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साइबर गैंग का पुलिस कंट्रोल रूम, फोन पर आती थी सायरन की भी आवाज Agra News

फाइनेंस कंपनियों से लोन लेने वालों को धमकी देकर करते थे वसूली। कंट्रोल रूम चला रहे सरगना समेत आठ आरोपितों को पुलिस ने दबोचा।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Fri, 21 Feb 2020 05:35 PM (IST)Updated: Fri, 21 Feb 2020 05:35 PM (IST)
साइबर गैंग का पुलिस कंट्रोल रूम, फोन पर आती थी सायरन की भी आवाज Agra News
साइबर गैंग का पुलिस कंट्रोल रूम, फोन पर आती थी सायरन की भी आवाज Agra News

आगरा, जागरण संवाददाता। साइबर गैंग ने आगरा में फर्जी पुलिस कंट्रोल रूम खोल रखा था। फाइनेंस कंपनियों से लोन लेने वालों को पुलिस अधिकारी बनकर फोन करता था। मुकदमा दर्ज करने की धमकी देकर वसूली करते थे। पुलिस ने गैंग का पर्दाफाश करते हुए सरगना समेत आठ आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया। उनसे बड़ी संख्या में मोबाइल फोन और फर्जी आइडी पर लिए गए सिम बरामद किए हैं। उनका एक साथी राजकुमार निवासी बड़ा गांव थाना बाह मौके से फरार हो गया।

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एसपी सिटी बोत्रे रोहन प्रमोद ने शुक्रवार को पुलिस लाइन में आयोजित प्रेसवार्ता में बताया कि साइबर शातिरों के गैंग का सरगना देशदीपक है। गैंग सदर के उखर्रा क्षेत्र में छह महीने से किराए पर कमरा लेकर कंट्रोल रूम चला रहा था। देशदीपक ने पुलिस को पूछताछ में बताया कि वह दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश आदि राज्यों के लोन लेने के बाद किस्त नहीं चुकाने वालों को अपना शिकार बनाते थे। इन लोगों का डाटा उन्हें राजकुमार उपलब्ध कराता था। इसके बदले वह 20 हजार रुपये महीने लेता था। गिरोह के लोग एसएसपी, इंस्पेक्टर, वकील और बैंक अधिकारी बनकर लोन नहीं चुकाने वालों को फोन करते थे। जिस नंबर से वह फोन करते उसे ट्रू कॉलर पर एसएसपी या इंस्पेक्टर, बैंक अधिकारी के नाम से सेव करते थे। इससे फोन रिसीव करने वाले को लगता था कि पुलिस अधिकारी उनसे बात कर रहा है।

गिरोह ने अपने मोबाइल में पुलिस सायरन, वॉकी-टॉकी, पुलिस रेडियो स्कैनर, पुलिस रेडियो रिंगटोन आदि एप डाउनलोड कर रखे थे। लोन लेने वाले को फोन करते समय वह पुलिस की गाड़ी के सायरन, पुलिस रेडियो और वॉकी-टॉकी को अपने मोबाइल पर चालू कर देते थे। इससे कि फोन रिसीव करने वाले को यह आवाजें सुनाईं दें। उसे यकीन हो जाए कि पुलिस अधिकारी उन्हें अपने कार्यालय से फोन कर रहा है। फोन करने के लिए वह कीपैड वाले फोन का इस्तेमाल करते थे। गिरोह के सदस्यों को सरगना देश दीपक सात से नौ हजार रुपये महीने वेतन देता था। वह दो से तीन लाख रुपये महीने वसूली से कमाता था। आरोपितों ने बताया कि उन्हें कॉल सेंटर में नौकरी के नाम पर भर्ती किया गया था।

ये हुए गिरफ्तार

देश दीपक निवासी उखर्रा सदर, बंटू सिंह निवासी बरौली गूर्जर डौकी, कन्हैया शर्मा और भूदेव सिंह निवासी श्यामो ताजगंज, मनोज कुमार निवासी उखर्रा सदर, गौतम राठौर निवासी तुलसी चबूतरा ताजगंज,धर्मेंद्र कुमार निवासी राजपुर चुंगी सदर और सचिन वर्मा निवासी शहीद नगर सदर।

फर्जी कंट्रोल रूम से बरामद सामान

मोबाइल 21, फर्जी आइडी पर लिए 32 सिम कार्ड, एक लैपटाप, चार एटीएम कार्ड और तीन रजिस्टर।

तीन रजिस्टर में 700 लोगों के नाम

पुलिस ने गिरोह के पास से तीन रजिस्टर बरामद किए हैं। इसमें 700 से ज्यादा लोगों के नाम-पते हैं। इन सभी को गैंग ने वसूली के लिए फोन किया था। पुलिस इन सभी से संपर्क कर रही है, इससे कि पता लगाया जा सके कि शातिरों द्वारा की वसूली गई रकम का अनुमान लगाया जा सके। इसके अलावा गिरफ्तार आरोपितों के पेटीएम, गूगल पे और फोनपे के खातों की छह महीने का ब्यौरा जुटा रही है।

समाधान के नाम पर जमा कराते थे एकमुश्त रकम

शातिर लोन लेने वालों को समाधान योजना के नाम पर एकमुश्त रकम जमा करा लेते थे। यह रकम वह अपने पेटीएम, गूगल एकाउंट या फोनपे के खाते में जमा कराते थे। शिकार हुए अधिकांश लोग छोटा ऋण लेने वाले होते थे।

पर्दाफाश करने वाली टीम

इंस्पेक्टर सदर कमलेश सिंह, साइबर सेल प्रभारी अमित कुमार, कांस्टेबिल विजय तोमर, बबलू कुमार, इंतजार, जितेंद्र आदि।


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