साहित्य उत्सव एवं पुस्तक मेला: पुस्तकों से ज्ञान और प्रस्तुतियों से यहां दी जा रही समाज को नई दिशा Agra News
आगरा कॉलेज मैदान में लगा है दस दिवसीय आगरा साहित्य उत्सव और राष्ट्रीय पुस्तक मेला।
आगरा, जागरण संवाददाता। ज्ञान एक अथाह सागर है। जितना प्राप्त करो उतना कम। ज्ञान का महासागर सरीखा ही इन दिनों बना हुआ है आगरा कॉलेज मैदान में चल रहा आगरा साहित्य उत्सव और राष्ट्रीय पुस्तक मेला। आयोजन के दूसरे दिन शनिवार को यहां पुस्तकों के साथ सामाजिक बुराइयां दूर करने के संदेश लिये प्रस्तुतियां भी हुईं।
आगरा कॉलेज मैदान में शनिवार सुबह स्टॉप एसिड अटैक का संदेश लिये जब छात्राओं ने प्रस्तुति दींं तो हर कोई जहां था वहीं खड़ा रह गया। मन को झकझाेेर देने वाली प्रस्तुति ने खुशियों का गुलाबी आसामान कैसे तेजाब के हमले के बाद स्याह हो गया, यह देख हर कोई भावुक हो गया। छात्राओं ने अपनी प्रस्तुति से माहौल को संवेदनशील बना दिया।
इससे पूर्व शुक्रवार को सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम राज्य मंत्री चौधरी उदयभान सिंह ने आयोजन का उदघाटन किया था। आगरा साहित्य उत्सव न्यास और आगरा लिट्रेचर क्लब के इस 10 दिवसीय उत्सव में संस्कार भारती के राष्ट्रीय संरक्षक पद्मश्री योगेंद्र दा ने पुस्तक की महिमा बताते हुए कहा कि कोर्ट में चल रहे राम मंदिर मामले में जज के पूछने पर जन्मांध संत रामभद्राचार्य ने वेद संहिता पुस्तक में सरयू नदी के तट पर श्रीराम के जन्म स्थान का जिक्र बता दिया। एक पुस्तक ने अदालत को चुप कर दिया।
ताजनगरी में दिखे काशी के रंग
ताजनगरी में ‘काशी के रंग, कान्हा के संग’ छाए हैं। कहीं जलक्रीड़ा करते हुए श्रीकृष्ण कालिय नाग को मथ रहे हैं तो कहीं गोपियों संग रास रचा रहे हैं। श्रीकृष्ण की बाल क्रीड़ाएं मोह रही हैं और उनकी सुंदर छवि मन मंदिर में बस रही है। मेले में लगी चित्रकला प्रदर्शनी में यही नजारा देखने को मिल रहा है। काशी हिन्दू विवि के दृश्य कला विभाग द्वारा ‘काशी के रंग, कान्हा के संग’ चित्रकला प्रदर्शनी लगाई गई है। प्रदर्शनी की संयोजक काशी हिंदू विश्वविद्यालय की सह आचार्य डॉ. उत्तमा दीक्षित ने बताया कि साहित्य उत्सव न्यास ने हमें सूर के पदों को लेकर प्रदर्शनी करने को कहा था। कम समय में हमने काशी के रंग, कान्हा के संग दिखाने का प्रयास किया है।
आज के कार्यक्रम
- सुबह 11 से दोपहर दो बजे: मुंशी प्रेमचंद का साहित्य और वर्तमान समाज पर चर्चा (केंद्रीय हंिदूी संस्थान दिल्ली के अध्यक्ष डॉ. कमल किशोर गोयनका, हैदराबाद से डॉ. ज्योति नारायण, मेरठ से डॉ. यासमीन)।
- दोपहर 2 से शाम 4 बजे: कांची सिंघल के संयोजन में कवयित्री सम्मेलन।
- शाम 7 से 10 बजे: हिंदी पत्रकारिता तब और अब।
सजा है पुस्तकों का संसार
उत्सव में पुस्तकों का संसार सजा हुआ है। यहां सुबह से लेकर शाम तक साहित्यप्रेमियों की भीड़ लगी रही। पुस्तक मेले में 65 स्टॉल लगे हैं। धर्म, अध्यात्म, साहित्य, उपन्यास, कहानी, जीवनी, शायरी आदि विधाओं की पुस्तकें यहां उपलब्ध हैं। ट्रांसलेट की गई किताबों की अधिक डिमांड है। रविंद्र नाथ टैगोर, शरतचंद्र, चेतन भगत, रस्किन बांड, मुनव्वर राणा जैसे ख्याति प्राप्त लेखकों का साहित्य यहां उपलब्ध है। विद्यार्थियों को आइकार्ड दिखाने पर 20 फीसद छूट दी जा रही है।
डांडियोत्सव में झलका उल्लास
शाम को सांस्कृतिक संध्या सजी। मयूरा-ए ग्रुप ऑफ परफोर्मिग आर्ट्स द्वारा डांडियोत्सव में राजस्थान और गुजरात की संस्कृतियों का फ्यूजन दिखा। ढोली थारो.., चोगाड़ी-चोगाड़ी.., आज राधा को श्याम याद आ गया. जैसे गीतों पर लोगों ने डांडिया का लुत्फ लिया।