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रिश्तों की डोर आंसुओं से भीगती रही और अटल का बटेश्वर गांव जागता रहा

तीर्थनगरी बटेश्वर में शुक्रवार को भी सूरज निकला लेकिन सुबह आंसुओं के सैलाब में डूबी थी। हर आंख से अटल प्यार बहा।

By Nawal MishraEdited By: Published: Fri, 17 Aug 2018 08:25 PM (IST)Updated: Sat, 18 Aug 2018 09:07 AM (IST)
रिश्तों की डोर आंसुओं से भीगती रही और अटल का बटेश्वर गांव जागता रहा
रिश्तों की डोर आंसुओं से भीगती रही और अटल का बटेश्वर गांव जागता रहा

आगरा (विनीत मिश्र)। तीर्थनगरी बटेश्वर में शुक्रवार को भी सूरज निकला, लेकिन ये सुबह आंसुओं के सैलाब में डूबी थी। हर आंख से अटल प्यार बहा। ये वो प्यार है, जो दस दशकों से अटल से रिश्तों की डोर में अटलता से बंधा था। वे अपनी यादें छोड़ बटेश्वर को वीरान कर गए। शायद तीर्थनगरी के लिए ये पहली रात होगी, जब पूरा बटेश्वर रात भर सोया नहीं।  अटल बिहारी वाजपेयी का पैतृक गांव बटेश्वर से यूं ही इतना गहरा नाता नहीं था। यहां की माटी में साथियों संग खेले। अटल जी के बाल सखा 88 वर्ष के कैलाश सिंह की पनियाईं आंखों में अटल की तस्वीर सदा के लिए कैद हो गई।

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करवट बदलते बीती कैलाश की रात

कैलाश सिंह को याद नहीं कि इससे पहले वह कब पूरी रात नहीं सोए। गुरुवार रात बिस्तर पर करवट बदलते रहे। कैलाश सिंह ने बचपन में न जाने कितने दिन यमुना की रेती में अटल जी के साथ अठखेलियां कीं। जब अटल जी विदेश मंत्री और फिर प्रधानमंत्री बने, तो पूरे गांव में घूम-घूम कर कैलाश सिंह ने बताया कि अटल मेरे दोस्त हैं। आज भी अटल जी को अपना दोस्त बताते नहीं थकते, लेकिन आंखों में खुशियां नहीं, आंसू थे। कोई 12 साल की उम्र रही होगी। अटल जी गांव आए, तो कैलाश व अन्य साथियों के साथ यमुना नहाने पहुंचे। उन्हें तैरना नहीं आता था। नहाते समय डूबने लगे, ये देख किनारे पर खड़े कैलाश ने छलांग लगा दी। अटल जी को बाहर निकाल लिया। बस फिर क्या था, अटल जी ने कैलाश को सीने से लगा लिया। कैलाश सिंह की लंबे समय से अटल जी से मुलाकात नहीं हुई थी, लेकिन कहते हैं कि वे कभी भूले नहीं थे। निधन की खबर मिली, तो भूख मर गई। एक भी निवाला हलक के नीचे नहीं उतरा। 

गंगा देवी ने आंखों में काट दी रात

बटेश्वर में ही रहने वाली गंगा देवी अटल जी के भांजे की पत्नी हैं। 19 साल पहले अटल जी को अपने हाथों से भोजन बनाकर खिलाया था। पूरी रात गंगा देवी ने आंखों में काट दी। बेटा अतुल आगरा में रहते हैं, गुरुवार रात ही अतुल दिल्ली में अटल जी के अंतिम दर्शन को रवाना हो गए। गंगा देवी भी जाना चाहती थीं, लेकिन भीड़ अधिक होने के कारण अतुल साथ नहीं ले गए। पूरा दिन घर पर वह अटल जी की याद में बिलखती रहीं।

घरों में चूल्हा नहीं जला

गम मेें डूबे गांव के अधिकांश घरों में चूल्हा नहीं जला। अटल जी के परिवार की राजेश्वरी देवी, सरिता देवी, नीरज देवी की कभी उनसे मुलाकात नहीं हुई, लेकिन उनके मन में भी गम है। यहां की सूनी गलियां शायद यही कहती रहीं कि वह चला गया, जिस पर हमें नाज था। गांव के देवता प्रसाद बताते हैं कि पूरी रात जागते कट गई, अटल जी का बचपन, आंखों में तैरता रहा। पूरा बटेश्वर उनकी याद में सो नहीं सका। 


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