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योगी जी, गोशालाओं में नहीं है भरपूर चारा, भूख से दम तोड़ गए चार गोवंंश Agra News

आगरा में बाईंपुर गोशाला में आधा दर्जन से अधिक गोवंश मरणासन्न। कुत्तों ने किया गोवंश पर हमला। गायों की मौत पर दौड़े अफसर।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Fri, 15 Nov 2019 09:57 AM (IST)Updated: Fri, 15 Nov 2019 09:57 AM (IST)
योगी जी, गोशालाओं में नहीं है भरपूर चारा, भूख से दम तोड़ गए चार गोवंंश Agra News
योगी जी, गोशालाओं में नहीं है भरपूर चारा, भूख से दम तोड़ गए चार गोवंंश Agra News

आगरा, जागरण संवाददाता। बाईंपुर स्थित अस्थायी गो आश्रयस्थल में देखभाल के अभाव में गोवंश दम तोड़ रहे हैं। गुुरुवार को चार गोवंश की मौत की सूचना पर अफसर दौड पड़े। हालांकि मुख्य पशु चिकित्साधिकारी मौत से इन्कार कर रहे हैैं। वह कुत्तों के हमलों से छह गोवंश के मरणासन्न होने की बात कह रहे हैैं।

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दैनिक जागरण ने हाल ही में इस गोशाला की बदहाली पर चेताया था। यहां तीन गोशाला में 1700 गोवंश हैं। इन गोशाला में काफी संख्या में सांड़ भी हैं, जो कि गायों और बछड़ों को मारकर घायल कर देते हैं। बाउंड्री न होने से कुत्ते भी गोशाला में प्रवेश कर जाते हैं। इन गोशाला में दो सांड़ और दो गाय की मौत की सूचना पर अफसर दौड़ पड़े। आनन-फानन गाड़ी मंगाकर इन गोवंश का अंतिम संस्कार भी कर दिया गया। मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. एके दौनेरिया की माने तो एक गाय समेत आधा दर्जन गोवंश मरणासन्न हैं। ऐसा इसलिए हुआ कि गोशाला में बाउंड्रीवाल न होने के कारण कुत्ते गोशाला में प्रवेश कर गए। उन्होंने गोवंश पर प्रहार कर घायल कर दिया। फिलहाल सभी का इलाज चल रहा है।

भूख से तोड़ा है दम

गोशाला के आसपास रहने वाले और एक कर्मचारी की माने तो यहां भूख के कारण दो गाय और दो सांड ने दम तोड़ा है। गोवंश को चारा भी सूखा दिया जा रहा है। गोवंश की देखभाल के लिए यहां अस्थायी कर्मचारी तैनात हैं। गांववालों का कहना है कि दोनों कर्मचारी पशुओं को बंद करके चले जाते हैं। वह भूखे और प्यासे रहते हैं गोशाला में गोवंश के लिए भूसा मिट्टी में डाला जा रहा है। इससे काफी भूसा खराब हो जाता है। पशुपालन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि पक्के फर्श पर सारा चारा डालने पर सांड, गायों को नहीं खाने देते हैं। अब सीवीओ ने इनके लिए लड़ामनी बनाने के निर्देश दिए हैं।

सांडों के लिए बनाई थी गोशाला

विभागीय अधिकारियों की मानें तो यह गोशाला केवल सांडों को रखने के लिए बनाई थी, लेकिन खुले में विचरने वाले गोवंश की बढ़ती संख्या के कारण गायों भी फिलहाल यहां रखा जा रहा है। जिले मेें 23 गोवंश आश्रय स्थल है, जिनमें चार हजार 555 गोवंश है।  


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