DEI Student Murder In Agra: नौ साल 45 गवाही, 60 साल के पिता की वेदना-सपने में आकर इंसाफ मांगती है बेटी
Agra Girl Murder आगरा के दयालबाग शिक्षक संस्थान में नौ साल पहले छात्रा की हत्या हुई थी। इस प्रकरण में हत्या का आरोपित अभी जेल में है। कुछ गवाहों की गवाही अभी बाकी है जिसके कारण फैसला आने में देरी हो रही है।
आगरा, जागरण टीम। आगरा में शोध छात्रा हत्याकांड में साढ़े नौ वर्ष बाद भी स्वजन इंसाफ का इंतजार कर रहे हैं। आरोपित जेल में हैं और आगरा की अदालत में ट्रायल चल जारी है। लेकिन आरोपित पक्ष केस में देरी करने को सभी संभव हथकंडे अपना रहा है।
अब तक 45 गवाहों की हुई गवाही
अभी तक अदालत में 45 गवाहों की गवाही हो चुकी है। अभियोजन पक्ष अभी दस गवाहों की गवाही और करा सकता है। इसके बाद बचाव पक्ष के गवाहों की गवाही होगी। इसलिए अभी पीड़ित परिवार को न्याय के लिए और इंतजार करना पड़ेगा।
डीईआइ में शोध छात्रा की हुई थी हत्या
दयालबाग शिक्षण संस्थान की नैनो बायो टेक्नोलाजी लैब में 15 मार्च 2013 को शोध छात्रा की दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गई थी।हत्या के आरोप में पुलिस ने उदयस्वरूप को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। बाद में मामले की जांच सीबीआइ ने की। मजबूत साक्ष्य जुटाने के बाद आरोपित के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट पेश कर दी। अब केस की सुनवाई एडीजे प्रथम की अदालत में चल रही है।
शोध छात्राके पिता ने बताया कि मामले में अब तक 42 गवाहों की गवाही हो चुकी है। इसमें छात्रा के स्वजन के साथ संस्थान के कुछ लोग, सीबीआइ, पोस्टमार्टम करने वाले चिकित्सक, फोरेंसिक लैब में जांच करने वाले वैज्ञानिक भी शामिल हैं। केस की अगली तारीख 22 मार्च को है।
पिता को अभी भी इंसाफ का इंतजार
शोध छात्रा के पिता ने बताया कि जिन्होंने चार्ज शीट लगाई थी वे अदालत में पेश नहीं हुए थे। आठ से दस गवाह सीबीआई और पुलिस से संबंधित बचे हैं जिनकी गवाही अभी शेष है। तत्कालीन इंस्पेक्टर आशीष कुमार ने 38 दिन बाद मामले में चार्ज शीट लगाई थी। उन्हें जिरह के लिए बुला रहे हैं लेकिन अभी पेश नहीं हुए है। आज भी इस मामले में तारीख थी।
समय पर गौर नहीं करते शोध छात्रा के पिता
शोध छात्रा के पिता का कहना है कि अदालत पर उन्हें पूरा भरोसा है। कोरोना संक्रमण काल में भी अदालत में सुनवाई चलती रही। हाईकोर्ट के निर्देश के बाद ही सुनवाई कुछ दिन के लिए बंद हुई, इसके बाद फिर से चालू हो गई। बचाव पक्ष ने रोड़ा लगाने की कई बार कोशिश की थी। मगर, सफलता नहीं मिली। उनकी ओर से केस को अधिक समय तक चलाने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाए जा रहे हैं।
कई बार हुई दबाव बनाने की कोशिश
कई बार उन पर दबाव बनाने की कोशिश की गई। मगर, वे कमजोर नहीं पकड़ेंगे। इसीलिए यह भी नहीं सोचते कि केस को कितना समय हो गया है। पिता ने बताया कि जब भी वह तारीख पर आने के लिए घर से निकलते हैं। बेटी सपनों में आती है, अपने लिए इंसाफ मांगती है। वह जो भी कमाते हैं वह केस के सिलसिले में भागदौड़ में खर्च हो जाता है।
पढ़ें कब क्या हुआ
- 15 मार्च 2013: डीईआइ की नैनो बायो टेक्नोलाजी लैब में 24 वर्षीय शोध छात्रा की हत्या। कार खेलगांव के पास मिली थी।
- 17 मार्च: पुलिस ने लैब के पास से शोध छात्रा का लैपटाप बरामद किया।
- 18 मार्च: डीईआइ परिसर की झाड़ियों में छात्रा का मोबाइल बरामद, सिम और मेमोरी कार्ड गायब था।
- 22 अप्रैल 2013: पुलिस ने हत्याकांड के मामले में डीईआइ के छात्र उदय स्वरूप और लैब टेकनीशियन यशवीर संधू को जेल भेजा।
- 18 जुलाई 2013: पुलिस ने उदय स्वरूप और यशवीर संधू के खिलाफ अारोप पत्र अदालत में प्रस्तुत किया। हत्या का कारण दुष्कर्म का प्रयास बताया। यशवीर संधू पर साक्ष्यों को नष्ट करने का आरोप था।
- 22 जुलाई: राज्य सरकार की संस्तुति पर मुकदमा सीबीआइ को स्थानांतरित किया गया।
- 19 फरवरी 2014: दोनों आरोपित उच्च न्यायालय से जमानत पर जेल से बाहर आए।
- 5 जनवरी 2016: सीबीआइ ने अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया। इसमें उदय स्वरूप को हत्या, दुष्कर्म और साक्ष्य नष्ट करने का आरोपित बनाया। यशवीर संधू को आरोपित नहीं बनाया गया।
- 22 मई 2016: उदय स्वरूप को दोबारा जेल भेजा गया। आरोपित अभी भी जेल में निरुद्ध है।
- दो मई 2018 : प्रदेश सरकार ने केस में प्रभावी पैरवी के लिए पूर्व डीजीसी अशोक कुमार गुप्ता को स्वतंत्र लोक अभियोजक नियुक्त किया।
साठ साल की उम्र लेकिन बेटी को दिलाएंगे इंसाफ
उनकी उम्र भी साठ साल से अधिक हो गई है। मगर, बेटी जब भी उनके सपने में आकर इंसाफ मांगती है, उनकी हिम्मत बढ़ा जाती है। उन्होंने कसम खाई है कि बेटी को जब तक इंसाफ नहीं दिला लेंगे, चैन से नहीं बैठेंगे।
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