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24 घंटे में 25 हजार रुपये 'लूट' रहे साइबर शातिर

जागरण संवाददाता, आगरा: सड़कों पर हथियार के बल पर लूट करने वाले लुटेरों से अधिक खतरनाक

By JagranEdited By: Published: Sat, 30 Jun 2018 08:21 AM (IST)Updated: Sat, 30 Jun 2018 08:21 AM (IST)
24 घंटे में 25 हजार रुपये 'लूट' रहे साइबर शातिर
24 घंटे में 25 हजार रुपये 'लूट' रहे साइबर शातिर

आगरा: सड़कों पर हथियार के बल पर लूट करने वाले लुटेरों से अधिक खतरनाक एसी में बैठकर ऑन लाइन 'लूट' करने वाले हो गए हैं। पुलिस के लिए चुनौती बने ये साइबर शातिर हर दिन आगरा से औसतन 25 हजार रुपये खातों से पार कर रहे हैं। संगठित गिरोह चला रहे इन साइबर अपराधी पुलिस के लिए बड़ी चुनौती बन गए हैं। पुलिस शातिरों द्वारा पार की गई कुछ रकम तो वापस करा देती है। मगर, इन शातिरों तक पहुंचने में नाकाम साबित हो रही है।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल इंडिया के नारे के साथ देश में ऑन लाइन ट्रांजेक्शन का चलन बढ़ा है। इसी के साथ साइबर अपराधियों ने भी अपने संगठित गिरोह बनाकर काम शुरू कर दिया। जागरण ने पुलिस रिकार्ड में दर्ज साइबर फ्रॉड के मामलों की पड़ताल की तो चौंकाने वाली हकीकत सामने आई। जिले की साइबर सेल में छह माह में तमाम साइबर फ्रॉड के मामले आए। इनमें कुल 30 लाख रुपये अलग-अलग तरीकों से शातिरों ने खातों से निकाल लिए या जमा करा लिए। इसी समय में रेंज की साइबर सेल में 16 लाख रुपये की ऑनलाइन ठगी के मामले सामने आए। इस तरह छह माह में जिले और रेंज की साइबर सेल में 46 लाख रुपये के ऑन लाइन फ्रॉड के मामले आए। दोनों साइबर सेल के आंकड़ों के हिसाब से देखें तो हर दिन (24 घंटे में) 25555 रुपये खातों से पार हो रहे हैं। छोटी राशि की ठगी के मामलों में तो लोग शिकायत करने भी नहीं पहुंचते। नहीं तो यह आंकड़ा और अधिक हो जाएगा। समय से सूचना मिलने पर साइबर सेल की टीम ने इसमें से आधी से अधिक धनराशि बैंकों या शॉपिंग साइट्स से पीड़ितों को वापस भी करा दी। मगर, इन घटनाओं को अंजाम देने वाले गिरोह नहीं पकड़े जा सके। कुछ मामलों में अंतरराज्यीय तो कुछ में अंतरराष्ट्रीय गिरोह ट्रैस हुए। मगर, पुलिस उन तक पहुंच नहीं पाई। इसलिए ये अभी भी लोगों के लिए चुनौती बने हुए हैं।

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साइबर शातिरों के तरीके

- ईमेल आइडी हैक कर कारोबारियों का पूरा कम्युनिकेशन हैक कर लेते हैं। अपनी ओर से दूसरे खाते नंबर बताकर कारोबारियों से रकम जमा करा लेते हैं।

- फेसबुक पर दोस्ती कर जाल में फंसाते हैं। इसके बाद बहाने बनाकर धीरे-धीरे ठगी करते रहते हैं।

- बैंक के नाम से नकली मैसेज भेजते हैं। इसमें दिए गए लिंक क्लिक करने पर मोबाइल हैक हो जाता है। इसके बाद शातिर मैसेज और ओटीपी हासिल कर खातों से रकम पार कर लेते हैं।

- ऑनलाइन शॉपिंग का ऑर्डर कंप्लीट होने के बाद ये कर्मचारियों को लालच देकर डिटेल हासिल करते हैं। ग्राहक को नकली मैसेज भेजकर लकी ड्रॉ का लालच देते हैं और रजिस्ट्रेशन के नाम पर खाते आदि की पूरी डिटेल लेकर खाता साफ कर देते हैं।

- फोन कॉल फ्रॉड के मामले लंबे समय से चल रहे हैं। इनमें भी तमाम लोग शिकार बन जाते हैं।

- एटीएम क्लोनिंग कर खातों से रकम पार करने और टॉवर लगाने के नाम पर ठगी का शातिरों का पुराना तरीका अभी चल रहा है।

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ठगी से बचने को सावधानियां

- कार्ड को स्वाइप करने से पहले यह देख लें कि मशीन के साथ कोई अन्य डिवाइस (स्कीमर) तो नहीं लगा है।

- कार्ड को स्वयं ही स्वाइप करें या अपने सामने ही स्वाइप कराएं।

- अपनी पिन को सुरक्षित ढंग से अंकित करें। किसी अन्य को न बताएं।

- धनराशि से संबंधित परिचित की भ्रामक ई मेल, संदेश प्राप्त होने के बाद उससे फोन पर बात करने के बाद ही धनराशि ट्रांसफर करें।

- किसी भी भ्रामक कॉल जिसमें बैंक प्रबंधक, परिचित, दुकानदार बनकर कॉल किया जाए और चैक, आधार और ओटीपी की जानकारी मांगी जाए तो न दें। उससे धोखाधड़ी की पूरी संभावना रहती है।

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नहीं हो पाती है सजा

साइबर अपराध के मामले में कानून के लचीलेपन का अपराधी लाभ उठा रहे हैं। साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट रक्षित टंडन का कहना है कि साइबर शातिर घटना को इतनी चालाकी से करते हैं कि डिजिटल साक्ष्य संकलित करने में मुश्किल होती है। इसीलिए अपराधियों को सजा होने की संभावना भी कम रहती है। लोग सावधानी बरतकर ऐसे अपराधों से बच सकते हैं।

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साइबर फ्रॉड के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। इनसे निपटने को पुलिस तैयार है। लोग समय रहते शिकायत करें। सभी थानों में इसके लिए प्रपत्र उपलब्ध हैं। जिससे पीड़ित को थाने और साइबर सेल के चक्कर न लगाने पड़ें। पिछले दिनों में साइबर सेल ने काफी रिकवरी कराई है।

अमित पाठक, एसएसपी -------

रेंज साइबर सेल द्वारा वापस कराई गई रकम

वर्ष 2018- अब तक 16 लाख रुपये

वर्ष 2017- 35 लाख रुपये

वर्ष 2016- 50 लाख रुपये से अधिक

वर्ष 2015- 50 लाख रुपये से अधिक


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