीमत भी इसी राह पर है। एक मार्च 2014 को पेट्रोल की कीमत 73.16 रुपये लीटर थी। 13 जनवरी को पेट्रोल की कीमत 72.87 रुपये और 21 मई को इसकी कीमत बढ़कर 77.05 रुपये प्रति लीटर हो गई। इन दोनों की रोजाना बढ़ती कीमत जनता को परेशान कर रही है। ट्रांसपोर्टरों ने कहा
प्रति किलोमीटर पांच रुपये का खर्च बढ़ा
आगरा ट्रांसपोर्ट चैंबर वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष वीरेंद्र गुप्ता ने बताया कि प्रति किलोमीटर पांच रुपये का खर्च बढ़ा है। पिछले साल बड़े वाहनों से माल की ढुलाई पर बीस रुपये प्रति किलोमीटर का खर्च आता था। अब यह बढ़कर 25 रुपये हो गया है। जबकि बाजार मंदा होने से भाड़ा इस अनुपात में नहीं बढ़ा है। ट्रांसपोर्टेशन बढ़ने से महंगाई बढ़ेगी
ट्रांसपोर्टर देवेंद्र कुमार ने बताया कि कीमत बढ़ने का असर खाद्यान्न और अन्य सामान की आवाजाही के रेट पर पड़ेगा। इससे महंगाई और बढ़ेगी। यदि सरकार एक्साइज डयूटी और अन्य कर कम कर दे तो डीजल और पेट्रोल दोनों की कीमत कम हो जाएगी। डीजल और पेट्रोल को केंद्र सरकार जीएसटी के दायरे में शामिल करे, इनकी कीमतें गिर जाएंगी। किसानों की सुनिए-
डीजल की कीमत बढ़ने से खेती की लागत बढ़ जाती है। परंतु सरकार फसल की लागत नहीं बढ़ाती। केंद्र सरकार की गलत नीति से किसानों को घाटा हो रहा है। पहले एक-दो महीने में इनके रेट बढ़ते थे। अब रोजाना बढ़ाए जा रहे हैं।
श्याम सिंह चाहर, रोहता डीजल की कीमतें देखकर किसानों की चिंता भी बढ़ती जा रही है। अब किसान अपने माल को ट्रासपोर्ट के जरिए यूपी के बाहर नहीं ले जाना चाह रहा। कीमत से उसकी सांस फूल रही है। गरीब किसान खेती करना बंद कर सकता है।
राजवीर लवानियां
जिलाध्यक्ष, आलू किसान विकास समिति