World Cup के लिए Deepti Sharma को भाई सुमित ने दिया था मंत्र, 'शांत रहो और खेल दिखाओ'
दीप्ति शर्मा ने महिला वनडे विश्व कप फाइनल में शानदार प्रदर्शन कर भारत को जीत दिलाई। भाई सुमित के क्रिकेट के प्रति प्रेम ने दीप्ति को प्रेरित किया। 2013 में तानों का सामना करते हुए, दीप्ति ने अंडर-19 में रिकॉर्ड बनाए और भारतीय टीम में जगह बनाई। भाई सुमित ने नौकरी छोड़कर अकादमी बनाई। दीप्ति ने वर्ल्ड कप जीतकर भाई का सपना पूरा किया। 2025 वर्ल्ड कप में भी वह यादगार प्रदर्शन करना चाहती हैं।

भारतीय क्रिकेटर दीप्ति शर्मा और उनके भाई सुमित शर्मा।
सुमित द्विवेदी, आगरा। अवधपुरी में भाई सुमित के पीछे-पीछे कभी ग्राउंड दौड़ने वाली दीप्ति शर्मा ने वनडे महिला विश्व कप फाइनल में 58 रनों की पारी और पांच विकेट लेकर खिताब दिलाने में अहम योगदान दिया।
परिवार में किसी का क्रिकेट से लेना देना नहीं, बस भाई के शौक ने दीप्ति काे क्रिकेटर बनने का सपना दिखाया। वर्ष 2013 में संघर्ष के दौर में ताने सुनकर चुप रहीं, अंडर-19 रिकार्ड और भारतीय महिला टीम में चयन से जवाब दिया।
भाई ने एमबीए के बाद स्थाई नौकरी ठुकराई, दो साल ब्रेक लेकर दीप्ति के लिए अकादमी खड़ी की। भाई को भी ताने मिले लेकिन उनका जवाब मेहनत से दिया।
विश्व कप टूर्नामेंट में सेमीफाइनल और फाइनल में भाई ने सलाह दी शांत रहो, अपना खेल दिखाओं, जीत के बाद सभी बधाई दे रहे हैं। अर्जुन अवार्डी भारतीय महिला क्रिकेटर और विश्व कप विजेता टीम की सदस्य दीप्ति शर्मा और उनके भाई व कोच सुमित शर्मा से हुए साक्षात्कार के कुछ अंश:
दीप्ति से बातचीत
प्रश्न. क्रिकेट को कैसे जाना, खासकर भाई सुमित के पीछे-पीछे प्रैक्टिस देखने जाने और नौ साल की उम्र में पहली बार गेंद फेंकने की कहानी को कैसे याद करती हैं, जब परिवार में कोई क्रिकेट बैकग्राउंड नहीं था?
उत्तर: भाई सुमित क्रिकेट खेलते थे, मैं उनके पीछे-पीछे ग्राउंड जाती। नौ साल की उम्र में पहली बार गेंद फेंकी वो यादगार लम्हा है, अच्छा लगता है जब याद करती हूं। घर में कोई क्रिकेट नहीं खेलता था, बस भाई का शौक देखकर मैंने शुरू किया। वो दिन आज भी याद आते हैं, उस दिन के कारण ही मैं यहां हूं आज।
प्रश्न: 2013 के आसपास जब आपकी क्रिकेट यात्रा मुश्किल दौर से गुजर रही थी, तो परिवार को मिलने वाले तानों का सामना कैसे किया? भारत के लिए रिकार्ड्स ने आपको कैसे मजबूत बनाया?
उत्तर: उस समय क्रिकेट में संघर्ष था, परिवार को मिलते थे लड़की क्या करेगी? मैं चुप रहती, सिर्फ मेहनत करती रही। अंडर-19 में तेज स्कोरिंग रिकार्ड और भारत डेब्यू ने मुझे ताकत दी। ये दिखाया कि मेहनत रंग लाती है, ताने भूल गई।
प्रश्न: भाई सुमित ने अपना क्रिकेट करियर और प्राइवेट नौकरी छोड़कर आपके लिए अकादमी सेटअप की इस त्याग पर क्या कहेंगी? वर्ल्ड कप फाइनल में भाई से किया वादा पूरा करना इस पल को कैसे बयां करेंगी?
