Move to Jagran APP

Holi in Braj: होली की मस्‍ती में जिंदगी की दुश्‍वारियां भूल गईं निराश्रित महिलाएं

मैत्री फाउंडेशन ने आयोजित किया होली समारोह। आश्रय सदनों में रहने वाली महिलाएं मंदिर के फूलों से तैयार करती हैं गुलाल।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Sun, 01 Mar 2020 01:51 PM (IST)Updated: Sun, 01 Mar 2020 01:51 PM (IST)
Holi in Braj: होली की मस्‍ती में जिंदगी की दुश्‍वारियां भूल गईं निराश्रित महिलाएं
Holi in Braj: होली की मस्‍ती में जिंदगी की दुश्‍वारियां भूल गईं निराश्रित महिलाएं

आगरा, जेएनएन। होली, दुनिया के लिए रंगों का पर्व और ब्रजवासियों के लिए कृष्‍ण प्रेम में रचने बसने और स्‍वयं को भुलाकर ईश्‍वर की सत्‍ता से एकाकार होने का पर्व। रंगों का ये त्‍योहार जितना रंगों से उल्‍लासित होता है उतना ही बेरंग जिंदगियों में नवऊर्जा का संचार भी करता है। ये संचार उस वक्‍त जीवंत हुआ जब दुनियावी आश्रय से निराश्रित हुईं महिलाओं ने रंगों का त्‍योहार सामूहिक रूप से मनाया। रविवार को वृंदावन में आश्रय सदनों में रह रहीं निराश्रित महिलाओं के लिए मैत्री फाउंडेशन द्वारा पानीघाट स्थित स्थित आश्रय सदन में होली समारोह आयोजित किया गया।

loksabha election banner

कान्हा की नगरी में होली का रंग चढ़ने लगा है। बरसाना, नंदगांव, गोकुल, महावन, बरसाना, फालैन जैसी जगहों पर होली अपनी रंगत और विशेषता के साथ परंपरागत आयोजन होते हैं। यहां होली का उल्लास धार्मिक रीतिरिवाजों के साथ बंधा है। राधारानी के चरणों में गुलाल अर्पित कर बरसाना और नंदगांव में हुरियारे होली खेलने की इजाजत मांगते हैं, तो ठा. बांकेबिहारी अपने भक्तों संग होली खेलते हैं। इसी तरह ब्रज के दूसरे मठ मंदिरों में होली खेली जाती है। लेकिन तीर्थनगरी वृंदावन से होली पर एक बड़ा संदेश दुनिया को जाता है, जब विधवा माताओं की रंगहीन जिंदगी में होली के रंगों का समावेश होता है। इसी आनंद की अनुभूति रविवार को महिला आश्रय सदन में जीवन गुजार रहीं उन माताओं काेे हुई। जिन्होंने होली के रसिया और ढोल की थाप पर जमकर गुलाल और फूलों की होली खेली। वृद्ध विधवा माताओं की उमंग का ठिकाना नहीं था। हर माता होली के रंग में डूबी नजर आईंं। आश्रय सदनों में हजारों वृद्ध विधवा माताएं सफेद साड़ी में ईश्वर साधना कर जीवन गुजार रही हैं। आश्रय सदनों में नीरस जीवन गुजार रहीं इन माताओं के जीवन में रंग भरने की कोशिश की मैत्री फाउंडेशन ने। पानीघाट स्थित मैत्री फाउंडेशन द्वारा संचालित मैत्री आश्रय सदन में रविवार को सुबह होली शुरू हुई तो माताओं की उमंग हिलोरें मारने लगीं। ढोल की थाप और होली के रसिया पर नाचती गातीं वृद्ध विधवा माताओं ने जमकर होली खेली। नाचते गाते एक-दूसरे पर गुलाल और फूल उड़ाते माताओं का जोश थमने का नाम नहीं ले रहा था। जिधर भी नजर जाती माताएं थिरकती नजर आ रही थीं। होली के इस उमंग में माताओं की उम्र भी आड़े आती नजर नहीं आई। करीब तीन घंटे तक माताओं ने जमकर होली का आनंद लिया।

ताकि भूल जाएं नीरस जीवन का दर्द

माताओं के जीवन में उमंग और रंग भरने का प्रयास संस्था ने शुरू किया है। होली पर हर साल इस तरह का आयोजन करते हैं। ताकि यहां नीरस जीवन गुजार रहीं माताएं होली के उमंग में अपने परेशानियों को भुलाकर जीवन को सुंदर तरीके से गुजार सकें।

विनी सिंह, निदेशक: मैत्री फाउंडेशन

परिवार से ज्‍यादा मिलता है सुख

अपने परिवार में दुख भरी जिंदगी छोड़कर यहां आई थी। लेकिन यहां जो वातावरण मिला है, लगता है कि पूरा परिवार मिल चुका है। होली का आनंद यहां का निराला है।

गायत्री मुखर्जी, कोलकाता।

सदन में होली तो पूरे जोश के साथ खेली है। हर साल होती है। सदन में माताएं बहनों की तरह रह रही हैं और जो प्यार, दुलार यहां मिलता है। वह परिवार में नहीं मिला। हर उत्सव इसी तरह मनाते हैं।

राधादासी, पश्चिम बंगाल।

पहली बार सदन में होली खेली है। इसी साल आई हूं रहने के लिए। यहां की होली के उल्लास और खुशी का कोई ठिकाना नहीं है। बहुत अच्छा लग रहा है।

विशाखा, विधवा माता।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.