Move to Jagran APP

अतिसार होने के बावजूद सुहागनगरी में पदयात्रा पर निकले थे अटल जी

1982 में सामूहिक जाटव हत्याकांड के विरोध में दिहुली से साढ़ूपुर तक की थी पदयात्रा।

By JagranEdited By: Published: Fri, 17 Aug 2018 05:33 PM (IST)Updated: Fri, 17 Aug 2018 05:33 PM (IST)
अतिसार होने के बावजूद सुहागनगरी में पदयात्रा पर निकले थे अटल जी
अतिसार होने के बावजूद सुहागनगरी में पदयात्रा पर निकले थे अटल जी

आगरा(जेएनएन): भारतीय राजनीति में भाजपा को शिखर तक पहुंचाने वाले अटल बिहारी वाजपेयी का सुहागनगरी से भी नाता रहा। अस्सी के दशक में फीरोजाबाद के दिहुली एवं साढ़ूपुर में जाटव समाज की सामूहिक हत्याओं के बाद जब सूबे से लेकर केंद्र तक सियासी तूफान था तो इस अत्याचार के खिलाफ उन्होंने फीरोजाबाद में पदयात्रा निकाली। दिहुली से साढ़ूपुर तक निकली इस पदयात्रा की दूरी ज्यादा नहीं थी, लेकिन दो दिन की यात्रा में उन्होंने सरकार को बड़ा संदेश दिया। साढ़ूपुर में होने वाली बड़ी सभा में देश के प्रमुख नेताओं ने शिरकत की थी।

prime article banner

नवंबर 1981 में दिहुली (तब के मैनपुरी जिले के गांव) में जाटव समाज के लोगों की सामूहिक हत्या हुई तो कांग्रेस की सरकार भी हिल गई। लगभग दो दर्जन लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया था। तत्कालीन प्रधानमंत्री से लेकर राजनीति के बड़े चेहरे दिहुली पहुंचे थे। दिल दहलाने वाली घटना के बाद फीरोजाबाद के साढ़ूपुर में भी ऐसी ही घटना घटी। यहां भी सामूहिक हत्या हुई। ऐसे में भाजपा के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष अटल बिहारी वाजपेयी जनवरी 1982 में पदयात्रा पर निकले। उस वक्त उन्हें अतिसार की बीमारी थी, ऐसे में डॉक्टर ने हर आधे घंटे बाद सेब एवं दूध लेने की सलाह दी थी। ऐसे में शिकोहाबाद के कुछ स्वयंसेवकों की विशेष ड्यूटी उनकी देखभाल के लिए लगाई गई। संघ के कार्यकर्ता सुमन प्रकाश मिश्रा, हरेंद्र यादव, दीपक अग्रवाल एवं मुकुल माहेश्वरी पूरी यात्रा के दौरान उनके साथ रहे। यात्रा के दौरान अटल जी ने ग्रामीणों से संवाद भी किया। दिहुली से शुरू हुई यात्रा का पहला पड़ाव जाजूमई इंटर कॉलेज में पड़ा तो दूसरा पड़ाव मक्खनपुर में डॉ. सतीश गुप्ता के यहां। यात्रा में उनके साथ करीब 200 लोग शामिल होते थे। दोपहर का भोजन राह में पड़ने वाले गांवों के ग्रामीणों द्वारा दिए जाने वाले खाने एवं मठा-दूध पर निर्भर रहता तो शाम को जहां विश्राम होता, वहां पर सबके लिए बनने वाले भोजन को ही अटलजी भी ग्रहण करते। खैरगढ़ से बीच में छोड़नी पड़ी यात्रा:

पदयात्रा के दौरान एक इमरजेंसी बैठक दिल्ली में बुलाई गई। उस वक्त यात्रा जाजूमई से निकलकर खैरगढ़ पहुंच चुकी थी। ऐसे में उन्होंने कार्यकर्ताओं को हौसला देते हुए कहा कि वह यात्रा जारी रखें, बैठक के बाद वह सीधे यहीं लौटेंगे। वह खैरगढ़ से दिल्ली के लिए रवाना हो गए। तब यात्रा का नेतृत्व दलित नेता सूरजभान (बाद में यूपी के राज्यपाल रहे) ने किया। यात्रा खैरगढ़ से मक्खनपुर तक पहुंची। यहां डॉ. सतीश गुप्ता के घर पर रात्रि विश्राम हुआ, सुबह यात्रा शुरू होने पर वाजपेयी पुन: यहां पहुंच गए तथा अपने नेतृत्व में यात्रा को साढ़ूपुर लेकर पहुंचे। थर्मस में रखकर चलते थे ठंडा दूध:

डॉक्टर ने अटलजी को हर आधे घंटे बाद दूध एवं सेब की सलाह दी थी। उस वक्त उनकी व्यवस्था में लगे हुए सुमन प्रकाश मिश्रा बताते हैं कि दो से तीन थर्मस में दूध मंगाते थे, सर्दी के दिन थे लिहाजा ठंडे दूध के जल्दी गर्म होने की उम्मीद भी नहीं थी, लेकिन यात्रा के दौरान उन्हें बार-बार याद दिलाना पड़ता। कई बार तो काफी जिद करने के बाद भी वह सिर्फ आधा कप दूध पीते थे तथा फिर से यात्रा को निकल पड़ते।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.
OK