उत्तर: भाई सुमित ने जॉब छोड़कर मेरे लिए अकादमी बनाई, ये बड़ा त्याग था। मैं कहूंगी भाई, तुम्हारी वजह से मैं यहां हूं, थैंक यू। वर्ल्ड कप फाइनल जीतकर वादा पूरा किया, वो पल खुशी का था, जैसे सपना सच हुआ।
प्रश्न: 2025 वर्ल्ड कप में यादगार पारी खेलना और भारत को पहली बार चैंपियन बनाना ये उपलब्धियां आपके लिए क्या मायने रखती हैं? आगे क्रिकेट में नई ऊंचाइयां हासिल करने का खुद को किस तरह तैयार करेंगी?
उत्तर: शानदार पारी और भारत को पहला खिताब दिलाना जीवन का सबसे बड़ा पल। ये मेहनत की जीत है। आगे आइपीएल और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के लिए फिटनेस पर ध्यान रहूंगी, प्रैक्टिस करूंगी, नई स्किल सीखूंगी। बस मेहनत जारी रखूंगी।
प्रश्न: क्या आपने कभी सोचा था कि एक छोटे शहर से शुरू हुई आपकी क्रिकेट की यात्रा घरेलू क्रिकेट के मैदानों से भारतीय सीनियर टीम में डेब्यू और अब विश्व कप जीतकर भारत लाएंगी?
उत्तर: नहीं, छोटे शहर से शुरू करके जूनियर संघर्ष, घरेलू क्रिकेट, सीनियर डेब्यू और अब वर्ल्ड कप जीतना ये सपने से ज्यादा है। बस खेलती गई, आज गर्व होता है।

आगरा में स्वागत के दौरान क्रिकेटर दीप्ति शर्मा और उनके भाई सुमित शर्मा। फोटो: जागरण
भाई सुमित ने साझा की दिल की बातें
प्रश्न: परिवार में क्रिकेट का पहला खिलाड़ी होने के नाते, आपका अपना क्रिकेट सफर कैसे शुरू हुआ? क्रिकेट की शुरुआत पर क्या सपने देखे थे?
उत्तर. घर में पहला खिलाड़ी मैं था। आगरा में लोकल ग्राउंड पर खेलता तब सिर्फ सपना था अच्छा खेलूं, आगरा नाम विश्व पटल पर लाऊं। भारतीय क्रिकेटर लक्ष्मीपति बालाजी को देखना पसंद करता था।
प्रश्न: 2013 में एमबीए पूरा करने के बाद प्रावइेट नौकरी छोड़कर दीप्ति के लिए दो साल का ब्रेक लेना और अकादमी सेटअप करना ये फैसला कैसे लिया? उस समय परिवार को मिलने वाले तानों और आर्थिक चुनौतियों का सामना कैसे किया?
उत्तर. 2013 में एमबीए के बाद गाजियाबाद में एक प्राइवेट नौकरी अच्छी थी, लेकिन दीप्ति का टैलेंट देखा। दो साल ब्रेक लिया, अकादमी बनाई। ताने सुनें, लेकिन परिवार साथ रहा, मेहनत से निकाला।
प्रश्न: दीप्ति को कोचिंग देते हुए उनके टैलेंट को पहचानने और उन्हें भारत कैप तक पहुंचाने की प्रक्रिया कैसी रही? वर्ल्ड कप सेमीफाइनल और फाइनल में उनकी परफार्मेंस देखकर कोच के तौर पर सबसे बड़ी सलाह क्या थी?
उत्तर: दीप्ति का टैलेंट शुरू से दिखा। कोचिंग में बेसिक सिखाए, मेहनत ने राष्ट्रीय कैंप तक पहुंचाया। सेमीफाइनल और फाइनल में सलाह थी शांत रहो, अपना दिखाओ, प्रदर्शन से जवाब दो। दीप्ति की परफार्मेंस देखकर खुशी हुई।
प्रश्न: 2025 वर्ल्ड कप जीत के बाद 'ये गर्व का पल है, आंसू आ गए' कहते हुए दीप्ति को समर्पित करने वाला लम्हा कैसा लगा? अब खुद का क्रिकेट या कोचिंग करियर आगे कैसे बढ़ाएंगे?
उत्तर: जीत के बाद खुशी के आंसू थे, दीप्ति को समर्पित किया गर्व का पल। अब कोचिंग जारी रखूंगा, शायद अपना क्रिकेट फिर शुरू। हां, दीप्ति की उपलब्धि से सीख मिली मेहनत, त्याग से उपलब्धि मिलती जरूर है।
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